भारत के 11 शहरों को मिले शीर्ष 11 साइकिलिंग पायनियर्स के प्रतिष्ठित पुरस्कार

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नई दिल्ली : भारत सरकार ने 11 शहरों को भारत के शीर्ष 11 साइकिलिंग पायनियर्स के प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह पुरस्कार इंडिया साइकिल्स4चेंज चैलेंज के पहले सीजन के अगले चरण की शुरूआत का प्रतीक है। जहां देश भर के 107 शहरों में भारत की साइकिलिंग क्रांति की शुरुआत हुई है। इसके तहत ये शहर एक साथ आकर टेस्ट और सीखने के आधार पर साईकिल चलाने के अनुकूल विभिन्न पहलों को विस्तारदेकर साइकिलिंग क्रांति को बढ़ावा दे रहे हैं। इस साल की शुरुआत में चुने गए शीर्ष 25 शहरों में से प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिवहन विशेषज्ञों की एक जूरी ने शीर्ष 11 शहरों का चयन किया। जिनमें से प्रत्येक को साईकिल इस्तेमाल करने के प्रति जागरूकता बढ़ाने की पहल के लिए,1 करोड़ रुपये का पुरस्कार मिलेगा। कार्यक्रम के दौरान 4 शहरों को चैलेंज के हिस्से के रूप में पायलट पहलों के परीक्षण में उनके प्रयासों के लिए विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है। जूरी द्वारा मूल्यांकन किए गए शीर्ष 25 शहरों की सूची अनुलग्नक 1 में दी गई है।

28 जुलाई 2021 को आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिए, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के सचिव,  दुर्गा शंकर मिश्रा ने शीर्ष 11 विजेता शहरों के बारे में घोषणा की। इस कार्यक्रम में इंडिया साइकिल्स4चेंज चैलेंज में भाग लेने वाले सभी शहरों के केंद्र एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में पहली चैलेंज रिपोर्ट जारी की गई है और शहरों की साईकिल चलाने संबंधी यात्रा को दर्शाने वाली एक ऑनलाइन प्रदर्शनी भी लगाई गई।मंत्रालय ने अगस्त, 2021 से शुरू होने वाले चैलेंज के दूसरे सीजन की भी घोषणा कर दी है जिसमें सभी स्मार्ट शहरों, राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानी और 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों से नए आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे।

पहली चैलेंज रिपोर्ट

इंडिया साइकिल्स4चेंज चैलेंज ने अपनी पहली रिपोर्ट ‘द डॉन ऑफ इंडियाज साइकिलिंग रेवोल्यूशन’ लॉन्च की। रिपोर्ट में चैलेंज के दौरान शहरों द्वारा किए गए प्रयासों का जिक्र है। इसके साथ रिपोर्ट में इस बात के भी संकेत दिए गए हैं कि आने वाले समय में क्या होने वाला है। रिपोर्ट में शहरों द्वारा हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियां, जमीनी स्तर पर किए गए परीक्षणों से सबक और आने वाले वर्ष के लिए उनकी योजनाओं का भी दस्तावेजीकरण किया गया है। रिपोर्ट इस लिंक पर देखा जा सकता है-https://smartnet.niua.org/indiacyclechallenge/

ऑनलाइन प्रदर्शनी का शुभारंभ

पिछले एक साल के दौरान भारत की साइकिलिंग क्रांति का जश्न मनाते हुए, मंत्रालय ने शीर्ष 25 शहरों की यात्रा को दर्शाने वाली एक ऑनलाइन प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया है। इसके तहत शहरों ने अपने अनुकरणीय नेतृत्व, उत्साही प्रयासों और नागरिकों के साथ प्रभावी सहयोग के जरिए अपनी सड़कों को बदल दिया है और उन्हें साईकिल के लिए अनुकूल बनने के कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इस प्रदर्शनी के जरिए सभी नागरिकों को यह जानने का मौका मिलेगा कि उनके शहरों ने क्या किया है और चरण 2 में इस पहल के विस्तार के लिए वह किस तरह से योगदान दे सकते हैं, इसकी भी उन्हें जानकारी मिलेगी। ऑनलाइन प्रदर्शनी को इस लिंक पर देखा जा सकता है- https://smartnet.niua.org/indiacyclechallenge/online-exhibition-overview/

आगे का रास्ता

शीर्ष 25 शहरों का समूह अगले चरण की ओर कदम बढ़ाएगा। जहां ये शहर,  नीतियों को अपनाकर, समर्पित विभागों की स्थापना करके और पूरे शहर के आधार पर योजनाओं को बनाकर साइकिलिंग के अनुकूल शहर को विकसित करेंगे। मंत्रालय ने इंडिया साइकिल्स4चेंज चैलेंज के दूसरे सीजन की भी घोषणा कर दी है। जिसमें सभी स्मार्ट शहरों, राज्यों/केन्द्र शासितप्रदेशों की राजधानी और 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों से नए आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। द इंडिया साइकिल्स4चेंज चैलेंज का दूसरा सीजन अगस्त, 2021 से शुरू होगा।

पिछले एक साल में, इंडिया साइकिल्स4चेंज चैलेंज ने शहरों को साईकिल चलाने संबंधी चुनौतियों को दूर करने के लिए नए, किफायती और क्विक आइडियास का परीक्षण करने के लिए नागरिकों के साथ जुड़ने के लिए एक नये उपाय अपनाने के लिए प्रेरित किया है। अब आगे शहर अपने प्रयासों को और आगे बढ़ाएंगे। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को शहर के नेतृत्व में समुदाय द्वारा आंदोलन के रूप में परिवर्तित करना है।

