नई दिल्ली : अमेरिका के नौसेना आपरेशन प्रमुख एडमिरल गिल्डे 11 से 15 अक्टूबर, 2021 तक पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे हैं। यात्रा के दौरान, एडमिरल गिल्डे नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के साथ मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वे भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे। एडमिरल गिल्डे भारतीय नौसेना के पश्चिमी नौसेना कमान (मुंबई) और पूर्वी नौसेना कमान (विशाखापत्तनम) का दौरा करेंगे, जहां वह संबंधित प्रमुख कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे। एडमिरल गिल्डे एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत के पूर्वी तट पर यूएसएन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के जहाज पर भी सवार होंगे।
भारत और अमेरिका के बीच परंपरागत रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध आपसी विश्वास और भरोसे का रहा है, जो जून 2016 में भारत को प्रमुख ‘रक्षा भागीदार का दर्जा’ दिfए जाने के समझौते के बाद और अधिक मजबूत हो गया है। इसके अलावा, दोनों देशों ने कुछ मूलभूत समझौते किए हैं, जिनमें 2015 में हस्ताक्षरित रक्षा ढाँचा समझौता शामिल है, जो दोनों देशों के रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच सहयोग के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
2016 में हस्ताक्षरित लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए), जो दोनों के सशस्त्र बलों के बीच पारस्परिक लॉजिस्टिक्स सहयोग की सुविधा प्रदान करने वाला एक मूलभूत समझौता है। 06 सितंबर 2018 को हस्ताक्षर किए गए संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (कॉमकासा) दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सूचना-साझा करने की सुविधा प्रदान करता है और हाल ही में बुनियादी विनिमय सहयोग समझौता (बीईसीए) किया गया, जो रक्षा मंत्रालय और अमेरिका की राष्ट्रीय भू-स्थानिक एजेंसी (एनजीए) के बीच भू-स्थानिक जानकारी साझा करने में सक्षम बनाता है।
भारतीय नौसेना कई मुद्दों पर अमेरिकी नौसेना के साथ घनिष्ठ रूप से सहयोग करती है, जिसमें मालाबार और रिमपैक अभ्यास श्रृंखला जैसे परिचालन संबंधी सहयोग, प्रशिक्षण आदान-प्रदान, वाणिज्यिक जहाजों की आवाजाही की सूचना का आदान-प्रदान और विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों शामिल हैं। इन सभी को सालाना आयोजित कार्यकारी संचालन समूह (ईएसजी) की बैठकों के माध्यम से समन्वित किया जाता है।
इसके अलावा, दोनों नौसेनाओं के युद्धपोत नियमित रूप से एक-दूसरे के बंदरगाहों पर पोर्ट कॉल करते हैं। दोनों नौसेनाएं ‘मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र’ के साझा उद्देश्य के साथ सहयोग के लिए नए रास्ते तलाशने की दिशा में भी काम कर रही हैं।