सुभाष चौधरी/संपादक
नई दिल्ली : ‘एनसीआर-2041’ सम्मेलन का आयोजन 11 नवम्बर को राष्ट्रीय राजधानी में होगा। सम्मेलन की थीम ‘प्लानिंग फॉर टुमारोज ग्रेटस्ट कैपिटल रीजन’ (भावी वृहत्तम राजधानी क्षेत्र की योजना) है। सम्मेलन में विश्व के सबसे बड़े महानगरीय क्षेत्र के समुचित विकास से जुड़े मुद्दों पर विचार किया जाएगा। सम्मेलन की अध्यक्षता आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव डी. एस. मिश्रा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 को मद्देनजर रखते हुए क्षेत्रीय योजना को 17 सितम्बर, 2005 में अधिसूचित किया गया था और यह इस समय लागू है। अब वर्ष 2041 को मद्देनजर रखते हुए अगली क्षेत्रीय योजना तैयार किये जाने की आवश्यकता है। क्षेत्रीय योजना में यातायात, जल, सीवर, ठोस अपशिष्ट, बिजली, भू-उपयोग इत्यादि विभिन्न मुद्दों पर गौर किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली 2028 तक टोक्यो को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा महानगर बन जाएगा।
माना जा रहा है कि इस सम्मलेन में दिल्ली की वर्तमान आधारभूत संरचनाओं को लेकर चर्चा होगी जबकि आने वाले वर्षों में जनसँख्या के अनुरूप आवश्यकताओं को रेखांकित किया जाएगा. एक वृहद दिल्ली की परिकल्पना को लेकर भी विचार किये जाने की संभावना है. इनमें यूपी हरियाणा और राजस्थान के कुछ प्रमुख शहरों को शामिल करने का प्रस्ताव लम्बे समय से लंबित है.
दिल्ली को यातायात जाम, वर्षा जल जमाव और प्रदुषण से अब तक की लाख कोशिश के बावजूद निजात नहीं मिल पाई है. वर्तमान में भू प्रदुषण की खतरनाक स्थिति से यहाँ के लोग गुजर रहे हैं . ऐसे में इस सम्मलेन का आयोजन बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
दिल्ली को दो अलग अलग पार्टियों की सरकारों के बीच होने वाली तकरारों से परेशानी झेलनी पड़ रही है. राज्य और केंद्र सरकार एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते रहते हैं लेकिन जनता त्रस्त है. संभव है इस सम्मलेन में कुछ माकूल हल खोजा जाए और दिल्ली और आस पास के शहरों की जिंदगी में सुधार आये.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का रकबा लगभग 55,083 वर्ग किलोमीटर है. वर्तमान में इसकी आबादी लगभग 6 करोड़ है। दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र भी अगर इनमें शामिल किये जाते हैं तो यहाँ की आवश्यकताओं में बेतहाशा वृद्धि होगी.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र :
- पूरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
- हरियाणा के उप-क्षेत्रों में गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, मेवात, पलवल, पानीपत, महेंद्रगढ़, जींद, करनाल, भिवानी और चरखी दादरी
- राजस्थान के उप-क्षेत्रों में अलवर और भरतपुर जिले
- उत्तर प्रदेश के उप-क्षेत्रों में गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, मुजफ्फरनगर और शामली
उपरोक्त क्षेत्रों के विकास के लिए संसद में 1985 में कानून पारित कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरपीबी) का गठन किया था. यह बोर्ड आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अधीन है। एनसीआरपीबी का दायित्व है कि अंधाधुंध विकास पर रोक लगाने के लिए उपरोक्त क्षेत्र में अवसंरचना के विकास तथा जमीन के इस्तेमाल पर नियंत्रण के विषय में उचित नीति तैयार करे। इस बोर्ड के गठन के बाद से दिल्ली है नहीं अन्य शहरों की सुविधाओं में परिवर्तन तो देखने को मिले हैं लेकिन विकास की गति औए गुणवत्ता को लेकर अब भी काफी काम करने की जरूरत है.
सबसे बड़ी समस्या है इन शहरों में कार्यरत सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल का अभाव और टुकड़े में योजनाये बनाने व उन पर अमल कराना. इन पर बोर्ड का कोई नियंत्रण नहीं है. अब तक की परम्परा है कि बोर्ड एजेंसियों की ओर से भेजी गयी योजनाओं को अप्रूव कर पैसे आवंटित कर देता है लेकिन मोनिटरिंग राज्य सरकार करती है जिससे गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल खड़े किये जाते हैं.