ग्रामीण इलाके में हालत बदतर, अपने पैसे निकालने के लिए तरस रहे लोग
पैंशन लेने के लिए भटक रहे हैं बुजुर्ग
यूनुस अलवी
मेवात : मेवात में नोट बंदी के 28 दिन हालात सुधरने कि बजाये बद से बदतर होते जा रहे हैं। सरकार के आदेश पर लोगों ने बैंकों में पैसा जमा करा दिया पर अब उनका अपना ही पैसा नहीं निकाला जा रहा है। मेवात के ग्रामीण अंचल में बसे गांवों में सरकार द्वारा स्थापित की गई सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक सप्ताह में केवल दो हजार रूपये ही एक खातेदार को दे रही है। 80-90 साल के बुजुर्ग बुढापा पैंशन लेने दस दिन से चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनको पैसे ही नहीं मिल रहे हैं। एक करीब 15 साल का आरिफ जो ऐक्सीडेंट का शतप्रतिशत बच्चा है वह अपने इलाज के लिये 50 रूपये निकलवाने के लिये पिछले पांच दिन से बैंक के चक्कर काट रहा है पर उसको इलाज के लिये पैसे नहीं दिये जा रहे हैं।
वहीं 60 वर्षीय मेहरम महिला अपनी पथरी के इलाज के लिये बैक से कोई कर्जा नहीं बल्कि अपने ही खाते से दस हजार रूपये चाहिये पर नहीं दिये जा रहे हैं। वहीं आरिफ को अपनी बहन की 21 दिसंबर को शादी करनी है पर पैसे बैंक दे ही नहीं रही है। किसानों को खाद, बीज, तेल के लिये पैसे चाहिये पर दो हजार से अधिक बैंक किसी को भी नहीं दिये जा रहे। केवल सप्ताह में दो हजार रूपये दे रही हैं बैंक। हमारी टीम ने सोमवार कि शाम करीब चार बजे पुन्हाना खण्ड में 30 हजार कि आबादी वाले गांव सिंगार और 20 हजार कि आबादी वाले गांव नई स्थित सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंकों का जायजा लिया जहां हालात बद से बदतर थे। लोगों का आरोप है कि ये बैंक लोगों को सप्ताह में केवल दो हजार रूपये ही दे रहे हैं ये दिगर बात है कि सरकार ने सप्ताह आम लोगों को 24 हजार, शादी वालों को ढाई लाख रूपये निकालने के आदेश दे रखे हों लेकिन बैंक इन आदेशों पर अमल नहीं कर रही हैं।
रहीश खां ने बताया कि वह शत प्रतिशत ऐक्सीडेंट से घायल है, उसके पैर में राड लगी हुई हैं और पूरा चेहरा खराब हो गया है। उसके इलाज के करीब 50 हजार रूपये कि जरूरत है लेकिन बैक अधिकरी उनको केवल एक सप्ताह मे दो ही जहार रूपये दे रहे हैं अगर समय पर उसको पैसे नहीं मिलने तो उसकी परेशानी बढ जाऐगी वहीं 50 वर्षीय मेहरम का कहना है कि वह पथरी की बिमारी से पीडित है उसके इलाज के लिये कम से दस हजार रूपये चाहिये लेकिन बैंक वाले केवल दो हजार ही दे रहे हैं वह कई दिन से अपने इलाज के लिये पैसे जुटाने के लिये बैक के चक्कर काट रही है।
आरिफ खां का कहना है कि 21 दिसंबर को उसकी बहन कि शादी है, उसे कम से कम दो लाख रूपये चाहिये लेकिन बैंक मैनेजर ने उसको पैसे देने से मना कर दिया है, कहता है कि वह दो हजार से अधिक नहीं दे सकता। 80 वर्षीय खेरूना और 90 वर्षीय छीतू बुजुर्गो का कहना है कि उनकी बुढापा पैंशन नहीं दी जा रही है, वे कई दिन से बैक के चक्कर काट रहे हैं। किसान जुबेर का कहना है कि सर्व ग्रामीण बैंक के अधिकारी सभी को दो हजार एक सप्ताह में दे रहे हैं। ऐसे में उनको खाद, बीज, और खेतों कि सिंचाई के लिये डीजन की जरूरत है पर बैंक वाले उनको सप्ताह में दो हजार से अधिक नहीं दे रहे हैं। देा हजार में वे बच्चों का पैट भरें या फिर खेतों के लिये सिंचाई में खर्च करें।