पायलट ने कहा अगर सीएम नहीं तो पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी भी गहलोत को दे दें
नई दिल्ली : राजस्थान विधानसभा चुनावों में जीत का परचम लहराने के बावजूद कांग्रेस मुश्किल में है। पिछले तीन दिनों से चल रही माथापच्ची और दर्जनों बैठकों के बाद भी राजस्थान के मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो सका है। सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों ही सीएम पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान कोई फैसला नहीं ले पा रहा है। पायलट ने तो यहां तक कहा है कि अगर वे सीएम नहीं बन सकते तो पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी भी गहलोत को दे दें। वे बिना पद के पार्टी की सेवा करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट ने सीएम बनने के लिए कई तर्क दिए। उन्होंने कहा कि गहलोत के सीएम रहते कांग्रेस ने दो चुनाव लडे। 2003 में 56 और 2013 में 21 पर सिमट गई थी फिर गहलोत लोकप्रिय कैसे? सचिन ने आगे कहा कि पांच साल पहले पार्टी की करारी हार के बाद उन्हें कमान सौंपी थी। तब पार्टी की हालत नाजुक थी। पांच साल में राजस्थान में मेहनत कर पार्टी को एकजुट कर जान फूंकी। उन्होंने सडक पर संघर्ष किया। ऐसे में उनकी अगुवाई में पार्टी ने अधिकतर उप चुनाव जीते। उनकी मेहनत से ही कांग्रेस सत्ता में आई फिर सीएम उन्हें क्यों नहीं बनाया जा सकता।
वहीं सूत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत ने भी अपनी दावेदारी को मजबूत बताते हुए राहुल के सामने अपना पक्ष रखा। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के सत्ता में आने की वजह उनके पिछले मुख्यमंत्री के टर्म में किए गए काम हैं। 2013 में मोदी लहर में हारे बावजूद जनता में उनकी मुफ्त दवा से लेकर कई स्कीम लोकप्रिय हैं। गहलोत ने दो तिहाई से ज्यादा विधायकों और पार्टी नेताओं के समर्थन का दावा किया। वे राजस्थान से बाहर जिम्मेदारी के बावजूद पांच साल तक राजस्थान में सक्रिय रहे। पार्टी ने जब जो काम दिया वह पूरी ईमानदारी से किया। कभी किसी पद के लिए न अड़े न लॉबिंग की।
राजस्थान की कमान कौन संभालेगा इसका फैसला अब से कुछ घंटे बाद होने की संभावना है . नतीजों के आने के तीन दिन बाद अभी सस्पेंस बना हुआ है कि गुलाबी नगरी जयपुर में किसके सिर ताज सजेगा। एक तरफ अशोक गहलोत के समर्थक उनके लिए बड़े बड़े दावे कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सचिन पायलट को गुर्जर समाज का नायक बताते हुए उनके समर्थक उन्हें सीएम पद की कुर्सी पर बैठाने के लिए हर तरह की जुगत लगा रहे हैं.