रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने राष्ट्र को किया समर्पित
रेलगाड़ियों को हरित और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की कोशिश : सुरेश प्रभु
अगले 6 महीनों के भीतर 24 अन्य डिब्बों में यही प्रणाली लगाई जाएगी
नई दिल्ली : रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज (14 जुलाई, 2017) सौर ऊर्जा से संचालित डिब्बों वाली और बैटरी बैंक की अनूठी सुविधा से युक्त पहली 1600 एचपी डीईएमयू ट्रेन राष्ट्र को समर्पित की। इन डिब्बों की प्रकाश, पंखों और सूचना डिस्पले प्रणाली संबंधी जरूरतें उनकी छतों पर लगे सौर पैनलों से पूरी की जायेंगी। जहां एक ओर इस ट्रेन का निर्माण भारतीय रेलवे की कोच फैक्टरी- इन्टेग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) चेन्नई में किया जाएगा, वहीं इसके सौर पैनल और सौर प्रणालियां भारतीय रेलवे वैकल्पित ईंधन संगठन (आईआरओएएफ), दिल्ली के द्वारा विकसित और फिट किये गए हैं। प्रथम रेक कमीशंड किया जा चुका है और यह दिल्ली में उत्तर रेलवे के शकूर बस्ती डीईएमयू शेड में स्थित है। अगले 6 महीनों के भीतर 24 अन्य डिब्बों में यही प्रणाली लगाई जाएगी। उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल की उपनगरीय रेल व्यवस्था द्वारा प्रथम रेक को वाणिज्यिक सेवा में लगाया जाएगा।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में रेलवे बोर्ड (रोलिंग स्टॉक) सदस्य रविन्द्र गुप्ता, महाप्रबंधक, उत्तर रेलवे आर के कुलश्रेष्ठ, आईआरओएएफ के सीएओ रविन्द्र गुप्ता, सीएमई उत्तर रेलवे अरूण अरोड़ा, आईआरओएएफ के सीएमई जी के गुप्ता, डीआरएम दिल्ली आर एन सिंह शामिल थे।
पांच वर्षों में 1000 मेगावाट क्षमता वाले सौर संयंत्र
इस अवसर पर अपने संबोधन में रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा, “रेलगाड़ियों को हरित और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में भारतीय रेलवे हमेशा से नई पहल करता रहा है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हरित ऊर्जा के पर्यावरण के अनुकूल उपायों के इस्तेमाल पर जोर देते रहे हैं। भारतीय रेलवे पर्यावरण के संरक्षण और स्वच्छ ईधनों के इस्तेमाल के लिए प्रतिबद्ध रहा है। भारतीय रेलवे ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों के उपयोग में वृद्धि करने की कोशिश कर रहा है। भविष्य में सौर ऊर्जा से संचालित और भी रेलगाड़ियां शामिल की जायेंगी।” भारतीय रेलवे ने पहले ही अगले पांच वर्षों में 1000 मेगावाट क्षमता वाले सौर संयंत्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारतीय रेलवे चाय की खेती, बायो-टॉयलेट, जल-पुनर्चक्रण, अपशिष्ट निपटान, सीएनजी और एलएनजी, पवन ऊर्जा आदि जैसे जैव ईंधन के इस्तेमाल जैसे पर्यावरण के अनुकूल कई उपाय कर रहा है।
रात के दौरान भी सभी आवश्यकताएं पूरी होगी
सामान्यतः डीईएमयू रेलगाड़ियां यात्रियों की सुविधाओं-प्रकाश और पंखों के लिए अपनी ड्राइविंग पावर कार (डीपीसी) में फिट किए गए डीजल से चलने वाले जेनरेटर के माध्यम से उन्हें बिजली उपलब्ध कराती हैं। आईआरओएएफ ने स्मार्ट एमपीपीटी इन्वर्टर के साथ ये प्रणाली विकसित की है जो रात के दौरान भी सभी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए चलती ट्रेन पर बिजली का उत्पादन करती है। जब सूरज की रोशनी उपलब्ध नहीं होती, उस समय भंडार की गई बैटरी के जरिये बैटरी बैंक पर्याप्त बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित करता है। यह प्रणाली डीपीसी की डीजल खपत में कमी लाने में सहायता करती है और इस प्रकार इन रेल गाड़ियों द्वारा उत्सर्जित की जाने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड गैस की मात्रा में प्रति वर्ष- प्रति कोच 9 टन कमी आयेगी।
हर साल लगभग 21000 लीटर डीजल की बचत
सौर विद्युत से चलने वाली 6 ट्रेलर कोच की डीईएमयू ट्रेन हर साल लगभग 21000 लीटर की बचत करेगी और इस प्रकार इसकी लागत में प्रति वर्ष 12 लाख रूपये की बचत होगी। 8 ट्रेलर कोच सहित 10 कोच रेक के लिए बचत की मात्रा अनुपातिक रूप से बढ़ जायेगी। ये लाभ रेक के 25 वर्ष के पूरे जीवन काल के दौरान जारी रहेंगे। इससे डीईएमयू यात्री सेवाओं को बेहतर, ज्यादा किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में मदद मिलेगी।
कोच में पंखे और प्रकाश के लिए बिजली
प्रत्येक कोच में फिट किया गया सोलर होटल लोड (प्रकाश और पंखा) सिस्टम 4.5 केडब्ल्यूपी क्षमता का है, जिसमें प्रत्येक 300 डब्ल्यूपी के 16 सौर पैनल होंगे। यह कोच में पंखे और प्रकाश के लिए बिजली उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त है।
उत्तर रेलवे ने 1994 में भारतीय रेलवे की डीईएमयू सेवा प्रारंभ की। आज उत्तर रेलवे में 3 डीईएमयू शेड हैं। उत्तर रेलवे का शकूर बस्ती डीईएमयू शेड पर्यावरण के अनुकूल डीईएमयू – सीएनजी और सौर ऊर्जा से संचालन के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। सीएनजी की फिटिंग युक्त प्रथम डीईएमयू शकूर बस्ती द्वारा संचालित किया गया। अब सौर पैनल युक्त प्रथम डीईएमयू ट्रेन का रखरखाव और संचालन उत्तर रेलवे के डीईएमयू शेड शकूर बस्ती द्वारा किया जाएगा। यह अग्रणी प्रयास स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने और कार्बन के उत्सर्जन में कमी लाएगा।