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रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक वेब पोर्टल ‘रेल सहयोग’ लांच किया
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे देश भर में अपने विशाल नेटवर्क एवं व्‍यापक मौजूदगी के बल पर समाज की सेवा करने में सदैव अग्रणी रही है। वर्ष 2022 तक नए भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री के विजन से प्रेरित होकर रेलवे अपने बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, साफ- सफाई इत्‍यादि में बेहतरी के लिए अनगिनत पहल कर रही है, ताकि यात्रियों को अपने सफर के दौरान सुखद अनुभव हो सके।

भारतीय रेलवे ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में व्‍यापक अवसरों का पता लगाया है जिनमें कंपनियों के साथ इस तरह के गठबंधन को बढ़ावा दिया जा सकता है जिनके जरिए रेलवे के अधीनस्‍थ समस्‍त परितंत्र पर सकारात्‍मक असर सुनिश्चित किया जा सकता है। इसे ध्‍यान में रखते हुए रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने एक वेब पोर्टलwww.railsahyog.in लांच किया। यह वेब पोर्टल सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्‍व) कोष के जरिए रेलवे स्‍टेशनों पर एवं इनके निकट सुविधाओं के सृजन में योगदान के लिए एक प्‍लेटफॉर्म सुलभ कराएगा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी एवं रेलवे बोर्ड के अन्‍य सदस्‍य, कोयला मंत्रालय में सचिव डॉ. इंदर जीत सिंह और रेलवे एवं कोयला मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारीगण भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इसमें योगदान की इच्‍छुक कंपनियां अपने अनुरोधों के पंजीकरण के जरिए इस पोर्टल पर अपनी इच्‍छा जाहिर कर सकती हैं। इन अनुरोधों की प्रोसेसिंग रेलवे के अधिकारीग\nण करेंगे। ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के सिद्धांत के आधार पर इन अनुरोधों की छटनी की जाएगी और चयनित आवेदकों को रेलवे/नामित एजेंसियों जैसे कि राइट्स/रेलटेल, इत्‍यादि के यहां संबंधित धनराशि जमा करने के बारे में सूचित कर दिया जाएगा। इसके बाद नामित एजेंसी संबंधित कार्य को पूरा करेगी।

इस अवसर पर पीयूष गोयल ने कहा कि ‘रेल सहयोग’ पोर्टल बदलते समय के साथ-साथ रेलवे में परियोजनाओं के त्‍वरित क्रियान्‍वयन का भी एक उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है। इस पोर्टल की अनोखी खूबी इसकी सादगी और पारदर्शिता है। यह पोर्टल उद्योग जगत/कंपनियों/संगठनों को रेलवे के साथ सहयोग करने का उत्तम अवसर प्रदान करेगा। यह पोर्टल न केवल यात्रियों के लिए, बल्कि रेलवे के आसपास के क्षेत्रों के लिए भी लाभदायक साबित होगा। मंत्री महोदय ने विशेष जोर देते हुए कहा कि इस पहल के तहत चिन्हित प्रत्‍येक गतिविधि के लिए तय लागत महज सांकेतिक होगी, लेकिन मुख्‍य फोकस इस गठबंधन के जरिए बेहतरीन परिसंपत्तियों का सृजन सुनिश्चित करने पर होगा। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि इस पोर्टल की परिकल्‍पना भारतीय रेलवे के सहयोग से सीएसआर गतिविधियों में योगदान हेतु निजी एवं सार्वजनिक संगठनों सहित सभी के लिए एक प्‍लेटफॉर्म के रूप में की गई है।

इस अवसर पर श्री अश्विनी लोहानी ने कहा कि ‘रेल सहयोग’ कंपनियों के समक्ष मौजूद उन सभी बाधाओं को दूर करेगा जो रेलवे के साथ सहयोग के मार्ग में मौजूद हैं। उन्‍होंने कहा कि लोगों एवं निजी कंपनियों को रेलवे से जुड़ी परियोजनाएं क्रियान्वित करने की आजादी है।

सीएसआर के जरिए वित्त पोषण के लिए जिन गतिवि‍धियों की पहचान की गई है उनमें निम्‍नलिखि‍त शामिल हैं :

  • सभी स्‍टेशनों के परिसंचरण क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण किया जाएगा। महिला शौचालयों में किफायती सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन एवं भस्मक और पुरुष शौचालयों में कंडोम वेंडिंग मशीन होगी तथा एक साल के लिए इनके आरंभिक रखरखाव की व्‍यवस्‍था होगी। प्रति स्‍टेशन लागत आएगी: लगभग 22-30 लाख रुपये।

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  • हॉट स्‍पॉट स्‍थापित करके स्‍टेशनों पर मुफ्त वाई-फाई सुविधा सुलभ कराई जाएगी। प्रति स्‍टेशन लागत आएगी: लगभग 10.30 – 12.30 लाख रुपये।

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  • वरिष्‍ठ नागरिकों/दिव्‍यांगजनों के लिए स्‍टेशन प्‍लेटफॉर्मों पर बेंचों की सुविधा। प्रति सेट लागत आएगी: लगभग 17500 – 47500 रुपये।

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  • बेहतर पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए 2175 प्रमुख स्‍टेशनों पर बॉटल क्रशिंग मशीनें लगाई जाएंगी रेलवे यात्रियों द्वारा खाली किए गए प्‍लास्टिक की पानी/कोल्‍ड ड्रिंक बोतलों को इन मशीनों में डालकर नष्‍ट किया जाएगा, ताकि प्‍लास्टिक प्रदूषण का समुचित प्रबंधन हो सके। प्रति मशीन लागत आएगी: लगभग 3.5 – 4.5 लाख रुपये।

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  • स्‍वच्‍छ भारत के लिए सभी स्‍टेश्‍नों पर डस्‍टबि‍न की व्‍यवस्‍था की जाएगी, ताकि आसपास गंदगी को फैलने से रोका जा सके। स्‍टेशनों एवं प्‍लेटफॉर्मों के परिसंचरण क्षेत्र में गीले/सूखे कचरे के लिए अलग-अलग डस्‍टबिन की व्‍यवस्‍था करने की जरूरत है। प्रति सेट (दो डस्‍टबिन) लागत आएगी: लगभग 4500 रुपये।

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इस बारे में प्राप्‍त होने वाले सुझावों के आधार पर सीएसआर के जरिए वित्त पोषण के लिए कुछ अन्‍य वस्‍तुओं पर भी विचार किया जाएगा।

किसी भी सूचना के लिए कृपया निम्‍नलिखित ई-मेल के जरिए रेल सहयोग से संपर्क करें:

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