17 वर्षों का सबसे खतरनाक वायु प्रदूषण
नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली के लोग 17 वर्षों का सबसे खतरनाक वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं. इसका कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की करीब 1800 प्राथमिक स्कूलों को शनिवार को बंद रखने की घोषणा की गयी है.
9 लाख बच्चों को दुष्प्रभावों से बचाने की कोशिश
हालाँकि इसकी झलक तो पिछले एक माह से दिखने लगी थी लेकिन दीवाली के बाद इसमें बेतहाशा वृद्धि हुई है. तापमान अपेक्षाकृत नहीं गिरने के बावजूद घना कोहरा छाने लगा है. इस वजह से नगर निगम द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 9 लाख बच्चों को इसके दुष्प्रभावों से बचाने के लिए यह फैसला किया गया है.
क्या है प्रदूषण स्तर ?
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सामान्य से कहीं अधिक पहुँच गया है. दिल्ली के आनंद विहार में करीब सुबह 9 बजे पार्टिकुलेट मैटर या पीएम 10 की सांद्रता 1200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही, जबकि इसका सुरक्षित स्तर केवल 100 माइक्रोग्राम ही है. वायु गुणवत्ता मापने के मानक पीएम 2.5 का स्तर सुरक्षित स्तर से 13 गुणा तक बढ़ा गया है.
डाक्टरों का कहना है कि हवा में मौजूद इन खतरनाक कणों की अत्यधिक मात्रा सांस की गंभीर बीमारियां होने का डर है. एक एजेंसी से दिल्ली नगर निगम के प्रवक्ता योगेंद्र मान ने जानकारी दी है की दिल्ली में कोहरे की वजह से शनिवार को सभी निगम स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया गया है.
ओड ईवन नंबर की गाड़ियों का अभ्यास
राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बदतर होने का सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है. दिल्ली सरकार ने इससे बचने के लिए दिल्ली में ओड ईवन नंबर की गाड़ियों का अभ्यास भी किया लेकिन इसका विरोध होने लगा. हालाँकि इससे काफी असर पड़ा था. केंद्र व राज्य सरकार के बीच इसको लेकर तनातनी होती रही. विश्लेषक वायु प्रदुषण के कारणों में वाहनों को ही मुख्य वजह नहीं मानते हैं. इसकी एक बड़ी वजह तेजी से बढ़ते शहरीकरण को माना जा रहा है. इससे डीजल इंजन्स, कोयला चलित विद्युत इकाई और औद्योगिक उत्सर्जन में भी वृद्धि हुई है.
फसलों के वेस्ट को जलाने से भी बढ़ा
कई लोग इसकी एक वजह खेतों में फसलों के वेस्ट को जलाने और लकड़ी या कोयले के चूल्हों से निकलने वाले धुएं को भी मानते है. दिल्ली के पडोसी राज्य हरियाणा, पंजाब व उत्तरप्रदेश में फसलों के वेस्ट बड़े पैमाने पर जलाए जाते हैं. इस पर रोक लगाईं गयी है लेकिन रोक कारगर नहीं है.
दिल्ली में कोहरे का यह सिलसिला रविवार रात दीवाली से कुछ अधिक हो गया जब लाखों पटाखों से निकले धुएं ने शहर को घेर लिया.
बताया जाता है शुक्रवार को पर्यावरण मंत्रालय ने भी इस संबंध में पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण सम्बन्धी उपायों पर चर्चा हुयी.