पनाचायत चाँदनकी गैरकानूनी तरीके से 20 वर्षो से भौंडेदारी की जमीन पर पटटा छोड रही है

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अदालातों के स्टे और पीडित पक्ष में फैंसला आने के बाद भी पंचायत पटटा छोड रही है
: सरपंच को पंचायत के चुनाव में वोट ना देने पर वर्ष 1998 में जबरस्ती जमीन छीन ली थी
 
यूनुस अलवी
 
मेवात:  उपमंडल की ग्राम पंचायत चांदनकी कानून और अदालत के आदेशों कों ठेंगा दिखाते हुऐ दलित फकीर जाती परिवार के लोगों की जमीन को जबरजस्ती  पिछले 20 साल से गैरकानूनी तरीके से पटटे पर छोडती आ रही है। जबकि एसडीएम कोर्ट, सिविल कोर्ट, कमिश्रर कोर्ट और हाईकोर्ट ने पीडित परिवार को जमीन पर काजिब बना रखा है। पंचायत द्वारा जबरजस्ती छोडे जा रहे पटटे पर कश्रिर अदालत ने वर्ष 31 अगस्त 1998 से ही रोक लगा रखी है। उसके बावजूद भी पंचायत पर इसका कोई असर नहीं हैं।
  गांव चांदनकी निवासी नूर मोहम्मद, उमर मोहम्मद ने बताया कि उनके पास गांव में 9 कनाल 16 मरला भौंडेदारी की जमीन है। जिसको उनके बाप-दादा सैंकडोंं सालों से जोत-बोते आ रहे थे। वर्ष 1998 में गांव के तत्कालीन सरपंच शमशुदीन को पंचायत चुनाव में वोट ना देने से रंजिश रखते हुऐ उसने उनकी जमीन पर जबरजस्ती कब्जा कर लिया था। जब उन्होने इसकी तहकीकात की तो पंचायत ने फर्जी तरीके से एसडीएम अदालत फिरोजपुर झिरका से उनको 31 जुलाई 1998 को बेदखल करा दिया था। वह इस मामले को लेकर कमिश्रर की अदालत में गऐ जहां अदालत ने 31 अगस्त 1998 को एसडीएम के आदेश पर रोक दी थी और 15 जून 2000 में कमिश्रर ने उनके हक में फैंसला सुनाते हुऐ उनको ही जमीन पर काबिज माना। उसके बाद ग्राम पंचायत हाईकोर्ट चली गई जहां हाई कोर्ट ने कमिश्रर की स्टे को ही लागू रखा। हाईकोर्ट ने 2 नंवबर 2013 में दिऐ अपने फैंसले में भौंडेदार (नूरमोहम्मद, उमर मोहम्मद आदि) को ही काबिज रखा।
   नूरमोहम्मद, उमर मोहम्मद ने बताया कि अदालतों से फैंसला उनके हक में आने पर वह पिछले 20 सालों से जमीन पर कब्जा लेने की पुलिस, तहसीलदार, डीसी, एसडीएम आदि से मांग करते आ रहे हैं। राजनेतिक दवाब के चलते उनको आज तक जमीन का कब्जा नहीं दिया गया है और ग्राम पंचायत चांदनकी गैरकानूनी तरीके से भौंडेदारी जमीन का पटटा छोडती आ रही है। उनका कहना है कि प्रदेश की पिछली सरकार ने 2010 में आदेश दिया था कि जो भौंडेदार, डोलीदार, बोटीदार आदि पिछले 20 साल से काबिज हैं वे एसडीएम कोर्ट में अपने सबूत पैश कर मालिक बन सकते हैं। उनका कहना है कि मालिक बनने का तो मामला अभी एसडीएम कोर्ट में चल रहा है लेकिन तत्कालीन एसडीएम फिरोजपुर झिरका ने वर्ष 2012 में ही उनका कब्जा बरकरार रखने का आदेश दिया हुआ है।
   उन्होने बताया कि जबभी उन्होने अपनी जमीन का पंचायत से कब्जा मांगा तो उन्होने पूरे परिवार के साथ मारपिटाई की। कई बार थाना, तहसील में शिकायत दी लेकिन पुलिस ने राजनेतिक दवाब के चलते उनको ही कई बार हवालात में बंद कर जबरजस्ती फैंसला कराया। उन्होने कहा कि अगर जल्द ही उनको जमीन का कब्जा नहीं दिया गया तो वे इस मामले को दुबारा हाईकोर्ट की अवमानना करने को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाऐगें।
 
क्या कहते हैं सरपंच
 
गांव चांदनकी की महिला सरपंच का कार्य देख रहे उनके जेठ हफीज ने बताया कि उन्होने पूरे मामले की जानकारी नहीं है पर पंचायत भौंडेदारी वाली जमीन का पटटा छोडती आ रही है। अगर सरकार या अदालत का कोई आदेश आऐगा तो पंचायत उसकी पालना करेगी।  
 
क्या कहते हैं पंचायत अधिकारी
 
पंचायत ऑफिसर नसीम ने बताया कि शिकायतकर्ता ने इस मामले की सीएम विंडो लगा रखी है। उसने चांदनकी गांव के सरपंच और ग्राम सचिव से रिकोर्ड मांग रखा है। जल्द ही मामले ही पूरी जांच की उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी जाऐगी।

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