जलसंरक्षण में जनता का योगदान आवश्यक : राव इन्द्रजीत

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डीएलएफ सिटी क्लब में ट्रांसफोर्मिंग दी नजफगढ़ बेसिन’ विषय पर कार्यशाला

गुरूग्राम, 17 अगस्त। केन्द्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने आज कहा कि गुरुग्राम तथा आसपास के क्षेत्र में भविष्य में संभावित पानी की कमी को ध्यान में रखते हुए सभी को अपने-अपने तरीके से जलसंरक्षण में योगदान देने की आवश्यकता है। वे आज  भविष्य के लिए जल संरक्षण की योजना बनाने तथा नजफगढ़ बेसिन के मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के उद्द्श्य से गुरुग्राम के डीएलएफ फेज-4 के सिटी क्लब में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बोल रहे थे। इस कार्यशाला में वरिष्ठ अधिकारियों सहित गुरुग्राम के कई हितधारकों ने भाग लिया। डीएलएफ फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला का विषय ‘ट्रांसफोर्मिंग दी नजफगढ़ बेसिन’ था जिसमें इंडिया वाटर पार्टनरशिप और इंडिया नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज (ढ्ढहृञ्ज्रष्ट॥) ने सहयोग दिया। कार्यशाला में विभिन्न विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर नजफगढ़ बेसिन के पुनर्वास के अंतराल और चुनौतियों की पहचान करना तथा समग्र और स्थायी तरीके से संकट को दूर करने के लिए रणनीति तैयार करना ही उद्देश्य था।
 
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि पानी मूलभूत आवश्यकता है और इसको बचाने के लिए हर व्यक्ति को प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार इस कार्य में अपनी भूमिका अदा करने को तैयार है, प्रशासन ने भी इस दिशा में काफी रिसर्च की है और प्राइवेट पार्टियों को सीएसआर के अंतर्गत जल संरक्षण तथा सीवरेज डिस्पोजल में योगदान देना चाहिए। सभी एकजुट होकर प्रयास करेंगे तभी अगली पीढिय़ों के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो पाएगा। उन्होंने कहा कि देश में लगभग 62 हज़ार एमएलडी सीवेज प्रतिदिन बनता है जिसमें से केवल 23 हज़ार एमएलडी ही ट्रीट होकर अर्थात् शोधित करके पुन: प्रयोग में लाया जाता है। उन्होंने कहा कि सीवेज और सैपटिक प्रबंधन में हम दुनिया के अग्रणी देशों से हम काफी पीछे हैं। उनका मत था कि सीवरेज के पानी को शोधित करके उसे जलाशय में डाला जाना चाहिए ताकि वह पानी बागवानी आदि में प्रयोग के साथ साथ भूमिगत जलस्तर के सुधार में भी उपयोगी हो।
 
इस मौके पर उन्होंने एसवाईएल नहर का भी उल्लेख किया और कहा कि प्रैजीडेंशियल रैफरेंस के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में वर्षों से लंबित इस मामले पर वर्तमान भाजपा सरकार ने तेजी से सुनवाई करवाई और फैसला हरियाणा के हक में आया है। अब न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि पानी की उपलब्धता है या नही, एसवाईएल नहर का निर्माण होना चाहिए। राव इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि इस फैसले से अब प्रदेश की जनता को यह विश्वास हो गया है कि अब हरियाणा को एसवाईएल का पानी अवश्य मिलेगा। 
 
इससे पहले नगर निगम आयुक्त वी उमाशंकर ने कहा कि नगर निगम द्वारा अपने क्षेत्र में जलाशयों के जीर्णोद्धार का कार्य चरणबद्ध तरीके से शुरू कर दिया है। पहले चरण में बसई, सुखराली, जहाजगढ़ तथा समसपुर के जोहड़ो का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुखराली के जोहड़ में गांव का गंदा पानी भी जाता है इसलिए निर्णय लिया गया है कि वहां पर छोटे-छोटे एसटीपी लगाकर उस गंदे पानी को साफ करके जोहड़ में डाला जाए। उन्होंने बताया कि नगर निगम द्वारा ऐसे 38 स्थानों की पहचान की गई है जहां पर खुली ड्रेन में सीवरेज का पानी डाला जाता है जिसे रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके साथ उन्होंने कहा कि नजफगढ़ झील का जीर्णोद्धार करने का विचार अच्छा है। नजफगढ़ ड्रेन के तटबंध दिल्ली की तरफ तो है लेकिन हरियाणा की तरफ नही हैं। उन्होंने कहा कि नजफगढ़ झील को विकसित करने पर भारी खर्च आने का अनुमान है जिसमें प्राइवेट सैक्टर को योगदान देने के लिए आगे आना चाहिए। 
 
गुरुग्राम के मंडलायुक्त डा. डी सुरेश ने पानी के वितरण और शहरीकरण पर अपने विचार रखे। उनका कहना था कि पानी वितरण का सही प्रबंधन नही होने की वजह से लोगों को 24 घंटे पानी की आपूर्ति नही हो पा रही है। उन्होंने कहा कि 150 एलपीसीडी क्षमता के साथ भी हम 5 से 6 घंटे ही पानी की आपूर्ति कर पाते हैं जबकि दुनिया के कई देशों में मात्र 100 एलपीसीडी क्षमता पर भी 24 घंटे पानी की आपूर्ति हो रही है। इसके साथ डा. सुरेश ने यह भी कहा कि पानी के कनेक्शन पर मीटर नही लगे होने तथा अवैध कनेक्शन जिनका बिल नही भरा जाता, उनकी वजह से भी पानी की बर्बादी हो रही है। उन्होंने पानी के कनेक्शनों पर मीटर लगवाने तथा सभी पानी उपभोक्ताओं से बिल वसूलने की वकालत की। 
 
इससे पहले अपने विचार रखते हुए उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने एकीकृत जल प्रबंधन कार्यक्रम के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बरसात के दिनों मे ज्यादातर पानी नालियों मे बह जाता है, जिसको वाटर हारवेस्टिंग करके जमीन में डालने की जरूरत है। उन्होने ये भी कहा कि जल संरक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए समाज के हर व्यक्ति को अपना योगदान पानी की बचत करने में देना चाहिए। श्री सिंह ने बताया कि गुरुग्राम को भूजल स्तर में गिरावट की वजह से सैंट्रल ग्राऊंड वाटर अर्थोरिटी द्वारा डार्क जोन घोषित किया हुआ है, इसलिए सीवेज के पानी को शोधित करके पुन: प्रयोग में लाना जरूरी हो गया है और उस पानी का प्रयोग बागवानी तथा गाड़ी आदि धोने में किया जा सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि स्थानीय स्तर पर जल प्रबंधन की आवश्यकता है और हम ऐसे उपाय करें कि बादशाहपुर ड्रेन या नजफगढ़ नाले में कम से कम पानी जाए।
 
कार्यशाला में डॉ. डी. सुरेश, गुरुग्राम उपायुक्त, विनय प्रताप सिंह, दिल्ली के पर्यावरण सचिव केशव चंद्र,  गुरुग्राम एमसीजी- आयुक्त वी. उमाशंकर, हरियाणा, डीएलएफ फाउंडेशन के सीईओ विनय साहनी, हुडा प्रशासक- यशपाल यादव, हरियाणा सिंचाई और जल संसाधन के एसई एस. एस. रावत, वेट लैंड्स एंड रिवर्स, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ  के निदेशक सुरेश बाबू सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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