नई दिल्ली : भारतीय रेल ने परिचालन प्रौदयोगिकी को सशक्त बनाने के लिए तीन नए ऑनलाइन एप जारी किए हैं। इसके माध्यम से रेल परियेाजनाओं की सही निगरानी सुनिश्चित होगी और डिजिटल इंडिया की परिकल्पना को बढ़ावा मिलेगा। इन तीन नए ऑनलाइन एप का ब्यौरा और विशेषताएं इस प्रकार हैं :-
- सीआरएस सेंक्शन मैनेजमेंड सिस्टम : यह प्रौद्योगिकी प्रणाली रेलवे परिसम्पत्तियों के निर्माण, रखरखाव और उन्नयन से जुड़ी है। इसके तहत लेवल क्रॉसिंग और छोटे पुलों से संबंधित कार्यों की निगरानी की जाएगी। इसके अलावा इस एप्लिकेशन माध्यम से टर्नआउट और लूप लाइन्स में रेलगाड़ी की गति में वृद्धि, नई लाइनों का निरीक्षण और दोहरीकरण आदि शामिल हैं।
- सीआरएस स्वीकृति के लिए मामलों पर तेजी से काम।
- सीआरएस द्वारा अनुपालन पर दिये गये सुझावों की प्रभावी निगरानी
- सीआरएस मंजूरी से संबंधित सर्कुलर/चेक-लिस्ट/दिशा-निर्देशों ऑनलाइन रिपॉजिटरी बनाना।
- मामलों की निगरानी और उनके तुलनात्मक अध्ययन के लिए प्रबंधकीय रिपोर्ट तैयार करना।
- रेल-रोड क्रॉसिंग जीएडी अनुमोदन प्रणाली: ऑनलाइन ई-गवर्नेंस प्लेटफ़ॉर्म के लिए यह परियोजना रेल मंत्रालय और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा तैयार की गई है। इसके माध्यम से ओवर ब्रिज (आरओबी)/रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी)सड़क निर्माण से संबंधित सामान्य अनुबंध ड्राइंग (जीएडी) की तैयारी की अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाना है। यह प्रणाली 2014 से सफलतापूर्वक काम कर रही है। अब, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए भी आरओबी/आरयूबी के निर्माण से जुड़े मामलों को देखने के लिए अलग से एक मॉड्यूल विकसित किया गया है। परियोजना के लाभ निम्न हैं-
· प्रस्तावों की मंजूरी के लिए प्रत्येक चरण के लिए रेलवे और राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों की जवाबदेही तय की गई है।
· हितधारकों (रेलवे/राज्यों) के बीच बेहतर और वास्तविक समय समन्वय।
· प्रत्येक चरण में मेल और एसएमएस के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को वास्तविक स्थिति की जानकारी की सुविधा दी जाती है।
· पूरा प्रस्ताव अधिकतम 60 दिनों में अनुमोदित किए जाने का लक्ष्य है।
· प्रस्ताव और इसके लिए संपर्क किये जाने वाले व्यक्ति से संबंधित सभी जानकारी प्रस्ताव में उपलब्ध है।
3. टीएमएस फॉर कन्सट्रक्शन : यह एप्लीकेशन निर्माण और परियोजना संगठनों द्वारा बनाई जाने वाली नई रेल परिसम्पत्तियों के लिए है। निर्माण के दौरान और निर्माण पूरा हो जाने दोनों ही स्थितियों में परिसम्पत्तियों से जुड़े डेटा नियमित रूप से इस पर अपलोड किये जा सकते है। परियोजना के लाभ इस प्रकार हैं-
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- स्रोत के स्तर पर डेटा सत्यापन।
- डेटा प्रविष्टि और उसके सुधार की आसान प्रक्रिया
- डेटा प्रविष्टि की जांच और सत्यापन को आसान बनाना
- प्रत्येक डेटा के एप्लिकेशन डिज़ाइन में स्वामित्व और ज़िम्मेदारी तय और परिभाषित की गई है।