नई दिल्ली : प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स के वार्षिक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ICC ने पूर्वी भारत और North East के Development में जो योगदान दिया है, विशेषकर वहां की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को, वो भी ऐतिहासिक है। आई सी सी ने 1925 में अपने गठन के बाद से आज़ादी की लड़ाई को देखा है, भीषण अकाल और अन्न संकटों को देखा है और भारत की विकास यात्रा का भी आप हिस्सा रहे हैं। अब इस बार की ये वार्षिक समारोह एक ऐसे समय में हो रहा है, जब हमारा देश कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि श्रमिक पूर्व के, संपत्ति पूर्व की, संसाधन पूर्व के, तो इस क्षेत्र का विकास क्यों नहीं, इस पर आप सभी को विचार करना चाहिए .
प्रधान मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है, भारत भी लड़ रहा है लेकिन अन्य तरह के संकट भी निरंतर खड़े हो रहे हैं। कहीं बाढ़ की चुनौती, कहीं लॉकस्ट, ‘पोंगोपा’ का कहर, कहीं ओलावृष्टि, कहीं तेल क्षेत्र में आग, कहीं छोटे-छोटे भूकंप , ये भी कम ही होता है कि पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र में एक के बाद एक, दो सायक्लोन चुनौती बनकर आएं। ऐसे तमाम स्थानों पर हम सभी एक साथ मिलकर लड़ रहे हैं। कभी-कभी समय भी हमें परखता है. हमारी परीक्षा लेता है। कई बार अनेक कठिनाइयां, अनेक कसौटियां एक साथ आती हैं।लेकिन हमने ये भी अनुभव किया है कि इस तरह की कसौटी में हमारा कृतित्व, उज्ज्वल भविष्य की गारंटी भी लेकर आता है। किसी कसौटी से हम कैसे निपट रहे हैं. मुश्किलों से कितनी मजबूती से लड़ रहे हैं, ये आने वाले अवसरों को भी तय करता है।
उन्होंने कहा कि हमारे यहां कहा जाता है- मन के हारे हार, मन के जीते जीत, यानि हमारी संकल्पशक्ति, हमारी इच्छाशक्तिही हमारा आगे का मार्ग तय करती है। जो पहले ही हार मान लेता है उसके सामने नए अवसरकम ही आते हैं। लेकिन जो जीत के लिए निरंतर प्रयास करता है. एक दूसरे का साथ देते हुए, आगे बढ़ता है, उसके सामने नए अवसर भी उतने ही ज्यादा आते हैं। ये हमारी एकजुटता, ये एक साथ मिलकर बड़ी से बड़ी आपदा का सामना करना. ये हमारी संकल्पशक्ति, ये हमारी इच्छाशक्ति, हमारी बहुत बड़ी ताकत है, एक राष्ट्र के रूप में हमारी बहुत बड़ी ताकत है।
उन्होंने उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि मुसीबत की दवाई मजबूती है। मुश्किल समय ने हर बार भारत की दृढ़ता को ताकत दी है. एक राष्ट्र के रूप में देशवासियों की इच्छाशक्ति को ऊर्जा दी है. संकल्प को शक्ति दी है। यही भावनामैं आज आपके चेहरे पर देख सकता हूं. करोड़ों देशवासियों के प्रयासों में देख सकता हूं। कोरोना का संकट पूरी दुनिया में बना हुआ है। पूरी दुनिया इससे लड़ रही है। कॉरोना वॉरियर्स के साथ हमारा देश इससे लड़ रहा है। लेकिन इन सबके बीच हर देशवासी अब इस संकल्प से भी भरा हुआ है कि इस आपदा को अवसर में परिवर्तित करना है, इसे हमें देश का बहुत बड़ा बदलाव का मोड़ भी बनाना है।
पीएम मोदी ने कहा कि ये बदलाव का मोड़ क्या है ? आत्म निर्भर भारत. आत्मनिर्भरता का ये भाव बरसों से हर भारतीय ने एक उम्मीद की तरह जिया है। लेकिन फिर भी एक बड़ा काश, एक बड़ा काश, हर भारतीय के मन में रहा है, मस्तिष्क में रहा है। काश हम Medical Equipment के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते! काश हम Defence manufacturing में आत्मनिर्भर होते! काश हम Coal और Minerals सेक्टर में आत्मनिर्भर होते ! काश हम Edible Oil में, फर्टिलाइजर्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते! काश हम Electronic Manufacturing में आत्मनिर्भर होते ! काश हम Solar Panels, Batteries और Chip Manufacturing में आत्मनिर्भर होते। काश हम Aviation Sector में आत्मनिर्भर होते ऐसे कितने सारे काश, अनगिनत काश, हमेशा से हर भारतीय को झकझोरते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ये