स्थानीय निकायों में वार्ड बंदी का कार्य पिछड़ा आयोग की सिफारिशों के अनुरूप किया जा रहा है
वार्डबंदी के लिए एफआईडीआर और मतदाता सूची को माना गया है आधार
नई दिल्ली, 28 अगस्त : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, जो सदन के नेता भी हैं, ने मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन में स्पष्ट किया कि स्थानीय निकायों में वार्डबंदी का कार्य हरियाणा राज्य पिछड़ा आयोग की सिफारिशों के अनुरूप किया जा रहा है। वार्डबंदी के लिए दो आधार माने गए हैं। निकायों में वार्डों की संख्या निमित करने के लिए फैमिली इनफार्मेशन डाटा रिपॉजिटरी (एफआईडीआर) या मतदाताओं की 140 प्रतिशतता अनुसार प्राप्त जनसंख्या, दोनों में से जो भी अधिक हो, को आधार माना जायेगा। इसके अलावा, वार्डों में जनसंख्या की भिन्नता को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया है। पंचायतों के बाद अब निकाय चुनावों में भी बीसी (ए) को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री आज हरियाणा विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान हरियाणा नगर निगम (संशोधन) और हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे।
मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा नगर निगम (संशोधन), अध्यादेश में जनसंख्या के लिए एफआईडीआर, जोकि एक रिपॉजिटरी है, जिसे परिवार पहचान पत्र अधिनियम के तहत तैयार किया है। आरक्षण के संबंध में जहाँ तक बात है, उसके लिए सरकार ने हरियाणा राज्य पिछड़ा आयोग बनाया जिसने कुछ सिफारिशें की। जनसंख्या के सम्बन्ध में की गई सिफारिशों के अनुरूप जिले में एक निकाय में बीसी (ए) जनसंख्या की प्रतिशतता का 50 प्रतिशत आरक्षित की जाएगी। यदि 20 सीटें हैं तो 5 प्रतिशत जनसंख्या के हिसाब से बीसी (ए) के लिए एक सीट आरक्षित होगी। यहाँ तक कि बीसी (ए) जनसंख्या 2 प्रतिशत होने पर भी हमने कम से कम एक सीट आरक्षित रखना सुनिश्चित किया है।
उन्होंने कहा कि पहले चेयरमैन का चुनाव पार्षद ही करते थे, इसलिए हमने 2 सीटें आरक्षित की हुई थी, ताकि उनमें से चुनाव किया जा सके। लेकिन अब चेयरमैन का चुनाव सीधा होता है, इसलिए बीसी (ए) जनसंख्या 2 प्रतिशत होने पर भी हमने कम से कम एक सीट आरक्षित रखना सुनिश्चित किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में 6 – 7 सीटें ऐसी बच गई, जहाँ पर वार्ड बीसी (ए) का था, लेकिन बीसी (ए) का एक भी मतदाता नहीं था, इसलिए हमें उन सीटों पर उप चुनाव करवाने पड़े, जिसमें दूसरे वार्डों के लोगों ने चुनाव लड़ना पड़ा।
मनोहर लाल ने कहा कि बीसी (ए) को आरक्षण देने का लक्ष्य इस वर्ग की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने का है। सरकार ने पंचायत चुनावों में बीसी (ए) को आरक्षण दिया, हमारी इस पहल का समाज ने स्वागत किया है।