मैदानी स्तर पर जागरूकता और मजबूत नीतियों के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री जावड़ेकर ने समाधान खोजने के लिए सरकार द्वारा निभाई जाने वाली अहम भूमिका पर जोर दिया। इस तरह के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सीओपी-14 के नतीजों से कृषि, वन, भूमि, जल प्रबंधन और गरीबी उपशमन जैसे मौजूदा कार्यक्रमों को पूरा करने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और ‘2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने’ संबंधी प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का अनुपालन किया जाएगा।
हरित गतिविधियों को बढ़ावा देने का उल्लेख करते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘हमें आशावादी होना चाहिए। हमें अपनी कार्यवाही पर भरोसा होना चाहिए। मैं भविष्य के प्रति आशान्वित हूं और मुझे विश्वास है कि यदि मनुष्य के कामों से नुकसान होता है तो मनुष्य अपने कामों के जरिए पारिस्थितिकी और पर्यावरण को बहाल भी कर सकता है।’
इस अवसर पर श्री थैव ने कहा, ‘अगले दो सप्ताह तक हमे ऐसे छह हजार ऐसे दायित्व निभाने हैं, जिनसे जमीन के बंजर होने से प्रभावित साढ़े तीन अरब लोगों का जीवन बेहतर हो सकेगा।’
मेज़बान देश की तरफ से वक्तव्य देते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि भारत बंजर, बढ़ते रेगिस्तान और सूखे से लड़ने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने पिछले पांच वर्षों के दौरान वन के अंदर और बाहर 15,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वृक्षारोपण किया है, जो जमीन की बहाली के संबंध में एक बड़ी सफलता है।
9 सितंबर, 2019 को होने वाले उच्च स्तरीय सत्र का उद्घाटन प्रधानमत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे और उपस्थितजनों को संबोधित करेंगे। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र के उप-महासचिव, यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव, सीओपी के अध्यक्ष, राज्याध्यक्ष, पर्यावरण मंत्रीगण और 197 सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुख उपस्थित रहेंगे।
पृष्ठभूमि सामग्री के लिए https://www.unccd.int/conventionconference-parties-copcop14-new-delhi-india/cop14-media-resources पर क्लिक करें।
पूरी आमसभा यहां देखें :