एक बहुत बड़ी वजह रही है कि बीते 5-6 वर्षों में, देश की नीति और रीति में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सर्वोपरि रहा है। अब कोरोना क्राइसिस ने हमें इसकी गति और तेज करने का सबक दिया है। इसी सबक से निकला है- आत्मनिर्भर भारत अभियान। हम देखते हैं, परिवार में भी संतान-बेटा हो या बेटी, 18-20 साल का हो जाता है. हम कहते हैं कि अपने पैरों पर खड़े रहना सीखो। एक तरह से आत्मनिर्भर भारत का पहला पाठ, परिवार से ही शुरू होता है। भारत को भी अपने पैरों पर ही खड़े होना होगा।
उनका कहना था कि आत्म निर्भर भारत अभियान का सीधा सा मतलब है कि भारत, दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम से कम करे। हर वो चीज, जिसे Import करने के लिए देश मजबूर हैं, वो भारत में ही कैसे बने, भविष्य में उन्हीं Products का भारत Exporter कैसे बने, इस दिशा में हमें और तेजी से काम करना है। इसके अलावा, हर वो सामान जो भारत का लघु उद्यमी बनाता है, हमारे हैंडीक्राफ्ट वाले, जो सामान हमारे सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़े करोड़ों गरीब बनाते हैं, जो दशकों से हमारे यहां बनता आ रहा है, गलियों-मोहल्लों में बिकता रहा है, उसे छोड़कर विदेश से वही सामान मंगाने की प्रवृति पर भी हमें नियंत्रण करना है। इसलिए, अब अपने लोकल के लिए वोकल होने का समय है, हर गांव, हर कस्बे, हर जिले, हर प्रदेश, पूरे देश को आत्मनिर्भर करने का समय है।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने एक बार एक पत्र में लिखा था- The simplest method to be worked upon at present is to induce Indians to use their own produce and get markets for Indian art ware in other countries. स्वामी विवेकानंद जी का बताया ये मार्ग Post Covid world में भारत की प्रेरणा है। अब देश प्रण कर चुका है और देश कदम भी उठा रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जिन बड़े रिफॉर्म्स की घोषणा की गई है, उनको तेजी से जमीन पर उतारा जा रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि MSMEs की Definition का दायरा बढ़ाना हो या MSMEs के Support के लिए हजारों करोड़ के स्पेशल फंड्स की व्यवस्था हो, ये सब आज सच्चाई बन रहे हैं। IBC से जुड़ा फैसला हो, छोटी-छोटी गलतियों को डी-क्रिमनलाइज़ करने का फैसला हो,Investment की Fast Tracking के लिए Project Development Cells का गठन हो, ऐसे अनेक कार्य पहले ही हो चुके हैं। अब तमाम सेक्टर्स, खासकरCoal और Miining के सेक्टर को अधिक Competitive बनाने के लिए, जो रिफॉर्म्स अनाउंस हुए हैं, उसका भरपूर फायदा उठाने के लिए उद्योग जगत आगे आए, युवा साथी आगे आएं।
उन्होंने किसानों और Rural Economy के लिए जो निर्णय की चर्चा करते हुए कहा कि हाल में जो निर्णय लिए गए हैं, उन्होंने एग्रीकल्चर इकोनॉमी को बरसों की गुलामी से मुक्त कर दिया है। अब भारत के किसानों को अपने Product, अपनी उपज देश में कहीं पर भी बेचने की आज़ादी मिल गई है। APMC एक्ट, Essential Commodities Act में जो संशोधन किए गए हैं, किसानों और Industry के बीच Partnership का जो रास्ता खोला गया है, उससे किसान और Rural Economy का कायाकल्प होना तय है। इन फैसलों ने किसान को एक Producer के रूप में और उसकी उपज को एक Product के रुप में पहचान दी है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पाद के लिए जिस क्लस्टर बेस्ड अप्रोच को अब भारत में बढ़ावा दिया जा रहा है, उसमें भी सभी के लिए अवसर ही अवसर है। जिन जिलों, जिन ब्लॉक्स में जो पैदा होता है, वहीं आसपास इनसे जुड़े क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। जैसे पश्चिम बंगाल के जूट किसानों के लिए पास में ही जूट आधारित उद्योगों को और मजबूती दी जाएगी। इसके साथ ही Forest Produce की अपार संपदा जुटाने वाले आदिवासी साथियों को उनके क्षेत्र में ही आधुनिक Processing Units उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही Bamboo और Organic Products के लिए भी क्लस्टर्स बनेंगे। सिक्किम की तरह पूरा नॉर्थ ईस्ट, ऑर्गैनिक खेती के लिए बहुत बड़ा हब बन सकता है। ऑर्गैनिक कैपिटल बन सकता है।
