पीएम नरेन्द्र मोदी ने शांतिनिकेतन के छात्रों से माफ़ी मांगी

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विश्व भारती विश्वविद्यालय के छात्रों ने इशारे से पेय जल की व्यवस्था नहीं होने की दी जानकारी 

विश्व भारती विश्वविद्यालय के 49वें दीक्षांत समारोह में मोदी, हसीना और ममता एक मंच पर मौजूद 

पीएम ने बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना की जमकर तारीफ़ की 

पीएम नरेन्द्र मोदी ने शांतिनिकेतन के छात्रों से माफ़ी मांगी 2शांतिनिकेतन : लम्बे समय के बाद शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी एक मंच पर साथ नजर आए। विश्व भारती विश्वविद्यालय के 49वें दीक्षांत समारोह में  शामिल होने तीनों हस्तियाँ मौजूद थीं.  पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर भारत और बांग्‍लादेश के प्रगाढ़ होते आर्थिक एवं सामाजिक और राजनयिक संबंधों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के एक सामन लक्ष्य हैं और साझा हित के लिए  दोनों एक-दूसरे की संस्‍कृति और काम करने के तौर तरीके से सीख रहे हैं।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सबसे पहले तो मैं चांसलर होने के नाते आपसे एक बात के लिए माफी मांगना चाहता हूं। जब मैं यहां आ रहा था तो कुछ छात्र मुझे संकेत में बता रहे थे कि यहां पीने के पानी की व्‍यवस्‍था नहीं है। मैं इस असुविधा के लिए आपसे माफी मांगता हूं।

इससे पूर्व प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार सुबह यहां पहुंचे, जहां पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने उनका स्‍वागत किया। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पश्चिम बंगाल इकाई के कई नेता भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के किसी मुख्यमंत्री ने पहली बार शान्ति निकेतन का रिकॉर्ड तोड़ा. यहाँ राज्य के सीएम को आमंत्रित करने की परम्परा नहीं है. इससे इससे पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने इस समारोह में भाग लिया था लेकिन उन्हें मंच पर आमंत्रित नहीं किया गया था. 

प्रधानमन्त्री ने बांग्‍लदेश की पीएम की ओर संकेत करते हुए कहा कि बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना हमारे बीच हैं। भारत और बांग्‍लादेश दो अलग-अलग देश हो सकते हैं, पर दोनों के हित आपस में जुड़े हुए हैं। हमारी संस्‍कृति एक है और हमारी आवश्यकताएं भी समान हैं. हम एक दूसरे के लिए काम करने को तत्पर हैं. बांग्लादेश में शेख हसीना के कार्यकाल को स्वर्णिम काल बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनकी ओर से बंगलादेश में 2021 तक सभी को बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है और भारत ने इस लक्ष्य के तहत देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचा दी है.

उन्होंने कहा बांग्लादेश के विकास में भारत हर संभव मदद के लिए तैयार है. उन्होंने  बांग्‍लादेश भवन को भारत और बंगलादेश के बीच एक मजबूत दोस्ती का प्रतीक बताया.

इस अवसर पर रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देते हुए उन्‍होंने कहा कि छात्रों को लेकर उनकी सोच व्‍यापक थी। उनका दर्शन जितना भारत के लिए प्रासंगिक है उतना ही बांग्लादेश के लिये भी .

विश्व भारती में संबोधन के बाद उन्‍होंने बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री के साथ शांति निकेतन में बांग्‍लादेश भवन का उद्घाटन किया। इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं ।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज पश्‍चिम बंगाल में शांतिनिकेतन का दौरा किया। उन्‍होंने बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की शांतिनिकेतन में आगवानी भी की। गुरूदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देते हुए दोनों नेताओं ने आगंतुक पुस्‍तिका में हस्‍ताक्षर किए। इसके बाद दोनों नेताओं ने विश्‍व भारती विश्‍वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्‍सा लिया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को श्रेष्‍ठ शिक्षा देने वाला बताया और कहा कि भारतीय लोकतंत्र 125 करोड़ लोगों को प्रेरणा देता है। उन्‍होंने कहा कि यह उनका सौभाग्‍य है कि वह गुरूदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर की पावन भूमि पर शिक्षित लोगों के बीच है।

श्री मोदी ने आज उपाधि प्राप्‍त करने वाले छात्रों को शुभकामनाएं दी। उन्‍होंने कहा कि जिन छात्रों ने यहां अध्‍ययन किया है उन्‍होंने सिर्फ डिग्री ही हासिल नहीं की है बल्‍कि वे यहां की महान विरासत के उत्‍तराधिकारी भी बने हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वेद की शिक्षाएं समूचे विश्‍व को एक घोंसला या कुटुम्‍ब मानती हैं, जो विश्‍व भारती विश्‍वविद्यालय के मूल्‍यों में प्रतिबिम्‍बित होती है।

बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का स्‍वागत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत और बांग्‍लादेश दो देश हैं, जिनके परस्‍पर हित आपसी सहयोग और समन्‍वय से जुड़े हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरूदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर का दुनिया भर में बेहद सम्‍मान किया जाता है। श्री मोदी ने बताया कि उन्‍हें 3 साल पहले ताजिकिस्‍तान में गुरूदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर की मूर्ति का अनावरण करने का अवसर प्राप्‍त हुआ। उन्‍होंने कहा कि दुनिया भर के विश्‍वविद्यालयों में गुरूदेव टैगोर आज भी अध्‍ययन का एक विषय है। श्री मोदी ने गुरूदेव को वैश्‍विक नागरिक बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरूदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर चाहते थे कि भारतीय छात्र दुनिया भर की उन्‍नति से कदमताल करें, लेकिन अपनी भारतीयता को बरकरार रखें। उन्‍होंने विश्‍व भारती विश्‍वविद्यालय के आसपास के गांवों में कौशल विकास और शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने विश्‍व विद्यालय को अपने शताब्‍दी वर्ष 2021 तक अपने दायरे को 100 गांवों तक विस्‍तार देने के लिए प्रोत्‍साहित किया। उन्‍होंने इन 100 गांवों के समग्र विकास के लिए विश्‍वविद्यालय का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 तक नये भारत के निर्माण में विश्‍व भारती विश्‍वविद्यालय जैसे संस्‍थान महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्‍होंने शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्‍लेख किया।

बांग्लादेश भवन के उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने इसे भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक बताया।

उन्होंने कहा कि विश्व विद्यालय और इसकी पवित्र भूमि का इतिहास है कि इसने दोनों ही देशों – भारत और बांग्लादेश – के स्वतंत्रता संग्रामों को देखा है।

उन्होंने कहा कि बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान भारत और बांग्लादेश, दोनों ही देशों में सम्मान पाते हैं। इसी तरह नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी को बांग्लादेश में उतना ही सम्मान प्राप्त है जितना भारत में।

उन्होंने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर उतने ही बांग्लादेश के हैं जितने भारत के। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर का सार्वभौमिक मानवता का सिद्धांत केंद्र सरकार के सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास’ में परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि क्रूरता और आतंकवाद के खिलाफ भारत और बांग्लादेश की प्रतिबद्धता बांग्लादेश भवन के माध्‍यम से भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने पिछले वर्ष नई दिल्ली में बांग्लादेश द्वारा भारतीय सैन्यकर्मियों को सम्मान देने के कार्यक्रम को याद किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों के लिए पिछले कुछ वर्ष स्वर्णिम रहे हैं। उन्होंने भूमि सीमा मामलों तथा विभिन्न कनेक्टिविटी परियोजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि देनों ही देशों के लक्ष्य समान हैं और इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वे समान रास्ते पर चल रहे हैं।

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