क्या रेलवे में बड़ा बदलाव होने वाला है : रेल किराए में कितनी वृद्धि होने वाली है ?

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सुभाष चौधरी 

नई दिल्ली : केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में रेल मंत्रालय की वर्किंग बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह साफ कर दिया कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की जमाने में रेलवे की मॉडर्नाइजेशन पर ध्यान नहीं दिया गया.  रेलवे में कैपिटल इन्वेस्टमेंट की कमी रही.  नई टेक्नोलॉजी नहीं अपनाई गई . पुराने ढर्रे पर ही  इसे चलाया जाता रहा. रेलवे का ऑपरेशन कॉस्ट वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के कारण बढ़ा है  जबकि नई तकनीक अपनाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.  रेल मंत्री ने पिछली यूपीए सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केवल विजन डॉक्यूमेंट जनता के सामने रखा गया लेकिन उस पर ना तो कोई काम हुआ और ना ही उसमें रेलवे को विकसित करने की स्पष्ट नीति थी. 

 

केंद्रीय रेलवे मंत्री सदन को बताया कि पिछले कई दशक से रेलवे में कैपिटल इन्वेस्टमेंट की कमी रही जिसके कारण इसे आधुनिक तकनीक से लैस नहीं किया गया.  वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक लगातार कैपिटल में वृद्धि की जिसके कारण रेलवे के नए ट्रैक का निर्माण करने,  इलेक्ट्रिफिकेशन की गति तेज करने,  नई तकनीक अपनाने,  आधुनिक तकनीक वाली  रेलवे कोच युक्त ट्रेन चलाने,  पैसेंजर सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय करने  और फ्रेट कॉरिडोर विकसित करने की दिशा में जबरदस्त काम हुए. 

 

 उन्होंने विपक्ष के नेता एवं पूर्व रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा उठाए गए मुद्दों का बिंदुवार जवाब देते हुए कहा कि उनके जमाने में केवल विजन डॉक्यूमेंट बनाया गया लेकिन किसी भी मामले में उसमें आगे बढ़ने की  स्पष्टता  नहीं थी. उन्होंने कांग्रेस नेता को करारा जवाब देते हुए कहा की यूपीए सरकार के जमाने में जैसे अन्य मंत्रालयों में नीतिगत विकलांगता थी उसी तरह रेलवे में भी सब कुछ ठप था.

 

 रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे की नई ट्रैक के निर्माण की दृष्टि से ही वर्ष 2009 से 2014 के बीच 1520 किलोमीटर प्रतिवर्ष निर्माण की गति थी जबकि अब यह गति 2531 किलोमीटर प्रति वर्ष की हो गई है जिसे 3000 किलोमीटर प्रति वर्ष  निर्माण करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. 

 

 उन्होंने यूपी के कार्यकाल में रेलवे ट्रैक के इलेक्ट्रिफिकेशन  का तुलनात्मक आगरा रखते हुए बताया कि वर्ष 2009 से 2014 के बीच 608 किलोमीटर प्रति वर्ष इलेक्ट्रिफिकेशन की गति जबकि 2014 से 2019 के बीच या गति 3440 किलोमीटर प्रति वर्ष की गई.  इससे जाहिर होता है कि नरेंद्र मोदी शासनकाल में रेलवे को विकसित करने और सुविधा संपन्न बनाने की दिशा में किस कदर तेज गति से काम हो रहा है.  उन्होंने कहा कि अब तक 50000 किलोमीटर रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन किया जा चुका है.

 

 उन्होंने जानकारी दी कि  वर्ष 2014 से पहले रेलवे में 1950 दशक में अपनाए गए 25 केवी 9 जी का ही उपयोग किया जाता रहा जबकि दुनिया में इस मामले में काफी परिवर्तन किया जा चुका है.  यूपी शासन काल में इस पर ध्यान नहीं दिया गया.  उनका कहना था कि वर्तमान सरकार नई टेक्नोलॉजी को तेज गति से अपनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है. विविध क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण रिसर्च किए गए हैं जिसका फायदा रेलवे को मिल रहा है.

 

 कुछ सांसदों द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों में रेलवे का अपेक्षाकृत विकास कम होने का मुद्दा उठाया गया था.  विपक्ष के सांसदों ने यहां तक कहा था कि  डॉ मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल में ही  पूर्वोत्तर राज्यों में रेलवे का विकास किया गया.  इसका जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पूर्वोत्तर राज्यों के इतिहास में सबसे अधिक निवेश किया गया.  उन्होंने आंकड़ों के आधार पर विपक्ष की आशंका को निर्मूल बताया.  उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 से 2014 के बीच पूर्वोत्तर राज्यों में केवल 2122 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट रेलवे के विकास पर किया गया जबकि 2014 से 2019 के बीच वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उन राज्यों में रेलवे की सुविधाएं पहुंचाने की दृष्टि से 5531 करोड़ रुपए खर्च किए गए.  उन्होंने कहा कि इस वर्ष इस बजट में 9970 करो रुपए पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ही आवंटित किया गया है.

