नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) लिमिटेड से नागरनार इस्पात संयंत्र (एनएसपी) को अलग करने तथा अलग की गई कंपनी में निहित भारत सरकार की पूरी हिस्सेदारी को एक रणनीतिक खरीददार के लिए विक्रय द्वारा इसके रणनीतिक विनिवेश को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
नागरनार इस्पात संयंत्र छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के नागरनार में एनएमडीसी द्वारा स्थापित तीन मिलियन प्रतिवर्ष क्षमता वाला एक एकीकृत इस्पात संयंत्र है। यह संयंत्र 1980 एकड़ क्षेत्र में फैला है और इसकी संशोधित लागत 23,140 करोड़ रूपये (14.07.2020 के अनुसार) है। उपर्युक्त तिथि पर एनएमडीसी ने इस परियोजना पर 17,186 करोड़ रूपये निवेश किए हैं, जिसमें से 16,662 करोड़ रूपये एनएमडीसी के अपने कोस्ट से तथा 524 करोड़ रूपये बॉन्ड बाजार से जुटाए गए हैं।
इस मंजूरी के साथ, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने एनएमडीसी की एक इकाई के रूप में नागरनार इस्पात संयंत्र में निवेश हेतु 27 अक्टूबर, 2016 को लिए गए अपने पूर्ववर्ती निर्णय में भी संशोधन किया है।
एनएसपी को इसके विनिवेश से पहले, एक अलग कंपनी के रूप में अलग करने के प्रस्ताव के निम्नलिखित फायदे हैं : –
- इसके अलगाव से, एनएमडीसी खनन की अपनी मुख्य गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- अलगाव के बाद, एनएसपी एक अलग कंपनी होगी तथा एनएमडीसी एवं एनएसपी के प्रबंधन अपने संबंधित संचालनों तथा वित्तीय निष्पादन के लिए उत्तरदायी होंगे। एनएमडीसी के शेयरधारक अपने शेयरों के अनुपात में अलग की गई कंपनी (एनएसपी) के भी शेयरधारक होंगे।
- अलगाव के बाद, निवेशक एनएमडीसी तथा एनएसपी के संचालनों एवं मुद्रा प्रवाह को बेहतर ढंग से देख सकेंगे।
- पूंजीगत प्राप्तियों की दृष्टि से इस अलगाव का कर (टैक्स) से कोई लेना-देना भी नहीं होगा।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति के अनुसार, अलगाव और विनिवेश की प्रक्रिया एक साथ शुरू की जाएगी और अलग की गई कंपनी (एनएसपी) के विनिवेश का कार्य सितंबर 2021 तक पूरा होने की संभावना है।
एनएमडीसी इस्पात मंत्रालय के तहत एक सूचीबद्ध केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम है और इस कंपनी में भारत सरकार की 69.65 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।