नई दिल्ली। अशोक गहलोत राजस्थान के सीएम जबकि सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री होंगे। यह घोषणा पार्टी के प्रभारी वेणुगोपाल ने की। उन्होंने दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में इसका खुलासा किया। अशोक गहलोत ने कहा कि मैं और सचिन दोनो मिलकर काम करेंगे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर कौन बैठेगा इस पर मुहर लग गई है। राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत तीसरी बार प्रदेश की कमान संभालेंगे। पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल ने कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यह निर्णय लिया है कि अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री और सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री होंगे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर चुने जाने के बाद अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में सुशासन पर काम करेंगे और जनता से किए गए वादों को पूरा करेंगे. गहलोत ने कहा कि जितनी काम पांच से रुके हुए हैं उन्हें शुरू करेंगे. बीजेपी सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दिया जिसे हम फिर से शुरू करेंगे.
वहीं सचिन पायलट ने विधायकों और राहुल गांधी का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत जी को भी मैं शुभकामनाएं देता हूं. पायलट ने कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जो जनादेश मिला है, वो जनादेश देश को बदलने वाला है. राजस्थान के चुनाव में मेरा और अशोक गहलोत का जादू चल गया है। राहुल जी के नेतृत्व में हम 2019 में शानदार प्रदर्शन करेंगे। जनता ने हमें जो भी जिम्मेदारी दी है उसे हम पूरा करेंगे. घोषणापत्र में जो भी वादे किए गए हैं, उनको तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा.’
पायलट उपमुख्यमंत्री के साथ बने रहेंगे पीसीसी चीफ
सूत्रों की मानें तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री का पद दिए जाने के बदले सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री का पद दिया गया है। पहले तो पायलट ने यह ऑफर स्वीकार नहीं किया, लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी सहमति दे दी है। इसके साथ-साथ प्रदेश में कांग्रेस की कमान भी उनके हाथ में रहेगी।
मध्यप्रदेश के कमलनाथ और ज्योतिरादित्य की तरह ही राहुल गांधी ने फोटो के जरिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट की दूरिया मिटाने का प्रयास किया है। उन्होंने दोनों के साथ एक फोटो पोस्ट किया है जिसमें तीनों ही मुस्कारते हुए नजर आ रहे हैं। इसमें राहुल और गहलोत के चेहरे पर तो स्वभाविक मुस्कान दिख रही है लेकिन पायलट के चेहरे पर ऐसा लग रहा है जैसे वे मुस्कारने का जबरन प्रयास कर रहे हो। यह कहीं ना कहीं यह भी दर्शता है कि आलाकमान का फैसला उन्होंने स्वीकार तो कर लिया, लेकिन वे इससे खुश नहीं हैं।