नई दिल्ली : केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय; कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन; परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए 75 विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) हब स्थापित करेगी, जो न केवल वैज्ञानिक प्रतिभा को बढ़ावा देगा बल्कि इन समुदायों के आर्थिक और सामजिक विकास में भी योगदान देगा।
आज यहां नई दिल्ली में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद मंत्री महोदय ने कहा कि पिछले दो वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा 20 विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) हब (अनुसूचित जाति के लिए 13 और अनुसूचित जनजाति के लिए 7 ) पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। इनसे कृषि, गैर-कृषि, अन्य संबद्ध आजीविका क्षेत्रों और ऊर्जा, जल, स्वास्थ्य, शिक्षा, आदि जैसी विभिन्न आजीविका संपत्तियों में फैले विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से 20,000 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी को सीधे लाभ मिलेगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, यह निर्णय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना और कमजोर वर्गों को संभालने तथा उन्हें समाज के अन्य वर्गों के बराबर उठाने के संकल्प के अनुरूप लिया गया है, ताकि सभी लोग सामूहिक रूप से अगले 25 साल में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में योगदान दे सकें।
75वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री के संबोधन का उल्लेख करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की चिंता के साथ-साथ दलितों, पिछड़े वर्गों, आदिवासियों और सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण सुनिश्चित किया जा रहा हैI हाल ही में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी अखिल भारतीय कोटे में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया गया है और संसद में कानून बनाकर राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की अपनी सूची बनाने का अधिकार दिया गया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा स्थापित किए जा रहे विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) हब स्थायी आजीविका के निर्माण के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या की बढती आकांक्षाओं के अनुरूप समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त और प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों का विकास, पोषण और वितरण सुनिश्चित करेंगे। मंत्री महोदय ने कहा कि, एसटीआई हब के अंतर्गत प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम एससी/एसटी की आबादी के बीच विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) क्षमताओं और क्षमताओं का निर्माण करेंगे। उन्होंने कहा कि एसटीआई हब विज्ञान और प्रौद्योगिकी के निवेश के माध्यम से स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) में सुधार लाने के साथ ही बेहतर आजीविका विकल्प बनाने के लिए उन्हें उपयुक्त प्रौद्योगिकियों में परिवर्तित भी करते हैं।
मंत्री महोदय ने कहा कि एसटीआई हब के मुख्य रूप से तिहरे उद्देश्य होंगे: क) विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) हस्तक्षेपों के माध्यम से प्रमुख आजीविका प्रणालियों में सबसे कमजोर कड़ी को दुरुस्त करना; ख) आजीविका प्रणालियों में उनकी अपनी ताकत के आधार पर सामाजिक उद्यमों का निर्माण करना; ग) आजीविका को मजबूत करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के निवेश (इनपुट) के माध्यम से स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) में सुधार करना।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)– सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी-(आईएमटेक) द्वारा स्थापित विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसटीआई) हब स्वास्थ्य निदान के साथ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) को जोड़ने के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में अनुसूचित जनजाति युवाओं के कौशल का विकास भी कर रहा है। यह केंद्र सूचना से प्रौद्योगिकी (आईओटी) आधारित देखरेख के केंद्र वाले उपकरण (प्वाइंट ऑफ केयर डिवाइसेज (पीओसीडी), ई- नैदानिकी (डायग्नोस्टिक्स) और त्वरित नैदानिक प्रौद्योगिकियों (स्मार्ट डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजीज) को भी विकसित कर रहा है ताकि चिकित्सा विशेषज्ञों को वास्तविक-समय (रीयल-टाइम) अवलोकन प्रेषित किया जा सके और जिससे क्षेत्र की अनुसूचित जनजातीय आबादी को काफी हद तक लाभ मिलेगा।
सिद्धो-कान्हो-बिरशा विश्वविद्यालय, पुरुलिया, पश्चिम बंगाल में स्थापित विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) हब पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के 7 जिलों के 15 विकास खण्डों (ब्लॉक्स) में 34 गांवों से संबंधित अनुसूचित जनजातीय जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है। इसके द्वारा किए गए हस्तक्षेपों में नैनो सामग्री का उपयोग करके पानी के निस्यन्द्कों (फिल्टर) का विकास करना, सुगंधित तेलों का उत्पादन, विशिष्ट उत्पादों के विकास के लिए विभिन्न औषधीय पौधों के जर्मप्लाज्म की स्थापना और सामाजिक उद्यमों का विकास करना शामिल है। यहाँ 2296 व्यक्तियों को अब स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है और 1410 व्यक्तियों की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं और बेहतर पोषण तक पहुंच है।