 

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फ्रेट कॉरिडोर मामले पर कांग्रेस सांसदों द्वारा देश के सामने कंस्ट्रक्ट लाने की वाहवाही लूटने के सवाल पर कहा कि कांग्रेस के जमाने में यह कंसेप्ट लाया तो गया लेकिन इस पर रत्ती भर काम नहीं हुआ.  उन्होंने सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि वर्ष 2004 में त्रिपुरी दूर का कंस्ट्रक्ट लाया गया लेकिन वर्ष 2014 तक इस पर सुई की नोक पर भी काम नहीं हुआ था.  उन्होंने दावा किया कि वर्तमान नरेंद्र मोदी शासनकाल में अब तक 1010 किलोमीटर स्वीट पूरी दूर का निर्माण पूरा किया जा चुका है.

 

 उन्होंने विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खरगे पर कटाक्ष करते हुए कहा की कांग्रेस पार्टी हमेशा खुद की पीठ थपथपा ने में विश्वास रखती है लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार बिना बात की वाहवाही नहीं लूटती.  उन्होंने कहा कि कांग्रेस को 2G,  कोयला घोटाला और कॉमनवेल्थ घोटाला जैसे मोदी के लिए भी वाहवाही लूटनी चाहिए. 

 

 रेल मंत्री के कटाक्ष पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने हस्तक्षेप किया और दावा किया कि उनके जमाने में रेलवे में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लाए गए उस पर काम शुरू कराए गए थे. उन्होंने कहा कि रेल मंत्री को आरोप लगाने के बजाय सदन में बजट पर चर्चा करनी चाहिए.  इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों की भी तू तू मैं मैं होने लगी.  सदन में थोड़े समय के लिए व्यवधान पैदा हो गया.  उपसभापति के हस्तक्षेप के बाद स्थिति शांत हुई और रेल मंत्री ने अपनी बात रखनी शुरू की.

 

 असली वैष्णव ने कहा कि रेलवे पर सामाजिक और व्यावसायिक दोनों प्रकार की जिम्मेदारियां हैं.  दोनों भूमिकाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश  की जा रही है.  उन्होंने कहा कि वर्तमान में रेलवे में 800 करोड़ पैसेंजर यात्रा करते हैं जो आने वाले बस में 1200 करोड की सीमा में  जाने की उम्मीद है.  उनका कहना था कि विश्व में अमेरिका,  रूट और चीन के बाद भारतीय रेलवे की सबसे अधिक पैसेंजर को यात्रा कराने वाली है. 

 

 उनके अनुसार रेलवे में 2 लाख 40000 करोड कैपिटल इन्वेस्टमेंट का प्रावधान किया गया है. 

 

 रेल मंत्री ने बताया कि एक करोड़ रेल परिवार है. उन्होंने स्पष्ट किया कि पैसेंजर किराए मैं सब्सिडी में कोई कटौती नहीं की गई है और ना ही आगे करने का कोई प्रावधान है. 

 

 उन्होंने कहा कि रेलवे का तेज गति से आधुनिकीकरण करने के लिए तीन लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट चाहिए. इसके लिए आज निर्णय लेने होंगे तभी अगले 5 वर्ष बाद इसका सकारात्मक परिणाम दिखेगा.  उन्होंने कहा कि रेलवे में साफ-सफाई,  स्टेशन के मॉडर्नाइजेशन  एवं भारतीय संस्कृति वह स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने की दिशा में नीतियां बनाई गई है जिस पर एक्सपेरिमेंट शुरू कर दिया गया है.

 

 उन्होंने कहा कि इस मामले में पहला एक्सपेरिमेंट देश की दूरी रेलवे स्टेशन गांधीनगर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर किया गया जो बेहद सफल रहा है.  आने वाले समय में सात रेलवे स्टेशन टू इसी तरह वर्ल्ड क्लॉक सुविधाओं से लैस किया जाएगा जो उत्साह या क्षेत्र के लिए भी एक दर्शनीय स्थल के रूप में स्थापित होगा.

