एक पत्र किशोर-किशोरियों के नाम ………….

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दीपावली :: दीपों की श्रृंखला

प्रिय बच्चो , 

आप सभी को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं !

हम सभी जानते हैं कि दीपावली एक महान पर्व माना जाता है। रोशनी का त्यौहार है जो अंधकार मिटाता है तो प्यारे बच्चों आज हम यह कसम खाते हैं कि हम भी अपना जीवन अपने माता पिता ,अपने गुरु की कही हुई बातों का अनुसरण कर इस दीवाली से अपना जीवन रोशन करेंगे। जिस प्रकार एक मोमबत्ती अपने प्रकाश से सारा अधिकार मिटाती है उसी प्रकार आप सब बच्चे नैतिक मूल्यों को समझते हुए अपने जीवन को प्रकाशमय बनाए ।

दीपा28-ritu-1-aवली पर एक दिए से दूसरे दिया जलाया जाता है यह ,यह संदेश देता है कि अपने ज्ञान से दूसरे का जीवन रोशन करो । इस तयोहार को खुब उत्साह से मनाकर अपनी संस्कृति को बनाए रखना चाहिए। जिस प्रकार श्री रामचंद्र जी ने अपने  जीवन में संघर्ष का बहादुरी से सामना किया और धर्म के मार्ग पर चले चाहे इसके लिए उन्हें अपने सभी सुखों को त्यागना पडा। हम भी ऐसे बने।

हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई महत्व जरूर होता है उसी प्रकार दीपावली का त्यौहार का भी हमारे जीवन में सामाजिक महत्व है। इस दिन सब बच्चे और बड़े अपने घर को सजाते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं और मिठाई खाते हैं ।ठीक उसी प्रकार बच्चों अपनी सोच को सकारात्मक बना लो ।सब से मिल जुल कर रहो ।

दिवाली मनाते समय हमारा मन प्रसन्न, शांत , स्वस्थ एवम अहंकार रहित होना चाहिए। यह तयोहार भारत के सभी प्रांतों में मनाया जाता है। दीपावली पर हमें मिट्टी के दिए से अपना घर रोशन करना चाहिए मिट्टी के लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। अब आप लोगों के मन में आ रहा होगा भला ऐसा क्यों ?

तो बच्चों जब कुम्हार लोग दिया, लक्ष्मी-गणेश बनाते हैं। तो सबसे पहले मिट्टी को गिला करते हैं उस मिट्टी को गूंधते हैं चाक पर चढ़ाते हैं फिर जाकर उनको आकार देते हैं । भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे भगवान मैंने तो मिट्टी को आकार दे दिया सांचे में डाल दिया परंतु अब जिसके घर में जाकर स्थापित होगे उनके घर में खूब बरकत करना ,उनके घर में हमेशा खुशियां लाना । अब हमारा भी कर्तव्य है कि हम भी मिट्टी के दिए ख़रीदे और अपना घर रोशन करे ताकि उनके घरों भी रौशन हो सके।

(30000 बचचो के साथ नैतिक मूल्यो की शिक्षा पर चरचा हो चुकी है)

धन्यवाद

रीतू गोयल 

समाज सेविका , गुरुग्राम

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