केजरीवाल ने दिया एक खतरनाक विवाद को जन्म !

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” कहा न्यायाधीशों के फोन टैप किए जा रहे हैं “

कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने किया ख़ारिज 

 

नई दिल्ली : हमेशा अपनी डफली अपना राग अलापने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फिर एक नए व खतरनाक विवाद को जन्म देने की कोशिश कि है. उन्होंने सोमवार को यह कहकर सबको चौका दिया है कि इस बात का भय फैला हुआ है कि न्यायाधीशों के फोन टैप किए जा रहे हैं. साथ यह भी कहा कि यदि यह बात सत्य है तो यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला है. हालाँकि कुछ देर बाद ही उसी मंच से केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने उनके इस डरावने व कथित आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. क़ानून मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता मूलभूत है. इससे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता.

किस बात का डर है ?

केजरीवाल ने सार्वजनिक रूप से अपने भाषण में यह दावा किया कि जजों के साथ अपनी बैठकों में एक दूसरे से आपस में उन्होंने यह कहते हुए सुना है. कि उन्हें फोन पर बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्हें टैप किया जा सकता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उन्होंने जजों को आश्वस्त किया कि उनके फोन टैप नहीं किए जा सकते, तो उन्होंने जवाब में कहा कि सभी फोन टैप किए जा सकते हैं. केजरीवाल ने दोहराया कि “ मैं नहीं जानता कि यह बात सच है या नहीं लेकिन इस बात का डर फैला हुआ है. लेकिन यदि यह सच है कि फोन टैप किए जा रहे हैं तो जजों को प्रभावित किया जा सकता है.”

 

कौन कौन शामिल हुए थे ?

केजरीवाल ने यह विवादित दावा दिल्ली उच्च न्यायालय की स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान किया. उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व  प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने भी शामिल हुए थे. केजरीवाल ने यहाँ तक कहा कि यदि किसी जज ने कोई गलत काम भी किया तो भी फोन टैपिंग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सबसे बड़ा हमला होगा.

कानून मंत्री का दावा 

केजरीवाल के बाद समारोह में केंद्रीय  कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने अपने संबोधन में स्पस्ट किया कि मैं पूरे अधिकार के साथ जजों के फोन टैप किए जाने के आरोपों को खारिज करता हूं. उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री से लेकर अन्य मंत्रियों एवं सरकार तक, सभी ने आपातकाल में न्यायपालिका की स्वतंत्रता, व्यक्तिगत आजादी और मीडिया की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी है. उन्होंने दावा किया कि सरकार के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता मूलभूत है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता.

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