टीबी को समाप्‍त करने के लिए-“डेयरटूऐराडी टीबी” डेटा-संचालित अनुसंधान शुरू करने की घोषणा

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डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने आज विश्व टीबी दिवस के अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा टीबीको समाप्‍त करने के लिए-“डेयरटूऐराडी टीबी” डेटा-संचालित अनुसंधान शुरू करने की घोषणा की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2025 तक “टीबी मुक्त भारत” के सपने को साकार करने के लिए क्षय रोग से छुटकारा पाने के लिए एक जन आंदोलन की आवश्यकता : डॉ. जितेन्‍द्र सिंह

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने विभिन्न पहलों के माध्यम से टीबी विज्ञान को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है और पिछले तीन दशकों से टीबी पर बुनियादी और व्‍यावहारिक अनुसंधान में सहयोग कर रहा है, जिसमें मुख्य रूप से रोग जीव विज्ञान, दवा की खोज और वैक्सीन तैयार करने पर ध्यान केन्‍द्रित कर रहा है

“डेयरटूऐराडी टीबी” डीबीटी का प्रमुख टीबी कार्यक्रम होगा जिसमें इंडियन ट्यूबरक्‍यूलोसिस जीनोमिक सर्वेलेंस कन्‍सोर्टियम, इंडियन टीबी नॉलेज हब-वेबिनार श्रृंखला और टीबी के खिलाफ होस्‍ट डायरेक्‍टेड थैरे‍पीज और एक्‍स्‍ट्रा पलमोनरी टीबी का इलाज करने के लिए साक्ष्‍य आधारित विधि विकसित करने जैसी प्रमुख पहल शामिल हैं

संघठित शरीर रचना के जीनोमिक डेटा का विश्लेषण आवश्यक है क्योंकि संपूर्ण जीनोम सीक्‍वेन्सिंग (डब्ल्यूजीएस) क्षय रोग निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण आणविक उपकरण के रूप में लगातार कर्षण प्राप्त कर रहा है

डब्ल्यूजीएस प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग से रोगियों में टीबी स्‍ट्रेन की उत्पत्ति और दवा प्रतिरोध (डीआर) प्रोफाइल की तेजी से पहचान हो सकेगी, जो बदले में रोग के बोझ को कम करने के लिए टीबी ट्रांसमिशन के बेहतर नियंत्रण के लिए उपचार रणनीतियों की सुविधा प्रदान करेगा

नई दिल्ली :   केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने आज विश्व टीबी दिवस के अवसर पर पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा टीबी को खत्म करने के लिए –डेयरटूऐराडीटीबी डेटा-संचालित अनुसंधान शुरू करने की घोषणा की।

 

 

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेलद्वारा केन्‍द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार की उपस्थिति में नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में “स्टेप अप टू एंड टीबी” कार्यक्रम का वर्चुअली उद्घाटन करने के बाद संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘टीबी मुक्त भारत’ के सपने को वर्ष 2025 तक साकार करने के लिए तपेदिक या टीबी रोग से मुक्ति के लिए जन आंदोलन की जरूरत है। .

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डॉ. सिंह ने कहा कि भारत में हम अभी भी हर साल लगभग 2-3 मिलियन मामलों के साथ टीबी के लांछन के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जो चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने विभिन्‍न पहलों के जरिये टीबी विज्ञान को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है और पिछले तीन दशकों से टीबी पर बुनियादी और व्‍यावहारिक अनुसंधान में सहयोग कर रहा है, जिसमें मुख्य रूप से रोग जीव विज्ञान, दवा की खोज और वैक्सीन तैयार करने पर ध्यान केन्‍द्रित कर रहा है।

मंत्री महोदय ने कहा कि डेयरटूऐराडी टीबीडीबीटी का प्रमुख टीबी कार्यक्रम होगा जिसमें निम्नलिखित प्रमुख पहल शामिल हैं-

    • आईएनटीजीएस में -इंडियन ट्यूबरक्‍यूलोसिस जीनोमिक सर्वेलेंस कंसोर्टियम;
    • आईएनटीबीके हब-भारतीय टीबी नॉलेज हब-वेबिनार सीरीज;
    • टीबी के खिलाफ निर्देशित उपचार और एक्‍स्‍ट्रा पलमोनरी ट्यूबरक्‍यूलोसिस के इलाज के लिए एक साक्ष्य-आधारित विधि विकसित करना।

डॉ. सिंह ने कहा कि इंडियन ट्यूबरक्‍यूलोसिस जीनोमिक सर्विलांस कंसोर्टियम (आईएनटीजीएस) भारतीय सार्स-कोवि-2 जीनोमिक कंसोर्टिया (आईएनएसएसीओजी) की तर्ज पर प्रस्तावित है। आईएनटीबीकेहब- इंडियन टीबी नॉलेज हब विश्व टीबी दिवस से शुरू होने वाली एक वेबिनार श्रृंखला होगी जो चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए शैक्षणिक समुदाय और उद्योग के बीच सम्‍पर्क कायम करेगी। उन्होंने जोर दिया कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्‍यूलोसिस (एमटीबी) की जैविक विशेषताओं और ट्रांसमिशन पर म्‍यूटेशन के प्रभाव को पूरी तरह से समझने के लिए, उपचार और बीमारी की गंभीरता, शरीर रचना के जीनोमिक डेटा का विश्‍लेषण करना आवश्यक है क्योंकि होल जीनोम सीक्वेंसिंग (डब्ल्यूजीएस) क्षय रोग निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण आणविक उपकरण के रूप मेंलगातार कर्षण प्राप्त कर रहा है।

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डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि डब्ल्यूजीएस प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग से रोगियों में टीबी स्‍ट्रेन की उत्पत्ति और दवा प्रतिरोध (डीआर) प्रोफाइल की तेजी से पहचान हो सकेगी, जो बदले में रोग के बोझ को कम करने के लिए टीबी ट्रांसमिशन के बेहतर नियंत्रण के लिए उपचार रणनीतियों की सुविधा प्रदान करेगा

जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी टीबी अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारी की है। भारत में तपेदिक (टीबी) अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए भारत-अमेरिका वैक्सीन एक्‍शन प्रोग्राम (वीएपी) के तत्वावधान में एक द्विपक्षीय सहयोगात्मक प्रयास तपेदिक (आरईपीओआरटी) भारत पहल, में क्षेत्रीय संभावित अवलोकन अनुसंधानका समर्थन किया जा रहा है। विभाग ने 8 राज्यों और 14 अन्य संस्थानों के 22 एनईआर संस्थानों को शामिल करते हुए “पूर्वोत्तर भारत में एमडीआर-टीबी: एक जीनोमिक संचालित दृष्टिकोण” पर एक प्रमुख नेटवर्क कार्यक्रम शुरू किया है।

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इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव श्री राजेश भूषण, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव श्री राजेश एस गोखले, नीति आयोग में सदस्‍य डॉ वी.के. पॉल, और आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव के अलावाअनेक अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

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