गृह मंत्रालय ने उद्यमियों को दी बड़ी राहत ! राज्यों को भेजा पत्र, कहा आदेश का दुरूपयोग न करें

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सुभाष चन्द्र चौधरी

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हरियाणा सहित देश के सभी राज्यों  के उद्योग पतियों एवं व्यवसायियों में फैली उस भ्रांति को निराधार बताया है जिसमें यह कहा जा रहा था कि उद्योगों के खुलने पर अगर कोई श्रमिक संक्रमित पाया जाता है तो प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा.  गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को भेजे गए पत्र में यह साफ कर दिया है कि  केंद्र द्वारा जारी गाइडलाइन में इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है और इसके लिए किसी भी उज्जैनिया व्यवसाई को अनावश्यक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है.  केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से लिखे गए पत्र में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुखों से कहा गया है कि इस प्रकार की भ्रांतियों को दूर करने के उपाय किए जाएं और उद्योग जगत को इससे अवगत करा दिया जाए साथ ही केंद्र सरकार के निर्देशों का किसी भी प्रकार से किसी को परेशान करने के लिए दुरुपयोग न किया जाए. नए  स्पष्टीकरण से अब लॉक डाउन के दौरान गुरुग्राम वह दिल्ली एनसीआर  तथा अन्य  शहरों में अपने काम शुरू करने के लिए  अनुमति लेने वालों को बड़ी राहत मिली है

 

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 15.04.2020 को जारी अपने एक आदेश में कोविड-19 से लड़ने के लिए समेकित संशोधित दिशानिर्देशों के अंतर्गत हॉटस्पॉट्स/ कंटेनमैंट ज़ोन में शामिल न होने वाले कुछ क्षेत्रों में ख़ास गतिविधियों को छूट दी थी।

 

(https://www.mha.gov.in/sites/default/files/MHA%20order%20dt%2015.04.2020%2C%20with%20Revised%20Consolidated%20Guidelines_compressed%20%283%29.pdf)

 

इन दिशानिर्देशों के साथ-साथ, यह भी निर्दिष्ट किया गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता उपायों के लिए कोविड-19 प्रबंधन और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) हेतु राष्ट्रीय निर्देशों का कार्यालयों, कार्यस्थलों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों के द्वारा पालन किया जाएगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अधिसूचित मानक स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के साथ-साथ कार्यस्थलों, औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को इन दिशानिर्देशों का पालन करने की भी आवश्यकता है।

 

विनिर्माण सुविधाओं वाली कुछ कंपनियों और मीडिया द्वारा दिशानिर्देशों की गलत व्याख्या के आधार पर कुछ आशंकाएँ व्यक्त की गई हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

 

·      फैक्ट्री में किसी कर्मचारी के कोविड-19 से ग्रस्त पाए जाने की स्थिति में, राज्य मुख्य कार्यकारी अधिकारी को कारावास भेजने सहित कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।

·      ऐसी स्थिति में, फैक्ट्री परिसर को 3 माह के लिए सील कर दिया जाएगा।

·      एहतियाती उपायों का पालन न करने की स्थिति में, फैक्ट्री को 2 दिनों के लिए बंद किया जा सकता है और पूर्ण अनुपालन के बाद फिर से शुरू करने की अनुमति दी जा सकती है।

 

यह स्पष्ट किया जाता है कि समेकित संशोधित दिशानिर्देशों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और इसलिए इस तरह की गलत आशंकाओं का कोई आधार नहीं है।

 

यह भी स्पष्ट किया गया है कि दिनांक 15 अप्रैल 2020 के समेकित संशोधित दिशानिर्देशों के तहत अनुमति वाली गतिविधियों को उन सभी पूर्व गतिविधियों में रखा गया है जिन्हें 24 मार्च 2020 (परिशिष्टों के तहत दी गई अनुमति सहित) को जारी पूर्व दिशानिर्देशों के अंतर्गत अनुमति दी गई थी। इनके तहत, कुछ नई गतिविधियों को भी अनुमति दी गई है। इसलिए, समेकित संशोधित दिशानिर्देश पहले से दी गई छूटों पर रोक नहीं लगाते हैं, जब तक कि छूट वाली गतिविधि किसी कंटेनमैंट क्षेत्र में नहीं आती हो।

 

इसलिए कंटेनमैंट इलाकों से बाहर के क्षेत्रों में 15 अप्रैल, 2020 से पूर्व संचालन के लिए पहले से ही अनुमति ले चुके उद्योगों को अधिकारियों से अलग से/नवीन अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। इस बात पर जोर दिया गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग पर एसओपी के अनुपालन के अधीन, लॉकडाउन अवधि के दौरान अनुमति प्राप्त गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए भी किसी नए लाइसेंस या वैधानिक अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।

 

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से लिखित अनुरोध किया है कि औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों और क्षेत्रीय कार्यालयों को लॉकडाउन उपायों के दिशानिर्देशों से अवगत कराया जा सकता है, जिनका महामारी के प्रसार को रोकने के लिए पालन किया जाना चाहिए। यह भी निर्देशित किया गया है कि किसी भी विनिर्माण/वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के प्रबंधन को परेशान करने के लिए इनका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

 

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