मोब लिंचिंग की घटनाओं को साम्प्रदायिक रंग देने के लिए की कांग्रेस की तीव्र आलोचना
सुभाष चौधरी /प्रधान संपादक
नई दिल्ली : लोकसभा में भीड़ द्वारा किए जा रहे कथित उपद्रव व हत्या की घटनाओं पर सोमवार को लगभग छह घंटे हुयी चर्चा में विपक्ष को करारा जवाब केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने दिया. उन्होंने कहा कि विपक्ष आज मुद्दा विहीन है और केवल राजनीति के लिए इस तरह के आधारहीन विषयों को उठाते हैं. उन्होंने कहा कि सबसे अधिक सांप्रदायिक दंगे उत्तर प्रदेश में हुए हैं जबकि दलित उत्पीडन भी इसी राज्य में सर्वाधिक हुए हैं. उनके अनुसार पश्चिम बंगाल इस मामले में दूसरे स्थान पर रहा है. लेकिन कांग्रेस व टीएमसी के सांसद इस पर कभी कुछ नहीं बोलते हैं. इनको देश की समस्या के हल की चिंता नहीं है बल्कि राजनितिक जमीन खिसकने की चिंता है.
आज चर्चा की समाप्ति पर केन्द्रीय गृह मंत्री श्री रिजीजू जवाद देने के लिए उठे तो कांग्रेस के सांसद उन्हें बारम्बार टोका टोकी करते रहे और फिर बीच में ही मल्लिकार्जुन खड्गे के नेतृत्व में सदन से वाक आउट कर गए.
इससे पूर्व चर्चा की शुरुआत करते हुए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड्गे ने न एक दर्जन से अधिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि पी एम् नरेन्द्र मोदी ने इन घटनाओं में शामिल लोगों की निंदा तो की लेकिन इस पर कारवाई नहीं हुई. इसके जवाब में भाजपा की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता हुकुमदेव नारायण यादव ने खुद के क्षेत्र में हिन्दूओं के साथ हुई तीन घटनाओं का जिक्र कर कांग्रेस के एकतरफा आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया. भाजपा नेता नें डॉ. लोहिया के भाषण के अंश को उधृत करते हुए कांग्रेस को याद दिलाया कि किसी भी समाज की धार्मिक परम्पराओं को बाधित करना मोब लिंचिंग से कहीं बड़ा अपराध है और इसकी भी मजबूती से आलोचना की जानी चाहिए.
चर्चा में केन्द्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान ने भी भाग लिया और कांग्रेस के शासन काल में 1984 के दंगे का उल्लेख कर सबसे बड़ी मोब लिंचिंग के लिए कड़ी आलोचना की . उन्होंने कहा कि आज पीएम नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को समाप्त कर दिया है जबकि कांग्रेस भ्रष्ट नेताओं से ही हाथ मिला रही है. उनके पास कोई मुद्दा नहीं है . उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले में सभी को दलगत राजनीति से अलग होकर इस प्रकार की घटनाओं की निंदा करनी चाहिए . हमें एक प्रस्ताव पारित कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कारवाई करने की अपील करनी चाहिए .
किरण रिजीजू ने अपने भाषण में क्या कहा ?
-जब भी ऐसी घटना होती है तो उसे स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना चाहिए
-हमने सभी को सलाह दिया है कि मोब लिंचिंग के बार एक्शन लें
-केंद्र सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है
– आशंका थी कि विपक्ष इसका राजनीतिकरण करना चाहता है इसलिये हमें सुनना नहीं चाहते हैं
– मैं संविधान का उल्लेख कर रहा हूँ तो भी इनको तकलीफ होती है
– देश के सामने हम पॉइंट रखेंगे तो इनको परेशानी हो रही है
– विपक्ष केवल पीएम के खिलाफ आधारहीन हवा बनाना चाहता है
-2014 में हम सता नहीं थे . महाराष्ट्र. दिल्ली में हमारी सरकार नहीं थी तब वहां मोब लिंचिंग हुयी इन्हें नहीं दिखाई दी
-पश्चिम बंगाल में मोब लिंचिंग हुयी लेकिन उसकी ये चर्चा नहीं करना चाहते हैं
-कांग्रेस ने विरोध में संसद से वाक् आउट किया
-2010 से अगर हम आंकड़ा दिखाएँगे तो कांग्रेस के लोग देश में मुंह दिखाने का लायक नहीं रहेंगे
-पीएम ने सख्त् लहजे में कहा है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो
-डॉ मनमोहन सिंह जब पीएम थे तब उन्होंने ऐसी घटनाओं की निंदा कभी नहीं की
– केवल दलित और मुश्लिम के नाम पर कांग्रेस राजनीति करना चाहती है
-सबसे ज्यादा दलितों पर अत्याचार उत्तरप्रदेश में हुआ है जब मायावती और सपा की सरकार रही है
-केरल में 2014 में कांग्रेस और फिर कम्युनिस्ट की सरकार है , सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक घटनाओं के मामले दर्ज हुए हैं
-2016 में सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश और दूसरी नंबर पर पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक घटनाएं हुई हैं
-विपक्ष केवल पीएम को टारगेट करता है
-होम मिनीस्ट्री राज्य सरकार के साथ तालमेल से काम करती है लेकिन विपक्ष केवल राजनीति करता है
-नोट इन माय नेम के नाम पर ड्रामा करते हैं
-कभी अवार्ड वापसी ड्रामा किया गया , उनकी पोल खुल गयी तो सब चुप हो गए
-कभी इन टॉलरेंस के नाम पर कुछ लोगों ने ड्रामा किया , उनकी भी पोल खुल गयी
-दिल्ली में गिरजा घर पर हमले की झूठी बात की गयी
खड्गे ने सरकार को घेरा तो हुकुमदेव ने कांग्रेस को कालनेमि बताया
इससे पूर्व संसद में चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन ने आरोप लगाया कि देश में जहाँ कहीं मोब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं उसमें बजरंग दल व वी एच पी के लोगो का हाथ है इसलिए भाजपा सरकार उनके खिलाफ एक्शन नहीं ले रही है. उन्होंने गुजरात , राजस्थान, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई कथित मोब लिंचिंग के दौरान हत्या की घटनाओं का जिक्र किया और कहा कि अधिकतर घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में ही हो रही हैं. उन्होने सवाल किया कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने आलोचना की और एक्शन लेने की बात की लेकिन अब तक क्या एक्शन लिए गए हैं इसका जवाब सरकार को देना चाहिए. श्री खड्गे ने गोरक्षकों के मामले में आरोप लगाया कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है.
