नई दिल्ली : केरल में शीघ्र ही देश का पहला चिकित्सकीय उपकरण पार्क स्थापित किया जाएगा, जो उच्च जोखिम वाले चिकित्सकीय उपकरणों पर केंद्रित होगा। इसका उद्देश्य चिकित्सकीय उपकरण उद्योग को अनुसंधान एवं विकास, परीक्षण और मूल्यांकन जैसी सेवाओं की एक पूर्ण श्रृंखला उपलब्ध कराना होगा।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के श्री चित्रा तिरूनाल चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एससीटीआईएमएसटी) और केरल सरकार की औद्योगिक एवं निवेश संवर्धन एजेंसी केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (केएसआईडीसी) की संयुक्त पहल पर परिकल्पित मैड्स पार्क, यानी चिकित्सकीय उपकरण पार्क, तिरूवनंतपुरम जिले के थोनक्कल स्थित लाइफ साइंस पार्क में स्थापित किया जाएगा ।
यह चिकित्सकीय उपकरण पार्क चिकित्सकीय रोपण एवं शरीरेतर उपकरणों समेत उच्च जोखिम वाले चिकित्सकीय उपकरणों पर केंद्रित होने के कारण विशिष्ट होगा । इन बिंदुओं पर महारत होने के कारण एससीटीआईएएसटी की भी विशिष्ट पहचान है ।
यह चिकित्सकीय उपकरण पार्क,चिकित्सकीय उपकरण उद्योग को अनुसंधान एवं विकास , परीक्षण और मूल्यांकन जैसी सेवाओं, विनिर्माण सहायता, प्रौद्योगिकी संबंधी नवोन्मेष की एक पूर्ण श्रृंखला उपलब्ध कराने के साथ साथ ज्ञान का प्रसार करेगा। यही वे सारी चीजें हैं जिनकी चिकित्सा उपकरण उद्योग को जरूरत है। इन सेवाओं का उपयोग इस मैड्स पार्क के भीतर अवस्थित और भारत के अन्य हिस्सों में स्थित कोई भी चिकित्सा उपकरण उद्योग कर सकेगा । इससे इस क्षेत्र के छोटे और मंझोले उद्योगों को लाभ होगा ।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन आगामी गुरूवार, 24 सितंबर, 2020 को इस चिकित्सा उपकरण पार्क का शिलान्यास करेंगे ।
नीति आयोग के सदस्य और एससीटीआईएमएसटी के अध्यक्ष डा. वी के सारस्वत ने कहा , “श्री चित्रा ने पिछले तीस साल से भी अधिक समय से जैव चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के विकास में महती योगदान दिया है और खुद को इस क्षेत्र के अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित किया है। जैव चिकित्सा उपकरण उद्योग के क्षेत्र में देश के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा और यह माननीय प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के पूरी तरह अनुरूप है।”
डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, इस चिकित्कीय उपकरण पार्क को देश के अन्य हिस्सों में प्रस्तावित इसी तरह की परियोजनाओं से जो तत्व अलग करता है ,वह है कि यह पार्क चिकित्सकीय रोपण एवं शरीरेतर उपकरणों समेत उच्च जोखिम वाले चिकित्सकीय उपकरणों पर केंद्रित होगा और इन बिंदुओं पर एससीटीआईएमएसटी की को भी पर्याप्त अनुभव और महारत हासिल है।
एससीटीआईएमएसटी की निदेशक, डा. आशा किशोर ने कहा, यह पार्क डीएसटी के जैव चिकित्सकीय उपकरण कार्यक्रम के तकनीकी अनुसंधान केंद्र के अंतर्गत केरल सरकार के केएसआईडीसी के साथ भागीदारी में स्थापित किया जा रहा है। यह कार्य राज्य में उपलब्ध पारिस्थितिकीय व्यवस्था के अलावा विभिन्न अनुसंधान और अकादमिक संस्थानों तथा स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों के सहयोग से किया जा रहा है और यह केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और नीति आयोग के सहयोग से संभव हो सका है ।
यह चिकित्सकीय पार्क, केरल राज्य के उच्च जोखिम वाले चिकित्सकीय उपकरण निर्माण के मौजूदा ढांचे का उन्नयन करेगा और भारत के चिकित्सकीय उपकरण निर्माण उद्योग के लिए एक बेहद आकर्षक गंतव्य के तौर पर विकसित होगा ।
वर्तमान में केरल में बहुत सी चिकित्सकीय उपकरण निर्माण कंपनियां हैं जिनका कारोबार 750 करोड़ रूपये सालाना है। इनमें से ज्यादातर एससीटीआईएमएसटी से हस्तांतरित प्रौद्योगिकी से निर्माण कार्य करती हैं।
चिकित्सकीय पार्क जब पूर्ण हो जाएगा तब वहां ये सुविधाएं होंगी :
- अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मान्यता प्राप्त चिकित्सकीय उपकरण परीक्षण एवं मूल्यांकन केंद्र
- एक अनुसंधान एवं विकास संसाधन केंद्र जो चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्राधिकार को तय करेगा और इसकी सेवा इस पार्क के भीतर स्थित उद्योग ले सकेंगे
- कार्य कुशलता बढ़ाने के लिए एक केंद्रीयकृत ज्ञान केंद्र जहां प्रशिक्षण और नियमन के मुद्दों तथा क्लीनिकल ट्रायल आदि के लिए सहायता मिल सकेगी
- स्टार्ट-अप और प्रारंभिक अवस्था वाली कंपनियों के विकास के लिए एक तकनीकी व्यावसायिक इन्क्यूबेशन सेंटर
- पार्क में आने वाले उद्योगों द्वारा लीज़ पर मोडुलर विनिर्माण इकाई का सैट या विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए लैंड मोड्यूल बनाए जाएंगे।
- इस चिकित्सकीय पार्क का व्यावसायिक माडल स्व निर्भर है जिसमे इसका परिचालन व्यय खुद इसकी आय से आएगा। इसका परिचालन व्यय इसके राजस्व स्रोतों से प्राप्त किया जाएगा । प्रारंभिक चरण में केंद्र और राज्य सरकारों (केंद्र और केरल सरकारों) की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पूंजीगत खर्च की फंडिंग तथा व्यय के मुकाबले आय में होने वाली कमी की पूर्ति की जाएगी ।
- आशा की जाती है कि इस परियोजना से 1200 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा और इसके अलावा यहां लगने वाले सहायक उद्योगों जैसे ओईएम आपूर्तिकर्ताओं, सेवा प्रदाताओं और मार्केटिंग तथा मार्केटिंग बाद की अन्य सहायक गतिविधियों से 4000 से 5000 रोजगार पैदा होंगे।