मेवात के स्कूलों से नहीं छूट रहा उपलों और लडकियों से खाना बनाने का धंधा

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अध्यापक और अधिकारियों पर नहीं है इसका कोई ठोस जवाब

जहटाना स्कूल में आज तक नहीं आया चूहला गैस

रसोई भी नहीं है तो स्कूल के बरामदें में ही बनता है खाना

यूनुस अलवी

मेवात के स्कूलों से नहीं छूट रहा उपलों और लडकियों से खाना बनाने का धंधा 2
मेवात :भले ही केंद्र और हरियाणा सरकार ने स्कूल ही नहीं बल्कि आम गरीब लोगों को धूओं के प्रदूषण से बचाने के लिए कई कदम उठाए हों लेकिन इन योजनाओं को मेवात के कई स्कूलों को अभी फायदा नसीब नहीं हो सका है। स्कूलों में गैस सिलेंडर और गैस चूहला खरीदे ना जाने की वजह से महिलाऐं स्कूलों के बच्चों को दोपहर का खाना यानि मिड-डे-मील उपलों और लकडियों से ही बना रही हैं। इतना ही नहीं स्कूलो में खाना बनाने की रसोई ना होने की वजह से स्कूल के बरामदों में ही खाना बनाया जा रहा है। उपलों और लकडियों ने निकलने वाले धूंओं के प्रदूषण से बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड रहा है।
 
     प्राप्त जानकारी के अनुसार मेवात जिला में काफी ऐसे स्कूल हैं जहां अभी तक ना तो खाना बनाने के लिए रसोई बनी हैं और ना ही उनमें चूहला-गैस सिलेंडर ही उपलब्ध कराए गए हैं। हमारा टीम ने पुनहाना खंड के गांव जहटाना के प्राईमरी, मिडिल और वरिष्ठ माद्ययमिक विद्यालयों को दौरा किया जहां जहां आज भी दोपहर के वक्त स्कूल के बच्चों को बनने वाला मिड-डे-मील ऊपलों और लडकियों से ही बनाया जा रहा है। गांव जहटाना के प्राईमरी स्कूल में खाना बनाने के लिए रसोई ना होने की वजह से महिलाऐं स्कूल के बरामदें में ही खाना बना रही हैं। खाना बनाने वक्त उपलों और लकडियों से निकलने वाला धूंआ सीधा बच्चों के क्लास रूम में जा रहा था। धूंओं की वजह से बच्चों की पढाई तो प्रभावित होती ही है साथ ही उनकी सेहत को भी नुकसान होता है।
 
   प्राईमरी स्कूल में उपलों और लकडियों से खाना बना रही कुक खेरूना और जमीला का कहना है कि वे पिछले चार साल से स्कूल में खाना बनाती हैं। उनके पास कोई गैस सिलंडर नहीं है, रसोई ना होने की वजह से उनको मजबूर होकर स्कूल के बरामदें में ही खाना बनाना पडता है। बरसात के समय में लकडी और ऊपले भीग जाने से खाना बनाने में उनको बहुत परेशानी होती है। धूंओं की वजह से उनकी आखों भी खाराब हो रही हैं। वे करीब 350 बच्चों का हर रोज खाना बनाती हैं।
 
   गांव जहटाना के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में खाना बनाने का काम करने वाली असरी ने बताया कि वे पिछले दस साल से स्कूल में खाना बनाती हैं। गैस सिलेंडर और चूहला गैस ना होने की वजह से उनको बहुत परेशानी होती है। उन्होने चूहला गैस लाने के लिऐ अध्यापकों से बहुत बार कहा लेकिन उनकी मांग पर कोई गौर नहीं किया गया।
 

 

क्या कहते हैं खंड शिक्षा अधिकारी

 
 जब इस बारे में पुन्हाना के खंड शिक्षा अधिकारी अबुल हुसैन से बाती की तो उन्होने कोई ठोस जवाब देने की बजाऐ कहा कि स्कूलों को सिलैंडर और चूलहा खरीदने के लिए पैसे भेजे जा चुके हैं। उन्होने अभी तक क्यों नहीं खरीदे ये स्कूल के प्रिंसिपल की जिम्मेदारी है, उसे इससे कुछ लेना देना नहीं है। वहीं स्कूल के प्रिंसिपल जीवन लाल का कहना है कि उसने कुछ दिन पहले ही स्कूल का चार्ज संभाला है, वह इसका पता लगाऐंगें अभी तक गैस सिलैंडर और चूहला क्यों नहीं खरीदे गए हैं।

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