गुरुग्राम : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा प्रान्त कार्यवाह प्रताप सिंह का कहना कि भारत दुनियां की श्रेष्ठ संस्कृति वाला देश है। भारत की सनातन अवधारणाएं ही विश्व को शान्ति के मार्ग पर ले जा सकती है। वे आरएसएस गुरुग्राम भाग द्वारा आयोजित विजय दशमी उत्सव व आरएसएस स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। इस मौके पर स्वयंसेवको ने शहर में पथ संचलन भी किया। जिसमे 825 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। कार्यक्रम में आरएसएस प्रान्त संघ चालक पवन जिंदल, महानगर संघचालक जगदीश ग्रोवर व भाग संघ चालक वेद प्रकाश मंगल विशेषतौर पर उपस्तिथ रहे।
आरएसएस प्रान्त कार्यवाह प्रताप ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विजय दशमी उत्सव संघ के छः उसत्वों में से एक है। यह उत्सव इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस दिन डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी ने 1925 मेंआरएसएस की स्थापना थी। आज का दिन शिवाजी महाराज, पांडवों की शक्ति के प्रगटीकरण का दिन भी है। उनके अनुसार विजयदशमी उत्सव हम मां दुर्गा की नो दिन की उपासना के उपरांत मनाते है। भक्ति के साथ शक्ति की उपासना भारत की सनातन परंपरा रही है। शक्तिहीन समाज न केवल अपनी बल्कि अपनी मान्यताओं , परम्पराओं की भी रक्षा नहीं कर सकता।
उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि क्षमा भी उसी को शोभती है जिसके पास शक्ति होती है। उनके अनुसार सतयुग में सत्य और तप में शक्ति होती थी, त्रेता में मन्त्रों से शक्ति प्राप्त होती रही, द्वापर युग में युद्ध में जबकि कलयुग में संघठन ही शक्ति का मूलाधार है। इसलिए समरस समाज की स्थापना करते हुए सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एकता के सूत्र में बांधना ही संघ का बीज मंत्र है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि सामाजिक समरसता पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने पर्यवरण, गौ संवर्धसन, धार्मिक मान्यताओं व नागरिक कर्तव्य निर्वहन करने पर भी बल दिया । उन्होंने कहा की कुछ समाज विरोधी शक्तियां गलत विमर्श के आधार समाज तौड़ने का कुप्रयास कर रही है। भारत की पारिवारिक मान्यताओं को विकृत कर रही हैं। हम सामाजिक मान्यताओं से नहीं जो हमारे मन में आएगा वही करेंगे, भारत एक नहीं बल्कि विभिन्न समूहों से बना देश है ऐसे विमर्श खड़े किए जा रहे हैं। जबकि भारत चारों दिशाओं से एक है।
भारत एक राष्ट्र है, भारत हिन्दू राष्ट्र है और भारत प्राचीन राष्ट्र है। भारत में चारों दिशाओं में चार मठ, 12 ज्योतिर्लिंग व 52 शक्ति पीठ की स्थापना हमारी एकता का परिचायक है। गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा बनाए गए पंच प्यारे भी अलग अलग दिशाओं से थे। इसलिए भारत चहुंओर से एक है। गलत विमर्श के इस दौर में हमारी जिम्मेदार भी बढ़ जाती है। ऐसे नैरेटिव को समाप्त करना होगा। हमे शाखाओं को मजबूत करना होगा। समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़कर बढ़ते हुए भारत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।