नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को युवा कांग्रेस के पूर्व नेता व मशहूर तंदूर काण्ड के सजा याफ्ता सुशील कुमार शर्मा की तुरंत रिहाई का आदेश जारी किया है। सुशील 1995 में अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने शर्मा द्वारा दाखिल रिहाई की याचिका को मंजूर कर लिया। बताया जाता है कि सजा समीक्षा बोर्ड ने शर्मा की समयपूर्व रिहाई की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था . बोर्ड ने कहा था कि वह अपनी पत्नी की क्रूर हत्या के लिए दोषी है।
शर्मा के वकील अमित साहनी ने उच्च न्यायालय को बताया कि शर्मा 1995 से जेल में बंद है . वह अपनी अधिकतम निर्धारित सजा को पहले ही पूरा कर चुका है।
एक लंबी लड़ाई के बाद सुशील शर्मा को मौत की सजा सुनाई गई। शर्मा ने अपनी रिहाई की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी।इससे पहले हाईकोर्ट ने मंगलवार को पूछा था कि क्या किसी शख्स को हत्या के अपराध में अनिश्चितकाल तक के लिए जेल में बंद रखा जा सकता है वो भी तब जब वह पहले ही सजा काट चुका है।
सुशील शर्मा की पत्नी नैना साहनी एक प्राइवेट विमान कंपनी में पायलट थी और उस समय सुशील शर्मा कांग्रेस का युवा नेता था। शर्मा को 2003 में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था। 2015 में सुशील शर्मा को पहली बार पैरोल मिली थी।