दस जनवरी की रात्रि में लगेगा उपच्छाया चंद्रग्रहण : पं अमरचंद

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सूतक से रहेगा मुक्त, गर्भवती महिलाओं के लिए रहेगा नुकसानदायक यक्ष

गुरुग्राम, 9 जनवरी: श्रीमाता शीतला देवी श्राइन बोर्ड के पूर्व सदस्य एवं आचार्य पुरोहित संघ के अध्यक्ष पं. अमरचंद भारद्वाज ने कहा कि 10 जनवरी, शुक्रवार को रात्रि 10 बजकर 38 मिनट से मध्य रात्रि के बाद 2 बजकर 42 मिनट तक लगने वाला उपच्छाया चंद्रगहण नए चालू वर्ष 2020 का प्रथम ग्रहण है, जो पूर्ण रुप से सूतक से मुक्त है। इस ग्रहण में चंद्रमा की छवि धूमिल होती जरुर प्रतीत होगी, चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग मटमैला जैसा हो जाएगा लेकिन इस क्रिया में चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रस्त नहीं होगा जिससे सूतक नहीं लगेगा। इसके कारण उपच्छाया चंद्रग्रहण की अवधि में मांगलिक कार्यों में कोई रुकावट नहीं उत्पन्न होगी।

उन्होंने बताया कि मंदिरों और धार्मिक स्थलों के कपाट खुले रहेंगे और इस दौरान भजन-कीर्तन करने का सकारात्मक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होगा। पं. अमरचंद ने कहा कि सामान्य नागरिकों के लिए तो यह ग्रहण किसी तरह का नुकसानदायक नहीं है लेकिन गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया से भी दूर रहना चाहिए, क्योंकि ग्रहण की छाया के कुप्रभाव से गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव पडऩे की संभावना रहती है जो बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। ग्रहण काल में बचाव के लिए गर्भवती महिलाएं एक नारियल अपने पास रखें और उसे अपने पास ही रखकर शयन करें।

उन्होंने बताया कि यह चंद्रग्रहण मिथुन राशि के पुनर्वसु नक्षत्र में घटित होगा और भारत के साथ अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, अर्जेनटीना जैसे देशों में असरदार रहेगा। ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक समुन्द्र मंथन के समय एक बार, देवताओं और दानवों में मंथन से निकले अमृत पान को लेकर विवाद हो गया जिसे सुलझाने और अमृत देवताओं को पिलाने के भगवान विष्णु ने देवताओं के प्रति एक अनोखी पहल करते हुए मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को अमृत पान कराया। उस समय राहु ने भी देवताओं का वेष धारण करण अमृत पान कर लिया था लेकिन इस दौरान चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचानते हुए इससे भगवान विष्णु को अवगत करा दिया। विष्णु ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि अमृत राहु के मुख में जा चुका था। इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और इसका सिर वाला भाग राहु तथा धड़ वाला भाग केतु कहलाया। इस घटना के बाद से राहु, चंद्रमा व सूर्य से शत्रुता रखता है और समय समय पर इन्हें ग्रॉस कर लेता है। इसी घटना को चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण कहते हैं।

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