संस्कृति मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से 3 दिनों तक होगा सांस्कृतिक आयोजन
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम यात्रा के अंतर्गत 22 से 24 दिसंबर 2021 तक वाराणसी में लोक कलाकारों का समागम लोक रंग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार,उत्तर प्रदेश संस्कृति मंत्रालय एवं स्थानीय प्रशासन के सहयोग से अस्सी घाट पर आयोजित इस तीन दिवसीय लोक रंग महोत्सव का आयोजन अपराहन 3:00 बजे से किया जा रहा है। इस महोत्सव में संपूर्ण भारत से आए हुए लगभग 490 कलाकारों द्वारा लोक नृत्यों का प्रदर्शन किया जा रहा है। जिसमें जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से लद्दाख से लेकर के कन्याकुमारी तक के कलाकार अपनी लोक विधाओं अर्थात लोक नृत्यों का प्रदर्शन कर रहे हैं। कार्यक्रम के पहले दिन शहर भर में लोक कलाकार घूम-घूमकर नृत्य और पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर प्रस्तुतियां दी।
इस दौरान सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ा। नाचते-गाते कलाकार ढोल-नगाड़ों के साथ अस्सी घाट तक पहुंचे। कलाकारों ने एक के बाद एक शानदार प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम का शुभारंभ NZCCC (उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र) के निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा और अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक लवकुश द्विवेदी ने की। इसके बाद अस्सी घाट पर 24 लोक नृत्यों से सजे उत्सव लोक रंग की शुरूआत पुदुचेरी के कलियट्टम नृत्य से हुई। इसमें मां काली ने राक्षसों का संहार करती हैं।
वहीं, दूसरी प्रस्तुति मेर रास नृत्य की गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के कलाकरों ने दी। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश का अन्यी पिंकू और लद्दाख के सतबल्ला नृत्य ने बनारस के लोगों को हिमालयी संस्कृति और लोक कला से परिचित कराया गया। इस दौरान अस्सी घाट पर हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी। यह सभी कलाकार देश में स्थापित संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन सातों सांस्कृतिक केंद्रों से आए हुए हैं।
इसमें उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पंजाब, उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र दीमापुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर, पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता और दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र नागपुर शामिल है। साथ ही साथ इस कार्यक्रम में संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश और अयोध्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के भी भागीदारी है।