नई दिल्ली : देश में विपक्ष के नेताओं को नोट्बंदी के तौर तरीके से एतराज था ही अब विदेशी हुक्मरान भी पीएम नरेन्द्र मोदी के इस अभियान से परेशान हैं. मिडिया में आई खबरों से पता चला है कि रूस ने भारत में नोटबंदी को लेकर राजनयिक स्तर पर विरोध जताया है. कहा जा रहा है उनकी ओर से प्रतिरोधी कदम उठाने की चेतावनी दी गयी है. ख़बरों में दावा किया गया है कि रूस ने कहा है कि नोटबंदी की वजह से दिल्ली में उसके राजनयिकों को नकदी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि दिल्ली स्थित रूसी दूतावास में करीब 200 लोग काम करते हैं.
दिल्ली के राजनयिक गलियारे में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि रूसी सरकार से जुड़े लोगों ने 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद से दूतावास द्वारा हफ्ते भर में अधिकतम 50,000 रुपये की निकासी सीमा तय किए जाने को ‘अंतरराष्ट्रीय चार्टर का उल्लंघन’ बताया है.
मीडिया ख़बरों में दावा किया गया है रुसी राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन ने 2 दिसंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है और उस पर भारत सरकार के जवाब का इंतजार है. यहाँ तक कहा जा रहा है कि रूसी सरकार नोटबंदी पर विरोध जताने के लिए भारतीय राजदूत को तलब कर सकती है.
दूतावास के हवाले से कहा गया है कि कदाकिन ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि सरकार द्वारा तय की गई यह सीमा दूतावास संचालन के खर्चों के लिए पूरी तरह नाकाफी है. उन्होंने कहा कि ये पैसे तो ‘एक ठीकठाक से डिनर का बिल चुकाने के लिए भी काफी नहीं है. रूसी राजदूत ने साथ ही सवाल किया है कि दिल्ली में इतना बड़ा दूतावास नकदी के बिना कैसे काम कर सकता है क्योंकि दिल्ली स्थित रूसी दूतावास में करीब 200 लोग काम करते हैं.
वित्त मंत्रालय ने रूस सरकार के इस ऐतराज पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है. उल्लेखनीय है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की घोषणा की थी, जिससे सर्कुलेशन में मौजूद करीब 86 फीसदी नकद चलन से बाहर हो गए थे और देश भर में लोगों को नकदी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार ने नकदी वितरण को सुचारू रखने के लिए बैंकों एवं एटीएम से नकद निकासी पर सीमा लगा रखी है.