सुभाष चौधरी /The Public World
नई दिल्ली : राज्यसभा यानी उच्च सदन में आज भी काम काज ठीक से नहीं हो पाया. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चल रही तकरार को आज एक और नया आयाम मिल गया. सत्ता पक्ष के सांसद एक तरफ राजस्थान में कानून व्यवस्था की बिगड़ती हालात पर चर्चा करने की मांग कर रहे थे तो दूसरी तरफ विपक्ष मणिपुर हिंसा पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने पर अड़ा रहा. सभापति जगदीप धनकर ने दोनों पक्षों को बारंबार समझाने की कोशिश की. उन्होंने चर्चा कराने को लेकर अपनी व्यवस्था भी दी लेकिन दोनों पक्ष अपनी अपनी मांगों पर अड़े रहे और हंगामा करते रहे. दोनों पक्षों की जबरदस्त नारेबाजी के कारण सभापति को राज्यसभा की कार्यवाही आगामी सोमवार 11:00 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ गई. सदन में आज सदन के नेता पीयूष गोयल और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे की बीच जबरदस्त वाक युद्ध देखने को मिला.
शुक्रवार सुबह 11:00 बजे राज्य सभा की बैठक शुरू हुई. सभापति जगदीप धनकर ने आरंभ में कुछ विधायी काम करने की प्रक्रिया शुरू की. थोड़े ही समय बाद सत्ता पक्ष की ओर से जबरदस्त हंगामा शुरू हो गया. सभापति ने सदन के नेता पियूष गोयल से जानना चाहा कि सत्ता पक्ष के सांसद आखिर क्यों उद्वेलित हैं ?
इस पर पियूष गोयल ने अपनी बात रखी . उन्होंने भाजपा के सांसदों द्वारा सभापति को रूल 176 के तहत दिए गए नोटिस जिसमें राजस्थान में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चर्चा कराने की मांग की गई है पर चर्चा शुरू करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि राजस्थान में 1 दिन पूर्व नाबालिक लड़की की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई. इससे पहले भी राजस्थान में लगातार महिलाओं और लड़कियों के साथ अत्याचार होने की घटनाएं सामने आ रही है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हो चली है. इसलिए जनहित में नियम 176 के तहत आज ही राजस्थान के मामले पर चर्चा कराई जानी चाहिए.
सदन के नेता की ओर से अपनी बात रखने के बाद सभापति ने विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खरगे को अपना विचार प्रस्तुत करने की अनुमति दी . खरगे ने हंगामे के बीच ही बोलने की कोशिश की लेकिन अपनी बात नहीं रख पाए. इस बीच सत्ता पक्ष के सांसदों की नारेबाजी नहीं रुकने पर सभापति ने नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने यहां तक कह डाला कि इस तरह से संसद नहीं चलाया जा सकता. सभापति ने कहा कि लीडर ऑफ द हाउस पीयूष गोयल ने अपनी बात रखी और लीडर ऑफ द अपोजीशन मलिकार्जुन खरगे के विचार भी सांसदों को सुनना चाहिए. दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद ही कोई रास्ता निकाला जा सकता है. उन्होंने सदन में सदस्यों के व्यवहार की परंपरा की दुहाई भी दी लेकिन न तो सत्ता पक्ष के सांसद और ना ही विपक्षी सांसद उनकी सलाह सुनने को तैयार हुए.
सभापति ने बारंबार सांसदों को आश्वस्त किया कि सभी को अपनी बात कहने का मौका सदन में दिया जाएगा. आखिर खरगे ने शोरगुल के बीच ही राजस्थान पर सदन के नेता पीयूष गोयल की ओर से की गई चर्चा की मांग का विरोध किया. उन्होंने कहा कि राजस्थान पर चर्चा करने के लिए यह सदन नहीं है. उनका तर्क था कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र जैसे राज्यों की स्थिति पर चर्चा करने के लिए वहां की विधानसभा है. सत्ता पक्ष के सांसदों की ओर से बारंबार उन्हें टोका टोकी करनी के दौरान खरगे ने भाजपा सांसदों को यह कहते हुए चुनौती दी कि उनका जवाब देने के लिए कांग्रेस के लोग राजस्थान में सक्षम है.
कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खरगे ने अपनी बात रखते हुए पुनः रूल 267 के तहत मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराने की मांग की. इस पर सत्ता पक्ष के सांसद जोरदार हंगामा करने लगे और राजस्थान पर चर्चा करने के लिए नारेबाजी शुरू कर दी . सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करते रहे .
हंगामा नहीं रुकने की स्थिति में सभापति जगदीप धनकर ने एक बार फिर सांसदों को समझाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि एक पॉइंट ऑफ ऑर्डर पर उन्होंने अपनी व्यवस्था दे दी है. उन्होंने कहा कि सदन में किसी भी व्यक्ति या संस्था से संबंधित चर्चा कराई जा सकती है. उन्होंने यहां तक कहा कि न्यायाधीशों के मामले में भी चर्चा कराई जा सकती है लेकिन इसके लिए संविधान में अलग प्रकार के प्रावधान की व्यवस्था की है. उनका कहना था कि सदन में राजस्थान हो या मणिपुर किसी भी राज्य पर चर्चा कराई जा सकती है. सभापति के इस निर्णय से विपक्षी सांसदों ने असहमति जताई और नारेबाजी करने लगे जबकि सत्ता पक्ष बारंबार आज ही राजस्थान पर चर्चा कराने पर जोर देता रहा.
सदन की बैठक जब दोबारा शुरू हुई तो फिर सत्ता पक्ष के सांसद नारेबाजी करते दिखे. सभापति ने राजस्थान से भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी को अपनी बात कहने की अनुमति दी. घनश्याम तिवारी ने राजस्थान में एक दिन पूर्व हुए 14 वर्षीय नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या का मुद्दा जोरदार लहजे में उठाया और राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति बदहाल होने का आरोप लगाया. उन्होंने भी राजस्थान के मामले पर रूल 176 के तहत चर्चा कराने की पुरजोर मांग की.
इसी बीच कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने पॉइंट आर्डर की बात की . उन्होंने सदन में सभी सदस्यों को बराबर अधिकार होने का तर्क दिया . उन्होंने कहा कि अगर कोई सदस्य किसी भी सदस्य के बारे में अपमानजनक बात करता है तो यह देश के खिलाफ होगा .
सदन के नेता पीयूष गोयल ने पुनः राजस्थान पर चर्चा शुरू करने पर बल दिया लेकिन विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खरगे ने मणिपुर पर चर्चा कराने की मांग दोहराई. इस पर दोनों पक्षों से जोरदार हंगामा होने लगा. नारेबाजी इतनी तेज हो गई कि सभापति जगदीप धनकर भी अपनी बात नहीं कह पा रहे थे . अंततः सभापति ने राज्यसभा की कार्यवाही आगामी सोमवार 11:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. .