नई दिल्ली : कृषि, ग्रामीण विकास, जल संरक्षण और इसका समुचित इस्तेमाल करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के प्रमुख मुद्दों में शामिल है। अपने वादे के अनुसार और नीति आयोग की नियंत्रण परिषद की बैठक में किये गये विचार-विमर्श के बाद, प्रधानमंत्री ने “भारतीय कृषि के सुधार” के लिये मुख्यमंत्रियों की एक उच्चाधिकार समिति गठित की है। इस समिति में भाजपा और विपक्ष के 7 मुख्यमंत्रियों को शामिल किया गया है. यह समिति दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी । “ भारतीय कृषि में सुधार” के लिये मुख्यमंत्रियों की उच्चाधिकार समिति नीति आयोग से संबंधित होगी।
कौन-कौन हैं समिति के सदस्य :
1. श्री देवेन्द्र फडणवीस, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र – संयोजक
2. श्री एच.डी. कुमारस्वामी, मुख्यमंत्री, कर्नाटक – सदस्य
3. श्री मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा – सदस्य
4. श्री पेमा खांडू, मुख्यमंत्री, अरूणाचल प्रदेश – सदस्य
5. श्री विजय रूपाणी, मुख्यमंत्री गुजरात – सदस्य
6. श्री योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश – सदस्य
7. श्री कमल नाथ, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश – सदस्य
8. श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री – सदस्य
9. श्री रमेश चंद, सदस्य, नीति आयोग – सदस्य सचिव
समिति किन विषयों पर चर्चा करेगी :
1. कृषि में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने के उपायों पर चर्चा करना तथा राज्यों/ केंद्रित शासित प्रदेशों द्वारा निम्नलिखित सुधारों को अपनाने तथा समय-बद्ध कार्यान्यवन के तरीके के बारे में सुझाव देना:
(ए) भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा गया “राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश कृषि उत्पाद एवं पशुधन विपणन (संवर्द्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2017” (एपीएलएम अधिनियम, 2017)।
(बी) भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा गया “राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश कृषि उत्पाद एवं पशुधन, ठेका खेती एवं सेवाएं (संवर्द्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2018”।
2. अनिवार्य वस्तु अधिनियम (ईसीए), 1955 के विभिन्न प्रावधानों का परिक्षण करना और उन स्थितियों का पता लगाना जब अनिवार्य वस्तु अधिनियम की आवश्यकता हो। कृषि विपणन एवं बुनयादी ढांचे में निजी निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से अनिवार्य वस्तु अधिनियम में बदलाव के लिये सुझाव देना।
3. ई-नाम, ग्राम और अन्य संबंधित केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के साथ बाजार सुधारों को जोड़ने के लिये उपाय सुझाना।
4. कृषि निर्यात बढ़ाने, खाद्य प्रसंकरण के विकास में तेजी लाने और आधुनिक विपणन सुविधा के लिये निवेश आकर्षित करने, मूल्य श्रृंखलाओं तथा साजोसामान के बारे में नीतिगत उपाय सुझाना।
5. वैश्विक मानदंडों के अनुसार कृषि प्रौद्योगिकी विकसित करने और किसानों को उन्नत बीज, पौधे के लिये पोषण सामग्री तथा कृषि के क्षेत्र में विकसित देशों के अनुसार खेती की मशीनें उपलब्ध कराने के उपायों के बारे में सुझाव देना।
6. कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से किसी अन्य सुधारों के बारे में बताना।