उन्होंने ऐसी एक दर्जन से अधिक कथित हत्या की घटनाओं का उल्लेख किया और इसमें के ख़ास समुदाय के खिलाफ अत्याचार होने का दावा किया तो भाजपा के झारखण्ड गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पॉइंट ऑफ़ आर्डर की बात कर खड्गे द्वारा उन घटनाओं के उल्लेख करने पर आपात्ति जताई जो वर्तमान में कोर्ट के विचाराधीन है. इस पर लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन नें कांग्रेस नेता को टोका और ऐसा नहीं करने की हिदायत दी. इस पर खड्गे ने कहा कि वे केवल घटना की जानकारी दे रहे हैं न कि यह कह रहे हैं कि इसे किसने अंजाम दिया है.
उन्होंने अपने भाषण में सवाल किया कि केरल में एक कार्यकर्त्ता की हत्या हो जाती है तो वहां का राज्यपाल राज्य के गृहमंत्री से बुलाकर स्पष्टीकरण मांगते हैं और इन घटनाओं में किस राज्य के राज्यपाल ने कितने गृहमंत्रियों को बुलाया और जाँच की. इससे भाजपा की दोहरी नीति का पता चलता है.
खड्गे द्वारा उठाये गए सवालों व आरोपों के जवाब देबे भाजपा के नेता हुकुम देव नारायण यादव उठे और उन्होंने विपक्ष की सोच पर सवाल उठाया. उन्होने रामायण में कालनेमि राक्षस की चर्चा करते हुए बताया कि आज देश में कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं की सोच कालनेमी जैसी हो गयी है. उन्होंने चिंता जताई कि कालनेमि एक विचारधारा और सोच है जो देश में पैर पसार रहा है. इसे रोकने पर बल दिया. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र मधुबनी के की तीन घटनाओं का जिक्र करते हुए कांग्रेस से पूछा कि आप जुनैद और पहलु की घटना के लिए बोलते हैं लेकिन जब किसी हिन्दू को इनके धार्मिक अनुष्ठान में कोई एक समाज बाधा डालता है, उसे मूर्ति विसर्जन करने से रास्ता रोकता है तब आप क्यों नहीं बोलते हैं ? उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएँ किसी मोब लिंचिंग से कहीं बड़ा अपराध है. उन्होंने चुनौती दी कि जिन घटनाओं जिनमे हिन्दुओं को उनके धार्मिक अनुष्ठान करने से रोका गया का जिक्र उन्होंने यहाँ किया उसकी जांच किसी वरिष्ठ सदस्य की अध्यक्षता वाली समिति से कराई जा सकती है.
श्री यादव ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए डॉ राम मनोहर लोहिया द्वारा लोक सभा में 5 नवम्बर 1965 में केरल में राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रस्ताव सम्बन्धी चर्चा में दिये भाषण का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि डॉ. लोहिया कहते थे कि नीतियों की आलोचना करो लेकिन नीयत की आलोचना नहीं होनी चाहिए. कांग्रेस के नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ लोहिया परिष्कृत आर्थिक नीतिऔर राष्ट्रवादी नीति को एक साथ लेकर चलने के हामी थे. और इसलिए ही पंडित दीन दयाल और डॉ. राम मनोहर लोहिया के साथ समन्वय होने लगा था. इसके कारन ही ईर्ष्यावश उनके दुश्मनों ने दोनों की हत्या 1967 और 1968 में करवा दी.
भाजपा नेता ने कांग्रेस से सवाल पूछा कि क्या सविधान में ऐसा कोई नियम है कि केंद्र सरकार सीधे तौर पर राज्य की कानून व्यवस्था में हस्तक्षेप करे? उन्होंने याद दिलाया कि पीएम ने इन घटनाओं की मजबूती से आलोचना की और सभी राज्य सरकारों से ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती से कारवाई करने को कहा. इसमें केंद्र की भूमिका कहाँ रह जाती है. उन्होंने दावा किया कि बल्लभगढ़ में ट्रेन में जुनैद की हत्या दो लोगों के बीच सीट को लेकर कहासुनी में हुयी लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने इसे हिन्दू मुस्लिम के बीच के विवाद का रूप दे दिया. उन्होंने कहा कि यह खतरनाक सोच है. इस सोच को बदलने की जरूरत है.
टीएमसी सांसद सौगात राय की ओर से उनके वीएचपी एवं बजरंगदल के सम्बन्ध में एक बयान पर जबरदस्त हंगामा हुआ. संसदीय कार्य राज्य मंत्री एस एस अहलुवालिया ने पॉइंट ऑफ़ आर्डर बात कर सौगात राय के असंसदीय शब्द को रिकॉर्ड से बाहर करने की मांग की .