 

 उन्होंने सदन को बताया कि रेलवे वन स्टेशन वन प्रोडक्ट के कंस्ट्रक्ट पर काम करेगी.  इसके पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है.  देशभर से इस मामले में बेहतरीन सुझाव आए हैं जिन्हें रेलवे स्टेशन की साज-सज्जा एवं आधुनिकीकरण में शामिल किया जाएगा.  विभिन्न राज्यों की संस्कृति का प्रदर्शन भी रेलवे स्टेशन पर किया जाएगा. 

 

वैष्णव ने देश में वन्दे भारत ट्रेन  शुरू करने के विषय पर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए बताया कि वर्ष 1950 से 1960 के बीच आईसीएफटी  जबकि 1970 से 75 के बीच एल एच पी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया था जिसके बाद  वर्ष 2014 तक कोई बदलाव नहीं किया गया  जबकि दुनिया में इस मामले में बड़े बदलाव देखने को मिले.

 

 उन्होंने कहा कि अब भारत में ही भारत की सीनियर और भारतीय कंपनियां वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी की ट्रेन टेबल कर रही हैं.  विपक्ष को बात समझ में आनी चाहिए कि किसी भी टेक्नोलॉजी के विकास में कम से कम 4 से 7 वर्ष लगते हैं.  2 वर्ष 2019 में दो बंदे भारत ट्रेन पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित बनाई गई.  यह प्रयास बेहद सफल रहा.  वंदे भारत ट्रेन का वर्जन वन सफल रहा जबकि अब भारतीय इंजीनियर इसी ट्रेन के वर्जन 2:00 पर काम कर रहे हैं.  उन्होंने इसकी सफलता की उम्मीद जताई.

 

 उनका कहना था कि जिस तकनीक को 1970 में ही बदलने की जरूरत थी उस पर पिछली सरकारों ने काम नहीं किया.  उन्होंने बताया कि जापान में 1992 में  ई 2 ,  1997 में ई 3  और 2011 में ई 5 तकनीक अपनाई गई लेकिन भारतीय रेल में इस प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया.  बावजूद इसके लंबे समय तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी अपना पीठ थपथपा रही है. 

 

 उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि भारतीय रेलवे में अब जापान के बराबर की पत्नी किसी लाई जा रही है.  लेकिन इसके लिए भारतीय कंपनियां और इंजीनियर रिसर्च में कोई शॉर्टकट नहीं अपनाना चाहते.

 

 उन्होंने सदन को बताया कि तकनीकी विकास की दृष्टि से  एशिया में सबसे बड़ी जियो टेक्नोलॉजी लैब सूरत में स्थापित की गई है.  उन्होंने कहा कि हम सबको अपने इंजीनियर और अपनी कंपनियों पर गर्व होना चाहिए.

 

 उनका कहना था कि देश में जब भी कुछ नया करने की कोशिश होती है तो कांग्रेस पार्टी इसकी आलोचना करने में व्यस्त हो जाती है.  उन्होंने याद दिलाया कि चाहे देश में मेट्रो रेल शुरू करने का प्रस्ताव हो  या चतुर्भुज स्वर्णिम नेशनल हाईवे योजना कांग्रेस पार्टी ने हमेशा इन प्रोजेक्ट को लेकर सवाल खड़ा किया लेकिन आज उसका परिणाम देश के सामने है. 

 

 उन्होंने कहा कि रेलवे ने भारत गौरव श्रृंखला भी शुरू की है.  इसमें कई धार्मिक और आध्यात्मिक  क्षेत्रों  को जोड़ने  का काम किया है.  आगे भी सभी राज्यों और क्षेत्रों से ऐसे प्रोजेक्ट पर काम की जाएंगे इस मामले में उन्होंने सभी सांसदों से भी सुझाव भेजने  का आह्वान किया.

 

रेल मंत्री ने राज्यसभा में मंत्रालय के बजट पर हुई चर्चा का जवाब देती हुई यह माना कि  हाल के वर्षों में रेलवे का  ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ा है.  उन्होंने कहा कि इसका कारण पे कमीशन की सिफारिशों को लागू करना है. 

 

 विपक्ष द्वारा रेलवे के निजीकरण का सवाल उठाए जाने पर असली वैष्णव ने कहा कि इस मामले में उनके पूर्ववर्ती रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी कई बार संसद नहीं है साफ कर दिया था कि रेलवे के निजी करण का कोई प्रस्ताव नहीं है.  उन्होंने कहा कि वह फिर इस बात को दोहराते हुए संसद को आश्वस्त करना चाहते हैं.