उन्होंने कहा कि अगर आई सी सी के साथ जुड़े आप सभी व्यापारी, ठान लें तो नॉर्थ ईस्ट में ऑर्गैनिक फार्मिंग बहुत बड़ा आंदोलन बन सकता है. आप उसकी ग्लोबल पहचान बना सकते हैं, ग्लोबल मार्केट पर छा सकते हैं। आप सभी नॉर्थ ईस्ट, पूर्वी भारत में इतने दशकों से काम कर रहे हैं। सरकार ने जो तमाम कदम उठाए हैं, इनका बहुत बड़ा लाभ East और North East के लोगों को होगा। उन्होंने कहा कि कोलकाता भी खुद फिर से एक बहुत बड़ा लीडर बन सकता है। अपने पुराने गौरव से प्रेरणा लेते हुए, भविष्य में कोलकाता, पूरे क्षेत्र के विकास का नेतृत्व कर सकता है। आपसे बेहतर और कौन जानता है कि जब श्रमिक पूर्व के, संपत्ति पूर्व की, संसाधन पूर्व के, तो इस क्षेत्र का विकास कितनी तेज गति से हो सकता है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 5 साल बाद, यानि वर्ष 2025 में आपकी संस्था अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रही है।वहीं वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। ये आपकी संस्था के लिए, आपके प्रत्येक सदस्य के लिए बेहतरीन समय है एक बड़ा संकल्प लेने का। मेरा आपसे आग्रह है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को चरितार्थ करने के लिए ICC भी अपने स्तर पर 50-100 नए लक्ष्य तय करे। ये लक्ष्य संस्था के भी हों, इससे जुड़े हर उद्योग और व्यापारिक इकाई के भी हों और हर व्यक्ति के भी हों। आप जितना अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ेंगे, उतना ही ये अभियान पूर्वी भारत में, नॉर्थ ईस्ट में आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा मैन्युफैक्चरिंग Manufacturing में बंगाल की ऐतिहासिक श्रेष्ठता को हमें पुनर्जीवित करना होगा। हम हमेशा सुनते आए हैं “What Bengal thinks today, India Thinks Tomorrow” हमें इससे प्रेरणा लेते हुए हमें आगे बढ़ना होगा। ये समय, Indian Economy को Command and Control से निकालकर Plug and Play की तरफ ले जाने का है। ये समय Conservative Approach का नहीं है, बल्कि आगे बढ़कर Bold Decisions का है, Bold Investments का है। ये समय भारत में एक Globally Competitive Domestic Supply Chain तैयार करने का है। इसके लिए उद्योग जगत को अपनी मौजूदा सप्लाई चेन के सभी Stakeholders को संकट से निकालने में मदद भी करनी है और Value addition में उनकी Hand-Holding भी करनी है।
उनका कहना था कि आत्म निर्भर भारत अभियान में आगे बढ़ते हुए, कोरोना काल से संघर्ष करते हुए, आज आपने इस AGM में जो People, Planet and Profit का विषय उठाया गया है, वो भी बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ लोगों को लगता है कि ये तीनों एक दूसरे के Opposite हैं, विरोधाभाषी हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। People, Planet and Profit एक दूसरे से Interlinked हैं। ये तीनों एक साथ Flourish कर सकते हैं, Co-exist कर सकते हैं। मैं आपको कुछ उदाहरण देकर समझाता हूं। जैसे LED बल्ब। 5-6 वर्ष पहले एक LED बल्ब
साढ़े तीन सौ रुपए से भी ज्यादा में मिलता था। आज वहीं बल्ब 50 रुपए तक में मिल जाता है। आप सोचिए, कीमत कम होने से, देशभर में करोड़ों की संख्या में LED बल्ब घर-घर पहुंचे हैं, स्ट्रीट लाइट्स में लग रहे हैं। ये Quantity इतनी बड़ी है कि इससे उत्पादन की लागत कम हुई है और Profit भी बढ़ा है। इससे लाभ किसको मिला है ? उन्होंने कहा कि People को, आम देशवासी को जिसका बिजली का बिल कम हुआ है। आज प्रतिवर्ष देशवासियों के करीब-करीब 19 हजार करोड़ रुपए बिजली के बिल में, LED की वजह से बच रहे हैं। ये बचत गरीब को हुई है, ये बचत देश के मध्यम वर्ग को हुई है।