-गुरुग्राम में आरएसएस स्वयंसेवकों ने विजयदशमी के उपलक्ष्य में किया पथ संचलन
गुरुग्राम। रविवार को गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में विजयदशमी के शुभ अवसर पर स्वयंसेवकों ने पथ संचलन का स्वागत किया। इस दौरान विधायक ने पथ संचलन के स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा करके स्वागत किया। इस दौरान संघ के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी के साथ आम कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में मौजूद रहा। कार्यक्रम में आरएसएस प्रान्त संघ चालक पवन जिंदल, महानगर संघचालक जगदीश ग्रोवर व भाग संघ चालक वेद प्रकाश मंगला विशेष तौर पर उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा प्रान्त कार्यवाह प्रताप सिंह ने कहा कि भारत दुनिया की श्रेष्ठ संस्कृति वाला देश है। भारत की सनातन अवधारणाएं ही विश्व को शान्ति के मार्ग पर ले जा सकती है। स्वयंसेवकों ने शहर में पथ संचलन भी किया। जिसमें 825 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। प्रान्त कार्यवाह प्रताप ने कहा कि विजय दशमी उत्सव संघ के छह उत्सवों में से एक है। यह उत्सव इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस दिन डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी ने 1925 में आरएसएस की स्थापना थी। आज का दिन शिवाजी महाराज, पांडवों की शक्ति के प्रगटीकरण का दिन भी है।
उनके अनुसार विजयदशमी उत्सव हम मां दुर्गा की नौ दिन की उपासना के उपरांत मनाते है। भक्ति के साथ शक्ति की उपासना भारत की सनातन परंपरा रही है। शक्तिहीन समाज न केवल अपनी बल्कि अपनी मान्यताओं, परम्पराओं की भी रक्षा नहीं कर सकता। उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि क्षमा भी उसी को शोभती है जिसके पास शक्ति होती है। उनके अनुसार सतयुग में सत्य और तप में शक्ति होती थी, त्रेता में मन्त्रों से शक्ति प्राप्त होती रही, द्वापर युग में युद्ध में जबकि कलयुग में संगठन ही शक्ति का मूलाधार है। इसलिए समरस समाज की स्थापना करते हुए सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एकता के सूत्र में बांधना ही संघ का बीज मंत्र है।
उन्होंने पर्यवरण, गौ संवर्धसन, धार्मिक मान्यताओं व नागरिक कर्तव्य निर्वहन करने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि कुछ समाज विरोधी शक्तियां गलत विमर्श के आधार समाज तोडऩे का कुप्रयास कर रही है। भारत की पारिवारिक मान्यताओं को विकृत कर रही हैं। हम सामाजिक मान्यताओं से नहीं जो हमारे मन में आएगा, वही करेंगे, भारत एक नहीं बल्कि विभिन्न समूहों से बना देश हैं, ऐसे विमर्श खड़े किए जा रहे हैं। जबकि भारत चारों दिशाओं से एक है। भारत एक राष्ट्र है, भारत हिन्दू राष्ट्र है और भारत प्राचीन राष्ट्र है। भारत में चारों दिशाओं में चार मठ, 12 ज्योतिर्लिंग व 52 शक्ति पीठ की स्थापना हमारी एकता का परिचायक है। गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा बनाए गए पंच प्यारे भी अलग-अलग दिशाओं से थे। इसलिए भारत चहुंओर से एक है। गलत विमर्श के इस दौर में हमारी जिम्मेदार भी बढ़ जाती है। ऐसे नैरेटिव को समाप्त करना होगा। हमे शाखाओं को मजबूत करना होगा। समाज के प्रत्येक वर्ग को जोडक़र बढ़ते हुए भारत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।