हटाये जा सकते हैं बीसीसीआई के सभी पदाधिकारी

Font Size

लोढ़ा कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में लगाईं अर्जी

पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लै को पर्यवेक्षक बनाए जाने की अनुमति मांगी

नई दिल्ली : लोढ़ा समिति व बीसीसीआई के बीच खिंच तान बढती ही जा रही है. सोमवार को समिति ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर बीसीसीआई के प्रशासन की निगरानी के लिये पूर्व केन्द्रीय गृह सचिव जी के पिल्लै को पर्यवेक्षक नियुक्त करने की अनुमति मांगी है. खबर है कि समिति ने अपनी अर्जी में बीसीसीआई के पदाधिकारियों को हटाने और कामकाज की देखरेख के लिए पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लै को पर्यवेक्षक बनाए जाने की अनुमति मांगी है.
अब संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट लोढ़ा समिति की अर्जी पर अपनी सुनवाई करेगा और उसके बाद ही अपना फैसला सुनाएगा.
बिसिसिआई के कामकाज को लेकर लम्बे अर्से से तनातनी चल रही है. क्रिकेट बोर्ड क्रियाकलाप में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित लोढ़ा कमिटी और बीसीसीआई पदाधिकारियों के बीच टकराव जारी है. इस कमिटी ने बीसीसीआई में सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई सिफारिश सहित अपनी रिपोर्ट पेश की और कोर्ट ने इस पर अमल करने का आदेश दिया .. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और 13 राज्य संघों को प्रस्तावित सुधारों को लागू करने के लिए कहा था.

हालांकि, बीसीसीआई ने कहा कि उसके लिए लोढ़ा कमिटी की सभी सिफारिशों को लागू करना असंभव होगा. इसके बाद ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अपना हलफनामा दाखिल किया. इस हलफनामे में ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि कमिटी की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने में क्या व्यावहारिक दिक्कतें हैं.
बीसीसीआई अध्यक्ष अपने सात पेज के हलफनामे में लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को समग्रता में स्वीकार करने की सदस्यों की असमर्थता के अपने रवैये पर कायम रहे. उन्होंने ऐसी परिस्थितियों में निर्देशों की मांग की.
बीसीसीआई अध्यक्ष ने इसके साथ ही 50 पन्नों के अन्य दस्तावेज भी जमा किये जिनमें सुधारों पर चर्चा के लिये बुलायी गयी विभिन्न आपात बैठकों की विस्तृत जानकारी दी गयी है.
उन्होंने नौ अगस्त को व्यक्तिगत तौर पर समिति के सामने उपस्थित नहीं होने पर भी खेद जताया क्योंकि तब संसद का सत्र चल रहा था.

You cannot copy content of this page