नई दिल्ली।उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज शिक्षण संस्थाओं से अपने ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रम में योग को भी सम्मिलित करने का आग्रह किया।उन्होंने कहा कि कोविड 19 संक्रमण के दौर में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए योग एक बेहतरीन साधन है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर स्पिक मैके द्वारा आयोजित डिजिटल योग और ध्यान शिविर का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि योग अखिल मानवता को भारत की अमूल्य भेंट है जिसने विश्व भर में करोड़ों ज़िंदगियों को संवारा है।
उन्होंने कहा योग तो बचपन से ही सिखाया जाना चाहिए। उन्होंने यूनिसेफ किड पॉवर के तहत बच्चों के लिए 13 योग अभ्यास और मुद्राएं सिखाए जाने की सराहना की।
उपराष्ट्रपति कहा कि 5000 साल पुरानी योग परम्परा मात्र शारीरिक अभ्यास ही नहीं है बल्कि यह एक विज्ञान है जो संतुलन, मुद्रा, सौष्ठव, समभाव, शांति तथा समन्वय पर बल देता है। योग के तमाम अंग जैसे मुद्रा, श्वसन क्रिया का अभ्यास, ध्यान सम्मिलित रूप से मन और शरीर में अनेक प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, इस वर्ष की थीम- 'योग एट होम, योग विथ फैमिली' के अनुरूप उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू तथा उनकी पत्नी श्रीमती ऊषम्मा ने आज सुबह उपराष्ट्रपति-भवन के लॉन में योगाभ्यास किया। #InternationalYogaDay pic.twitter.com/InQOJgFDky
— Vice President of India (@VPSecretariat) June 21, 2020
उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए योग की असीम संभावनाओं पर व्यापक वैज्ञानिक शोध होना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि योग चिकित्सा बहुत तेज़ी से प्रचलित हो रही है। उन्होंने कहा कि अनेक वैज्ञानिक अध्ययनों से प्राप्त प्रमाणों से ज्ञात होता है कि योग अनेक व्याधियों के उपचार में कारगर सिद्ध हुआ है।
लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर कोविड संक्रमण के प्रभाव की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि विश्व इस चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है, हम इस चुनौती को खुद पर हावी नहीं होने दे सकते। हमें एक हो कर सम्मिलित रूप से इस महामारी के विरुद्ध संघर्ष करना होगा और अपना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करना होगा।
उन्होंने आगे कहा कि महामारी के कारण हमारी ज़िन्दगी में आए तनाव का कारगर निदान भी योग प्रदान करता है। योग सम्पूर्ण स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में एक सक्षम प्रणाली है और उसका पूरा उपयोग किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सिर्फ यह महामारी ही हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं कर रही है बल्कि जीवनशैली के कारण भी व्याधियां बढ़ रही हैं।
WHO के अध्ययन का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2016 में भारत में हुई कुल मौतों में से 63% असंक्रामक रोगों के कारण हुई। उन्होंने कहा कि जीवनशैली के कारण हुई ऐसी व्याधियों के प्रतिकार और उपचार के लिए योग एक सरल और सक्षम प्रणाली है।
आधुनिक जीवन के दबाव और तनाव के कारण युवाओं द्वारा की जा रही आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं बिल्कुल टाली जा सकती हैं। योग ऐसे दबाव, तनाव, अवसाद और चिंता का समाधान करने में सहायक हो सकता है।
भारत की युवा जनसंख्या के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे युवा शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ और सुरक्षित रहें।
योग प्रोफेशनल्स के लिए स्व प्रमाणीकरण की सरकार योजना की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना से अधिकाधिक प्रामाणिक योग प्रशिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे जिससे योग का प्रसार करने में सहायता मिलेगी।
उपराष्ट्रपति ने कहा योग विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य अभियान है और इसे आगे बढ़ाने का दायित्व हमारा है। उन्होंने कहा योग प्राचीन भारतीय धरोहर है, जिसकी निर्बाध परंपरा रही है और इस बहुमूल्य परंपरा को जीवित रखना हमारा दायित्व है।
उपराष्ट्रपति ने योग और ध्यान के डिजिटल शिविर की सराहना करते हुए उसे सही दिशा में सार्थक पहल बताया और अपेक्षा की कि भविष्य में भी और ऐसे शिविरों के आयोजन से युवाओं को लाभ मिलेगा।