 

 रेलगाड़ियों के स्टॉपेज को व्यावसायिक दृष्टि से भी व्यवहारिक बनाने के मामले पर उनका कहना था कि आईआईटी मुंबई के द्वारा इस मामले में बेहतरीन वितरित किया गया है.  उन्होंने कहा कि ट्रेन की कई स्टॉपेज ऐसी थी जहां बहुत ट्रेन के स्टॉपेज थे.  उसे बंद कर दिया गया.  उन्होंने सांसदों को आश्वस्त किया कि इस मामले में उनके सुझाव पर रेलवे बदलाव करने पर विचार करेगी .

 

भारतीय रेल में नई सुविधा संपन्न कोच  शुरू करने के सवाल पर उनका कहना था कि अधिकतर ट्रेन की खोज की स्थिति बेहद खराब थी.  अब भारतीय इंजीनियर और भारतीय कंपनियां एल एच वी   कोच का निर्माण कर रही है.  5000 एलएचबी कोच निर्माण का लक्ष्य रखा गया है.  हर माह 5 से 6 ट्रेन में एलएचबी कोच लगाए जा रहे हैं.

 

 रेलवे में भर्ती का मामला भी चर्चा के दौरान कई सांसदों ने उठाया था. विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खरगे सहित   कई सांसदों ने आशंका भी व्यक्त की थी  की रेलवे में नौकरियां कम हो गई है जबकि भर्ती भी नहीं की जा रही है.  उन्होंने आंकड़ों के आधार पर सांसदों के सवालों का जवाब दिया.  उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 से 2014 के बीच 2 लाख 14000  पदों पर भर्ती हुई थी जबकि 2014 से लेकर अब तक 3 लाख 646 पदों पर भर्ती की जा चुकी है.  एक लाख से अधिक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है.  उन्होंने स्पष्ट किया कि इसको लेकर अभ्यर्थियों और रेलवे के अधिकारियों के बीच कुछ मतभेद पैदा हुआ था जिसे अब ठीक कर दिया गया है.

 

 रेलवे के प्रोजेक्ट और उसके विकास को लेकर राज्यों के साथ पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने के आरोप पर रेल मंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य के साथ कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा.  रेलवे प्रोजेक्ट पर अमल का पूरा दारोमदार वहां राज्य सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया और गति पर निर्भर करता है.  इसलिए राज्य सरकारों को चाहिए कि वह समय से दूध गति के साथ रेलवे को जमीन मुहैया कराए.  इसमें उन्होंने सभी सांसदों से भी सहयोग करने की अपील की.

 

 रेल मंत्री ने रेलवे जोन स्थापित करने के लिए क्षेत्रीय आधार की मांग को ठुकरा दिया.  उन्होंने कहा कि जोनल ऑफिस की स्थापना ऑपरेशन के आधार पर होना चाहिए ना कि क्षेत्रीय आधार पर. 

 

 रेल किराया के मामले में रेल मंत्री का कहना था कि वर्तमान में प्रति किलोमीटर एक रुपए 16 पैसे का खर्च आता है जबकि रेलवे यात्री से 48 पैसे प्रति किलोमीटर ही वसूलटी है.  उन्होंने  कहा कि रेल यात्री किराए के मध्य में रेलवे 62000 करो रुपए की सब्सिडी देती है जो कि आगे भी जारी रहेगी.

 

 केरल में सिल्वर लाइन के निर्माण के मामले में वामपंथी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के सांसदों के बीच चल रही तकरार पर उनका कहना था कि यह बेहद जटिल प्रोजेक्ट है.  इस पर ₹63000 खर्च होने का अनुमान लगाया गया है जबकि यह खर्च एक लाख करोड़ तक जा सकता है.  उन्होंने इस प्रोजेक्ट के व्यावसायिक भविष्य को लेकर आशंका व्यक्त की.  उनका कहना था किस प्रकार के ट्रैक पर दूसरी ट्रेन नहीं चलाई जा सकती इसलिए इसका व्यावसायिक पक्ष बेहद कमजोर है.  उन्होंने आगाह किया कि केरल के हित में दोनों ही दलों  को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. 

 

 रेल मंत्री ने सदन में रेल दुर्घटना को रोकने की दृष्टि से भारतीय इंजीनियर व भारतीय कंपनियों द्वारा विकसित ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोडक्शन सिस्टम कवच की चर्चा भी की.  उन्होंने सदन को बताया कि उन्होंने स्वयं ट्रेन में यात्रा कर स्वदेशी तकनीक का परीक्षण किया जो पूरी तरह सफल रहा.  उन्होंने इस तकनीक को विकसित करने वाली इंजीनियर की जमकर प्रशंसा की और सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सांसदों से भी भारतीय इंजीनियर की सराहना करने का आह्वान किया.

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