Font Size
: गोहत्या से जुडे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करने से ही इसे रोका जा सकता है : मोहन सिंह अहूवालिया
: गोहत्या में मेवात की पुलिस भी संलिप्त है
: पिछले पांच साल से अधिक समय से मेवात में कार्यरत पुलिस कर्मियों का तबादला होना चाहिये
यूनुस अलवी
पुन्हाना: मेवात में गोहत्या रोकने के लिये दोनो समुदाय के लोगो को सामने आना होगा। गोहत्या कि वजह से मेवात इलाका बदनाम होता जा रहा है। यह विचार भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष मोहन सिंह अहूवालिया ने कस्बा पिनगवां डाक्टर एसएन वघवा के निवास पर आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त किये।
भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष मोहन सिंह अहूवालिया ने कहा कि मेवात जिला कि करीब 14 लाख की आबादी है जिसमें करीब 500 ऐसे लोग हैं जो गोहत्या और गोतस्करी से जुडे हुऐ है। दोनो समुदाय के लोगों को गोहत्या में संलिप्त अपराधियों से निपटने के लिये उनका सामाजिक बहिष्कार करना होगा। इसके लिये बडी महापंचायत होनी चाहिये जिसमें इलाके के लोग चाहेगें तो मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री को भी पंचायत में बुलाया जा सकता है।
अहलूवालिया ने कहा कि वह अपने आप को मेवाती होने पर गर्व महसूस करता हूॅं। मेवात में अंधा जातिवाद नहीं हैं। यहां पर सभी धर्म के लोग आपस में प्यार मोहब्बत से रहते हैं। सदियों पुराने मेवात के आपसी भाईचारा को बदनाम करने में गोहत्यारे अहम रोल अदा करते हैं। इन बदमाशों पर नकेल कसनी होगी। धार्मिक गुरूओं को आगे आना होगा। उन्होने माना कि गोहत्या में केवल मुस्लिम लोग ही शामिल नहीं है बल्कि इस धंधे में पुलिस कर्मी और दूसरे लोग भी है जो गोहत्यारों पर गायों को कटने को पहुंचाने में मदद करते हैं।
अहलूवालिया ने कहा कि पिछले चार-पांच साल से अधिक समय से मेवात के पुलिस विभाग में नोकरी करने वाले अधिकारियों का जब तक तबादला नहीं किया जाता तब तक मेवात में हो हत्या नहीं रूक सकति है। उनका कहना है कि मेवात पुलिस गोहत्या से जुडे मामले एक तो दर्ज करती ही नहीं हैं अगर दर्ज भी करती है तो 90 फीसदी मुकदमों में आरोपियों को फरार दिखाया जाता है। ये सब पुलिस कि मिली भगत से होता है जिसमें पुलिस वालों को अधिक पैसे बनते हैं। मेवात के ऐसे अधिकारियों कि लिस्ट उन्होने उच्च अधिकारियों को भेज दी है जिनमे में से कुछ के तबादले हो गये हैं और बाकी के जल्द होने वाले हैं।