भारत अंतरिक्ष आधारित चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार : सी डी एस जनरल अनिल चौहान

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-पहला आकाशीय अभ्यास ‘अंतरिक्ष अभ्यास–2024’ : रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी ने नई दिल्ली में किया आयोजित

नई दिल्ली : अंतरिक्ष आधारित परिसंपत्तियों एवं सेवाओं पर बढ़ते खतरों से निपटने के लिए एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय की रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा 11 से 13 नवंबर तक पहला तीन दिवसीय आकाशीय अभ्यास ‘अंतरिक्ष अभ्यास-2024’ आयोजित किया जा रहा है। अंतरिक्ष अभ्यास अपनी तरह का पहला विशेष कार्यक्रम है और इससे अंतरिक्ष क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर के रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने और सैन्य अभियानों में भारत की अंतरिक्ष क्षमता को एकीकृत करने में सहायता मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि अंतरिक्ष को कभी अंतिम सीमा माना जाता था और अब यह भारत की रक्षा एवं सुरक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत, अंतरिक्ष अन्वेषण की अपनी समृद्ध विरासत और बढ़ती सैन्य क्षमताओं के साथ, अब अंतरिक्ष आधारित क्षमताओं के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने इस बात का मुख्य रूप से उल्लेख किया कि अंतरिक्ष तेजी से भीड़भाड़ वाला, प्रतिस्पर्धात्मक, वाणिज्यिक और प्रतिस्पर्धी होड़ वाला होता जा रहा है। उन्होंने सैन्य नेतृत्व पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और शैक्षणिक समुदाय के सहयोग से नवाचार को बढ़ावा देने तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों एवं आधुनिक प्रणालियों को विकसित करके अंतरिक्ष में हमारे राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने के लिए जोर दिया।

इस अंतरिक्ष अभ्यास का उद्देश्य अंतरिक्ष आधारित परिसंपत्तियों एवं सेवाओं की बेहतर समझ प्रदान करना और हितधारकों के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रक्रिया से संबंधित निर्भरता की समझ हासिल करना है। इन सबके अलावा, इसका लक्ष्य अंतरिक्ष आधारित सेवाओं में रुकावट या व्यवधान की स्थिति में संचालन हेतु प्रक्रियागत समस्याओं की पहचान करना भी है। इसमें सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों के साथ-साथ रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी तथा इसकी संबद्ध इकाइयों के प्रतिभागी शामिल होंगे। एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय अर्थात रक्षा साइबर एजेंसी, रक्षा खुफिया एजेंसी और सामरिक बल कमान के तहत विशेषज्ञ शाखाएं भी अभ्यास के संचालन में सक्रिय भागीदार होंगी। इसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे।

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