-गुरुग्राम सेक्टर 14 स्थित महिला कालेज में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह
-वनवासी कल्याण आश्रम , हरियाणा ने किया आयोजन
-देश में कुल आबादी का 8 प्रतिशत वनवासी-जनजातीय समुदाय
-भारत में कोई बाहर से नहीं आया है बल्कि सभी यहाँ के मूल निवासी
– गुरुग्रामवासियों को वनवासी-जनजातीय समुदाय के उत्थान के लिए आगे आने का आह्वान किया
सुभाष चौधरी/ संपादक
गुरुग्राम : देश में वनवासी जनजातीय समुदाय कुल जनसँख्या का 8 प्रतिशत है जबकि पूरे विश्व के वनवासियों का 25 प्रतिशत अकेले भारत में हैं. कई ईसाई संगठन उन्हें लपकने को तैयार बैठे हैं . इसलिए हमें उन्हें सम्बल और बराबरी का प्रेम देने के लिए आगे आना चाहिए. ये समुदाय शिक्षित तो पहले से ही हैं इन्हें केवल साक्षर बनाने की जरूरत है. वनवासी और नगरवासी सभी भारत के मूल निवासी हैं . इस देश में कोई बाहर से नहीं आये हैं . इतिहासकारों ने झूठे तथ्य परोस कर ढाई सौ साल में हमारे बीच खाई पैदा करने की कोशिश की जिससे हम वनों से दूर होते गए .
यह वक्तव्य वनवासी कल्याण आश्रम के दिल्ली प्रांत महामंत्री आनंद भारद्वाज ने दिया. श्री भारद्वाज गुरुग्राम सेक्टर 14 स्थित महिला कालेज में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम का आयोजन वनवासी कल्याण आश्रम , हरियाणा की और से किया गया था जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महानगर संघचालक जगदीश ग्रोवर ने की. इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रूप में गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला भी मौजूद थे.
दिल्ली एन सी आर से बड़ी संख्या में जनजातीय गौरव दिवस समरोह में पहुंचे लोगों का वनवासी लोगों के उत्थान में योगदान देने का आह्वान करते हुए वनवासी कल्याण आश्रम के दिल्ली प्रांत महामंत्री आनंद भारद्वाज ने देश में उनकी स्थिति को विस्तार से रखा. उन्होंने गुरुग्राम निवासियों को आगाह किया नगरवासियों को दायित्व आधारित कार्यक्रम चलाना चाहिए. वनवासी वीरों की गाथाएं आम लोगों तक पहुंचे इसकी कोशिश करनी चाहिए. उनका कहना था कि उन्हें दया नहीं सम्बल चाहिए. जनजातीय समाज शिक्षित पहले से है केवल साक्षरता चाहिए. विकसित समाज को उनके प्रति अपनी धारणा बदलने की सलाह देने के क्रम में श्री भारद्वाज ने कहा कि वनवासी सेल्फी नहीं निर्दोष प्रेम चाहता है. अपनत्व और बराबरी का प्रेम चाहता है.
इतिहासकार रोमिला थापर के लिखे इतिहास को झूठ का पुलिंदा बताते हए उन्होंने कहा कि इतिहासकारों ने गलत तथ्य परोस कर हमारे बीच में दूरियाँ बना दी. उन्होंने पदम् पुरुष्कार प्राप्त झाबुआ के रहने वाले भूरी भाई के योगदान और उनकी प्राकृतिक कला को जीवंत रखने की कोशिश को याद किया .
उन्होंने दावा किया कि देश में कुल आबादी का 8 प्रतिशत वनवासी जनजातीय समुदाय हैं जो विश्व का 25 प्रतिशत है. विश्व के अन्य देशों की सरकारों का उनके मूल निवासियों के प्रति किये गए उपेक्षित व्यवहार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में कोई बाहर से नहीं आया है बल्कि सभी यहाँ के मूल निवासी हैं. वनवासी और नगरवासी सभी का डीएनए एक है.
उन्होंने बिहार के कैमूर जिला में वनवासी लोगों के हालात की ओर ध्यान दिलाते हुए बताया कि वहां इसाई मिशनरियों द्वारा संचालित 254 स्कूल हैं लेकिन उक्त समुदाय के बच्चे अपने स्कूल की प्रतीक्षा में हैं. हमें इस दिशा में सोचना होगा क्योंकि यह समुदाय अब जागृत हो चूका है औए उनके बच्चे उन स्कूलों में जाने को तैयार नहीं हैं.
उनका कहना था कि हमारे पूर्वज भगवान् राम, कृष्ण, राणाप्रताप जैसे महापुरुष भी वन जाते थे . वनवासियों के साथ उनका अटूट सम्बन्ध था. हमारे यहाँ गुरुकुल चलने की परम्परा वनों में ही थी. हमारी संस्कृति ही वन संस्कृति है. लेकिन हम 250 से 300 सालों में वनक्षेत्र में जाने से कतराते रहे. हमें इतिहासकारों ने दिग्भ्रमित किया.
उन्होंने कहा कि हिमाचल में वनवासी ही वनवासी के लिए प्रकल्प चलाता है. उनके लिए गरीबी समस्या नहीं बल्कि नगरवासी कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ गए हैं. वे प्रकृति पूजक हैं. उन्होंने कहा कि संस्कार और कला जो उनके पास है वह हमारे पास नहीं है.
श्री भारद्वाज ने लोगों का यह कह्ते हुए आह्वान किया कि अपने बच्चों को वनवासी क्षेत्र में लेकर जाइये और बराबर की दृष्टि से उनके साथ व्यवहार करें. उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि हमारी 8 प्रतिशत आबादी तक विकास की किरणें नहीं पहुंचेंगी तो देश का विकास संभव नहीं है.
वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से जनजातीय समुदाय के उत्थान के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि संगठन की ओर से 14 हजार गावों में 20 हजार से अधिक प्रकल्प चलाये जा रहे हैं .
इससे पूर्व डॉ अशोक दिवाकर ने प्रस्तावना में देश के जनजातीय समुदाय की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 705 जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं. इनकी जनसँख्या लगभग 10 करोड़ 40 लाख है. उन्होंने आजादी से पूर्व, आजादी की लड़ाई में और बाद के वर्षों में वनवासियों के योगदान पर प्रकाश डाला.
कार्यक्रम में कवि सुनील शर्मा ने देश प्रेम से ओतप्रोत कविता प्रस्तुत की जबकि कवयित्री भूमिका भारद्वाज ने अपनी संगीतमय रचना की प्रस्तुति के माध्यम से लोगों को वनवासी के महत्व को रेखांकित किया. वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से कवि सुनील शर्मा और भूमिका भारद्वाज सहित भरोसा फाउंडेशन एवं अन्य सामजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर जगदीश तनेजा जॉइंट सेक्रेटरी , आर के अग्रवाल ,विद्युत कुमार जीएम डीएचवीवीएन, ई एस आई हॉस्पिटल के सी एम् ओ डॉ धनंजय, मिजोरम में नियुक्त हिंदी शिक्षिका ललिता चकमा, राजेश झेलदेव, राहुल बहुखंडी, नरेंद्र कुमार वैरागी, यशपाल प्रजापत, नरेश चावला, स्मृति धींगड़ा ,नरेंद्र धींगड़ा, रातो तुनिषा एवं जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधि सहित दर्जनों गणमान्य अतिथि मौजूद थे .