न्यायपालिका व केंद्र सरकार के बीच टकराव चरम पर

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उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति का मामला 

केंद्र की निष्क्रियता न्यायपालिका के लिए खतरा : सुप्रीम कोर्ट 

नई दिल्ली : उच्च नयायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका व केंद्र सरकार के बीच टकराव चरम पर पहुँच गया है. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को बेहद सख्त शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि सरकार कॉलेजियम द्वारा सिफारिश की गयी सूचि के अनुरूप उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करके न्यायपालिका को ठप नहीं कर सकती. देश की सर्वोच्च अदालत ने यहाँ तक कह दिया कि वह अदालतों को बंद कर न्याय की व्यवस्था को भी बंद कर सकती है.

न्यायपालिका को ठप करने की आशंका 

मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से बेहद तल्ख लहजे में कहा कि आप न्यायपालिका के काम को पूरी तरह ठप नहीं कर सकते. अदालत ने पूछा कि आपको किसी नाम से समस्या है तो इसे कलेजियम को वापस भेजें और पुनर्विचार करने को कह सकते है.

कर्नाटक उच्च न्यायालय के कमरों में ताले 

पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का उदाहरण दते हुए कहा कि वहां न्यायाधीशों की संख्या कम होने के कारण अदालत के एक तल के सभी कमरे में ताला लगा हुआ है. इस पीठ में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव भी शामिल हैं.

पुराने एमओपी से नियुक्ति 

पीठ के तेवर इतने तीखे थे कि शुरुआत में ही पीएमओ व कानून एवं न्याय मंत्रालय के सचिवों को फाइल के साथ तलब करने की धमकी दे दी. बताया जाता है कि मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ उस वक्त बहुत नाराज हो गई जब अटॉर्नी जनरल रोहतगी ने सुनवाई शुरू होते ही  मेमोरेंडम आफ प्रोसीजर को अंतिम रूप नहीं दिये जाने का मुद्दा उठाया. रोहतगी  ने कहा कि एमओपी को अंतिम रूप दिए जाने की वजह से ही नियुक्ति की प्रक्रिया में देरी हो रही है. उन्होंने इसे  शीर्ष अदालत के हालिया फैसले के मद्देनजर जरूरी बताया. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार कि ओर से तैयार एनजेएसी अधिनियम को निरस्त कर दिया था.

पीठ ने का कहना था कि कानून मंत्रालय ने तब सहमति जताई थी कि न्यायाधीशों कि नियुक्ति पुराने एमओपी के आधार पर की जा सकती है। पीठ ने साफ कर दिया कि इसमें कोई गतिरोध नहीं होना चाहिए क्योंकि आपने एमओपी को अंतिम रूप दिये बगैर भी न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रति प्रतिबद्धता जताई है. एमओपी को अंतिम रूप देना  व  न्यायपालिका में नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना अलग अलग बातें हैं.

77 नामों में अब तक 18 को मंजूरी  

पीठ ने कहा कि कानून मंत्रालय ने कहा था कि पुराने एमओपी के अनुसार नियुक्ति की जा सकती है. पीठ ने कहा कि कॉलेजियम ने 77 नामों की सिफारिश की गयी थी लेकिन अब तक 18 नामों को ही सरकार की ओर से मंजूरी दी गई है.

नौ महीनों से कॉलेजियम की सिफारिश लंबित 

पीठ ने व्यथित होते हुए कहा कि इस मामले में कुछ भी नहीं हो रहा है. नौ महीनों से कॉलेजियम की ओर से भेजे गये नाम सरकार के पास पड़े हुए हैं. यहाँ तक कहा कि आप नामों को दबाकर बैठे हुए हैं. पीठ ने पूछा कि क्या आप व्यवस्था में कुछ बदलाव की प्रतीक्षा कर रहे हैं या फिर व्यवस्था में कुछ क्रांति होने की ? पीठ ने जोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार नियुक्तियों को नहीं रोक सकती.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में केवल दो की नियुक्ति 

पीठ ने इसे कार्यपालिका की निष्क्रियता की संज्ञा दी और कहा कि सरकार की निष्क्रियता संस्था को नष्ट करने वाली है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के बारे में पीठ ने कहा कि कॉलेजियम ने 18 नामों की सिफारिश की थी और सरकार ने उनमे से केवल आठ को चुना और अब सिर्फ दो को नियुक्त ही करना चाहती है.

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