नकली दूध, खोया, मिठाई और तेल बनाने वालों की चांदी

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दिवाली का सीजन शुरू

यूनुस अलवी

मेवात :    दिवाली का सीजन शुरू होते ही मेवात जिला में नकली, दूध, खोया, पनीर, मिठाई और सरसो का नकली तेल बनाने वालों की चांदी शुरू हो गई है। यह कारोबार मेवात ही नहीं बल्कि राजस्थान तक में फैला हुआ है। दिवाली के अवसर पर दिल्ली प्रदेश में दूध कि बढती मांग को देखते हुऐ नकली दूध आदी के सैंकडों टेंकर, टेंपू प्रतिदिन दिल्ली वासियों को मीठा जहर परोस रहे हैं। ये नकली सामान मेवात जिला के पिनगवां, पुनहाना, नगीना, नूंह, फिरोजपुर झिरका और तावडू में ही नहीं बल्कि राजस्थान के अलवर, कामा में धडल्ले से बनाया जा रहा है।

नकली दूध, पनीर, खोया, सरसों का तेल और मिाठाई बनाने वाले मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों कि जिंदगी से खिलवाड कर रहे हैं। जल्दी ही सरकार और प्रसाशन ने इसे रोकने के ठोस कदम नहीं उठाये तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड सकते हैं। नकली दूध से बने पनीर, खोवा, दूध और दूध से बनी मिठाईयां बना कर जहां दिल्ली सप्लाई कि जा रही हैं वहीं, इनका प्रयोग मेवात में भी खूब हो रहा है।

वैसे तो हर चीज में मिलावट आम हो गई है, लेकिन त्योंहारों के मौके पर मिलावट करने वाला तंत्र कुछ अधिक ही सक्रिय हो जाता है। मिलावट करने वाले जमकर खूब मुनाफा कमाते है और आम आदमी को इसका खामयाजा भुगतना पडता है। आखिर इस तंत्र पर लगाम कौन लगाये सबसे बडा सवाल यह है? खुले आम चल रहे इस गोरख धंधे कि कालिस से कोई भी अछूता नहीं हैं। हर कोई इसमें संलिप्त होता नजर आ रहा है। इन मिलावट खोरों ने धन कमाने के चक्कर में मानवीय संवेदना को तार-तार कर दिया है।

नकली दूध बनाने के दूधियों ने अब नये-नये तरीके इजाद कर लिये हैं, जो जांच में खासी परेशानी पैदा करते हैं। सरसरी जांच में तो इस नकली दूध में फेट, घी और क्रीम पूरा मिलता है, गहराई से जांच के बाद ही इसका खुलासा हो सकता है। सूत्रों के अनुसार कृत्रिम दूध बनाने में दूध पावडर, बूरा, रिफाईंड,गलूकोज, नमक, यूरिया खाद, इजी सैंपू आदी कई अन्यों और चीजों को मिलाकर बनाया जाता है।

इतना सब कुछ जानने के बावजूद खाद्दय एवं आपूर्ति विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पुुलिस विभाग और जिला प्रसाशन के अधिकारी आंख बंद कर बैठे हैं। लगता है ये विभाग किसी बडी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं। कुछ समय पहले पुनहाना थाना से मात्र 100 मीटर कि दूरी पर भारी मात्रा में नकली दूध पकडा गया था, उसका क्या रहा कोई बोलने को तैयार नहीं है।

कैसे बनता है नकली दूध

आधा लीटर शुध दूध और सोयाबीन रिफाईंड का आधा लीटर तेल मिक्सर से मिलाते हैं। यह फैट बनकर तैयार हो जाता है। गिरावटी के लिये थोडा नमक, चीनी(बूरा),यूरिया खाद और ग्लूकोज को पानी में मिलाते हैं अगर गिरावटी कम रह जाती है तो उसके एक अलग किस्म को केमीकल मिलाते हैं। दूध में 23-24 गिरावटी होना जरूरी है। दूध का नंबर 50 से ऊपर पास हो जाता है लेकिन 65 से ऊपर का दूध प्योर माना जाता है। दूध में झाग लाने के लिये यूािया खाद और इजी सैंपू का प्रयोग किया जाता है।

 

क्या कहना है ग्वाला गद्दी का

मेवात जिला के गांव पिनगवां निवासी और ग्वाला गद्दी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन सिंह आहलूवालिया का कहना है कि नकली दूध मेवात में ही नहीं बल्कि राजस्थान में इसका धंधा जोरों पर चल रहा है। यह बिना प्रसाशन कि मिली भगत से संभव नहीं है। इस गोरख धंधे पर तुरंत लगाम  लगनी चाहिये।

सरसों के तेल में भी मिलावट का खेल

तेल के धंधे से जुडे कई लोग सरसों की पेराई व तेल में कई ऐसी वस्तुओं के मिलावट कर रहे हैं जो काफी सस्ती हैं। दपिावली के सीजन के मौके पर तेल कि अधिक डिमांड होने कि वजह से दूध व्यापारियों के साथ-साथ नकली सरसों का तेल बनाने वाले भी काफी सक्रिय हो जाते हैं।

क्या कहते है सिविल सर्जन मेवात

इस संबध में  सिविल डा. कमल मेहरा ने बताया कि दिपावली के त्योहारों के चलते मिलावट की शिकायतें भारी मात्रा में मिल रही हैें। जिस पर कार्रवाई के लिए योजना तैयार कर टीम तैयार कर दी गई है। पूरे जिले में मिलावट खोरों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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