लोगों से सुझाव मांगने के लिए होंगे सेमिनार
दोनों राज्यों के उपराज्यपाल भी होंगे शामिल
नई दिल्ली : भारत सरकार का कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय नवगठित केन्द्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सुशासन के तौर तरीकों पर 15 और 16 नवंबर को जम्मू में दो सम्मेलनों का आयोजन करेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डा.जितेन्द्र सिंह ने आज यहां एक समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी। डीओपीटी, डीएआरपीजी और पेंशन मामलों के सचिव सी चंद्रमौली और विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में मौजूद थे। डा. सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार का लक्ष्य विकास है और इसके लिए वह नवगठित केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सुशासन के बेहतर तरीकों को लागू करना चाहती है। कार्मिक मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा सम्मेलन केंद्र सरकार की इसी सोच का हिस्सा है।
केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सुशासन के तरीके लागू करने के लिए आयोजित किया जाना वाला क्षेत्रीय सम्मेलन 15 और 16 नवम्बर को जम्मू में होगा। इसमें सुशासन के साथ ही लोक नीति, सुशासन क्षमता निर्माण और कार्मिक प्रशासन आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा सम्मेलन में डिजिटल गवर्नेंस, नागरिकों पर केन्द्रित सुशासन, आकांक्षी जिले और प्रधानमंत्री पुरस्कार पर प्रस्तुतियाँ भी दी जाएंगी। सम्मेलन में डा. जितेंद्र सिंह, लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जी.सी. मुर्मू, डीओपीटी और डीएआरपीजी तथा पेंशन मामलों के सचिव सी चंद्रमौली, जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के विशेष सचिव और ईओ पी.के.त्रिपाठी, डीएआरपीजी के अतिरिक्त सचिव वी. श्रीनिवास और केन्द्र शासित प्रदेशों तथा केंद्र सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
सम्मेलन में जेम, उमंग, ई-विधान और ई-ऑफिस पर भी चर्चा की जाएगी तथा केन्द्रीयकृत लोक शिकायत समाधान और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) और शिकायत निवारण सहित डीएआरपीजी पहल-प्रणालीगत सुधारों पर प्रस्तुति दी जाएगी। सम्मेलन में बिहार, गुजरात और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों को शिकायत निवारण प्रणाली के बारे में अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है। सम्मेलन में प्रधानमंत्री पहल पर पुरस्कार पहल पर भी प्रस्तुतियां दी जाएंगी। सम्मेलन में 19 राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधियों के भी भाग लेने की संभावना है।
जम्मू में 30 नवम्बर से 1 दिसम्बर तक एक भारत, श्रेष्ठ भारत की थीम पर जल शक्ति और आपदा प्रबंधन पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसमें तमिलनाडु सबसे बड़ा भागीदार राज्य होगा। सम्मेलन के दौरान कावेरी और झेलम नदियों के संरक्षण, कृषि में पानी की खपत कम करने, बाढ़ प्रबंधन, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के बचाव अभियान – 2014, श्रीनगर की बाढ़ और 2015 में चेन्नई में आई बाढ़, आपातकालीन मदद और पूर्वानुमान तथा प्रारंभिक चेतावनी सहित कई विषयों पर चर्चा होगी। जल संसाधन सचिव श्री यू. पी. सिंह के भी सम्मेलन में शामिल होने की उम्मीद है।
स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा, केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार जैन और केन्द्र सरकार, जम्मू कश्मीर सरकार तथा कई अन्य राज्यों के विशेषज्ञ भी सम्मेलन में हिस्सा ले सकते हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य सचिव श्री जी.वी.वी.शर्मा, एनडीएम के सदस्य कमल किशोर तथा उपराज्यपाल एन.सी.मरवाह और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, हैदराबाद के एनआरएसए के विशेषज्ञ भी सम्मेलन में मौजूद होंगे। सम्मेलन के दौरान राहत और बचाव कार्यों में गैर-सरकारी संगठनों/नागरिक समाज की भूमिका पर भी एक सत्र आयोजित किया जाएगा।
डा. सिंह ने कहा कि पेंशन और पेंशनभोगियों का विभाग जम्मू-कश्मीर में पेंशन अदालत का आयोजन करेगा, जिसकी तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी।
समीक्षा बैठक के दौरान, 5 साल के दृष्टि पत्र , 100-दिवसीय एजेंडा, मंत्रालय के डैशबोर्ड और विभागों से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई।