नयी दिल्ली, दो मार्च । लोकसभा में सोमवार को गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020 पेश किया गया जिसमें गर्भपात की मंजूर सीमा को वर्तमान 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्द्धन ने निचले सदन में विधेयक को पेश किया। इस दौरान दिल्ली हिंसा को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्य सदन में नारेबाजी कर रहे थे। इस विधेयक को पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि इसका मकसद स्त्रियों की विधिक और सुरक्षित गर्भपात सेवाओं तक पहुंच में वृद्धि करने तथा असुरक्षित गर्भपात के कारण मातृ मृत्यु दर और अस्वस्थता दर एवं उसकी जटिलताओं में कमी लाना है। सरकार के अनुसार इस विधेयक के तहत गर्भपात की सीमा को बढ़ाकर 24 सप्ताह करने से बलात्कार पीड़िता और निशक्त लड़कियों को मदद मिलेगी।
विधेयक में कहा गया है कि गर्भपात की मंजूर सीमा को वर्तमान 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके लिये दो पंजीकृत चिकित्सा पेशेवरों की राय की अपेक्षा की गई है। मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच में पाई गई शारीरिक भ्रूण संबंधी विषमताओं के मामले में गर्भावस्था की ऊपरी सीमा लागू नहीं होगी।
इसमें उस स्त्री की निजता की संरक्षा करने की बात कही गई है जिसकी गर्भावस्था का समापन किया जा रहा है।
इसमें कहा गया है कि विधेयक में स्त्रियों की सुरक्षा और कल्याण की दिशा में कदम उठाये गए हैं ।
हाल के दिनों में अदालतों में कई याचिकाएं दाखिल की गईं जिनमें भ्रूण संबंधी विषमताओं या महिलाओं के साथ यौन हिंसा की वजह से गर्भधारण के आधार पर मौजूदा स्वीकृत सीमा से अधिक गर्भावस्था की अवधि पर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी गई।