उपायुक्त ने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकारें
पटौदी ब्लाॅक को सक्षम ब्लॉक बनाने के लिए 22 नवंबर को परीक्षा आयोजित की गयी
42 स्कूलों के लगभग 2300 विद्यार्थी सक्षम परीक्षा में शामिल हुए
गुरूग्राम। उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने शिक्षकों का आह्वान किया है कि वे गुरूग्राम जिला को सक्षम जिला बनाने के कार्य को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करे और जिला में कक्षा तीसरी, पांचवी व सातवीं के विद्यार्थियों के शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए पूरी लगन व मेहनत से काम करें। उपायुक्त ने कहा कि जिला के पटौदी ब्लाॅक को सक्षम ब्लॉक बनाने के लिए 22 नवंबर को पेपर हुआ है। अगर इस पेपर में 80 प्रतिशत बच्चों के 60 प्रतिशत से अधिक अंक आते है तो इस खण्ड को सक्षम खण्ड घोषित कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि कक्षा तीसरी, पांचवी, व सातवीं में पढ़ने वाले सरकारी स्कूलों के बच्चों के गणित व हिंदी विषय का टैस्ट लिया जाता है। इस का मुख्य उद्देश्य बच्चों के शिक्षा स्तर को सुधारना है। उपायुक्त ने बताया कि पटौदी खंड में 42 स्कूलों के लगभग 2300 विद्यार्थी सक्षम परीक्षा में बैठे थे। स्कूलों का चयन सैंपल के आधार पर गठित टीम द्वारा किया जाता है। उपायुक्त ने कहा कि संभवतः 20 दिसंबर को सोहना खण्ड को सक्षम खण्ड बनाने के लिए परिघोषणा ऐसेंसमेंट टैस्ट होना है। इस परीक्षा में सभी बच्चें अच्छे अंक लेकर उतीर्ण हो, इसके लिए शिक्षक कोई कोर-कसर न छोड़ें।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी प्रेमलता यादव ने बताया कि जिला के फरूखनगर व गुरूग्राम ब्लाॅक पहले ही सक्षम घोषित किए जा चुके हैं और अब ये दोनो ब्लाॅक सक्षम प्लस की ओर अग्रसर हैं जिसमें इनमें स्थित राजकीय स्कूलों में अंग्रेजी के स्तर में भी प्रयास लाने के सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे गुरूग्राम जिला को सक्षम जिला बनाने के लिए कोई कोर-कसर न छोड़े और पूरी मेहनत व तत्परता से इस दिशा में प्रयास करें। जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश शास्त्री ने अध्यापकों से आह्वान किया कि वे स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए नेक नीयत से काम करें ।
इस काम में स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों का भी सहयोग लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों के शिक्षा स्तर में सुधार होने से निश्चित रूप से शिक्षकों के सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी, इसलिए शिक्षक सक्षक खण्ड बनाने के कार्य को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करे।