Font Size
यूनुस अलवी
नूंह : रा ष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर आज स्थानीय लघु सचिवालय के परिसर में जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की ओर से श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर उपायुक्त मनीराम शर्मा, पुलिस अधिक्षक कुलदीप सिंह, अतिरिक्त उपायुक्त नरेश नरवाल, एसडीएम नूंह डा. मनोज कुमार,एसडीएम फिरोजपुर-झिरका अनीश यादव,डीएसपी नूंह पृथ्वी सिंह, नगराधीश प्रदीप अहलावत, सैक्टरी आरटीए सुरेंद्र सिंह, सहित सभी उपस्थित अधिकारियों व कर्मचारियों ने गांधी प्रात: 11 बजे उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने राष्ट्रपिता के सम्मान में दो मिनट का मौन धारण किया व कुष्ठ रोग की शपथ दिलाई।
उपायुक्त मनीराम शर्मा ने राष्ट्रपिता को विश्व की महान् विभूति बताते हुए कहा कि बिना शस्त्र उठाये अहिंसा के मार्ग पर चलकर गांधी जी ने देश को आजाद करवाने में अहम् भूमिका निभाई। उन्होंने युवा वर्ग को महात्मा गांधी तथा अन्य शहीदों द्वारा दिखाए गए देश भक्ति के रास्ते का अनुसरण करने को कहा। उन्होंने कहा कि हम आज उन सभी शहीदों को भी नमन करते हैं, जिन्होंने स्वतन्त्रता आन्दोलन में देश को आजाद करवाने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। आज के पर्यावरणीय संकट, प्राकृतिक असंतुलन का सामना करने में हमें अविलंब गांधी जी के विचारों और सिद्वांतों को आत्मसात करना होगा, क्योंकि गांधी जी ने हमें प्रकृति के साथ जीने का संदेश भी दिया था।
उपायुक्त ने कहा कि गांधी जी के विचारों और आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करके समाज के कल्याण के लिए कार्य करें, क्योंकि गांधी जी का कहना था कि किसी गरीब और कमजोर आदमी के कल्याण को ध्यान में रखकर ही यह सोचें कि हमारे द्वारा किए गए कार्य में उनकी भलाई निहित हो। गांधी जी ने अपने सत्य एवं अहिंसा के सिद्धांत पर चलते हुए देश को आजादी दिलाई। उनके सपनों का स्वराज हमने पाया। गांधी जी द्वारा दिखाया गया सत्य एवं अहिंसा का मार्ग आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना उस समय था। अत: हमें गांधी जी के सपनों का भारत बनाना है और वह तभी संभव होगा, जब हम निजी हित को त्याग कर सर्व हिताय सर्व सुखाय के संदेश को चरितार्थ करते रहें।
उपायुक्त ने बताया कि जिन कुष्ठ रोगियों को समाज धिक्कारता है, उन कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों से हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी काफी स्नेह और सहानुभूति रखते थे। क्योंकि वो जानते थे कि इस रोग के क्या सामजिक आयाम हैं। इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अपने जीवन में कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की काफी सेवा की और कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए काफी प्रयास किए। उन्होंने बताया कि अब समाज का अधिकतर तबका समझ गया है कि कुष्ठ रोग कोई दैवीय आपदा नहीं बल्कि एक बीमारी है जो कि किसी को भी हो सकती है, और इसका इलाज संभव है। इसके ईलाज की अवधि 6 माह या 12 माह होती है। कुष्ठ रोग के शुरुआती संकेत व लक्षण है।
चमड़ी के रंग से फीका एक या एक से ज्यादा दाग या धब्बे जिसमें सुन्नपन,सुखापन हो, पसीना ना आता हो, खुजली जलन,चुभन, न होती हो कुष्ठ रोग हो सकता है। इसी कड़ी में शरीर पर चेहरे पर बौहों के उपर सूजन, गांठे, दाने या तैलीय चमक दिखाई पड़े, या हाथ, पैर में सूखापन, सुन्नपन एवं कमजोरी होने पर भी कुष्ठ की जांच कराएं। उन्होंने बताया कि गांधी जी का सपना था कि कुष्ठ रोगियों का उपचार हो और कुष्ठ मुक्त भारत हो।