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“वर्ष 2020में भारत में साइकिलिंग क्रांति की शुरुआत हुई। शहरों और नागरिकों ने पहली बार साइकिलिंग का महत्वपूर्ण स्थान बनने के लिए परीक्षण करने, सीखने तथा विचारों को बढ़ावा देने  के लिए सहयोग किया। इसके परिणाम जबरदस्त रहे हैं; आज अधिक से अधिक लोग साईकिल चला रहे हैं: शहर के अधिकारी और सार्वजनिक प्रतिनिधि काम पर जाने के लिए साईकिल का उपयोग कर हमारे समक्ष उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं और हम निवेशों के साथ शहरों के इन प्रयासों की सहायता कर रहे हैं। मैं और अधिक शहरों को साइकिलिंग की इस क्रांति से जुड़ने तथा एक साइकिलिंग अनुकूल भविष्य की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं।”

दुर्गाशंकर मिश्रा,सचिव, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय

“भारत साइकिल्स4चेंज चैलेंज ने न केवल साइकिलिंग के लिए शहरों को बदला है बल्कि देशभर के शहरों में साइकिलिंग के लिए चैंपियनों का एक समुदाय तैयार करने में मदद की है। मैंने भी काम पर जाने के लिए साईकिल का उपयोग आरंभ कर दिया है और इसके बदलावों को खुद अनुभव किया है। हम शहरों को विश्व की साइकिलिंग राजधानी बनने में शहरों की सहायता कर रहे हैं।”

कुणाल कुमारसंयुक्त सचिव एवं मिशन निदेशक, स्मार्ट सिटी मिशन, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय

“साइकिलिंग के लिए सड़कों का निर्माण कीजिए और साइकिलिस्ट खुद आ जाएंगे। हमने पिछले वर्ष भारत के सभी शहरों में इसके स्पष्ट संकेत देखे थे। शहरों को निश्चित रूप से इन प्रयासों में तेजी लानी चाहिए, जिससे कि साइकिलिंग को सभी लोगों के लिए सुरक्षित और मजेदार बनाया जा सके।”

श्रेया गडेपल्ली,साउथ ईस्ट एशिया प्रोग्राम की प्रमुख, आईटीडीपी

अनुलग्नक-1

भारत के साइकिलिंग में अग्रणी शहर (वर्णमाला क्रम में)

शीर्ष 11 पुरस्कृत शहर

  • बेंगलुरु,कर्नाटक
  • भुवनेश्वर,ओडिशा
  • चंडीगढ़,पंजाब और हरियाणा
  • कोहिमा,नगालैंड
  • नागपुर,महाराष्ट्र
  • न्यू टाउन कोलकाता,पश्चिम बंगाल
  • पिंपरी चिंचवाड़,महाराष्ट्र
  • राजकोट,गुजरात
  • सूरत,गुजरात
  • वडोदरा,गुजरात
  • वारंगल,तेलंगाना

जूरी द्वारा विशेष उल्लेख

  • औरंगाबाद,महाराष्ट्र
  • गुरुग्राम,हरियाणा
  • जबलपुर,मध्य प्रदेश
  • सिलवासा,दादरा और नगर हवेली

साइकिलिंग मेंअग्रणी भूमिका निभाने वाले अन्य शहर

  • दावणगेरे,कर्नाटक
  • हैदराबाद,तेलंगाना
  • इंदौर,मध्य प्रदेश
  • काकीनाडा,आंध्र प्रदेश
  • कोच्चि,केरल
  • नासिक,महाराष्ट्र
  • नई दिल्ली
  • पणजी,गोवा
  • सागर,मध्य प्रदेश
  • उदयपुर,राजस्थान

साइकिलिंगसे जुड़े शीर्ष 25 अग्रणीशहरों की प्रमुख विशेषताएं

(सभी फोटो के लिंक)

शीर्ष 11 पुरस्कृत शहर
बेंगलुरु
प्रत्येक पड़ोस एक साइकिलिंग पड़ोस क्यों नहीं हो सकता?

अपने पॉप-अप साईकिल लेनों की सफलता से उत्साहित, बेंगलुरु ने साइकिलिंग पड़ोसों का निर्माण करने के लिए एक प्लेटफॉर्म-सस्टेनेबल मोबिलिटी एकोर्ड-लॉन्च किया। इस एकोर्ड ने नागरिकों और स्थानीय संगठनों को विभिन्न पड़ोसों की पहचान करने तथा री-डिजाइन करने के लिए शहर के साथ काम करने का एक अवसर उपलब्ध कराया। इसकी शुरुआत सिटी सेंटर में धूमधाम से हुई और इससे सड़कों को साइकिलिंग के लिए सुरक्षित बनाने के लिए स्लो जोन का निर्माण किया। बेंगलुरु की योजना अपनी इस पहल को पूरी सिटी में विस्तारित करने और प्रत्येक पड़ोस को एक साइकिलिंग पड़ोस बनाने की है।

“जिस पर गुजरती है वही जानता है कि कष्ट कैसा होता है, लोगों के साथ मिलकर योजना बनाने से यह सुनिश्चित होता है कि शहर सही जगहों पर निवेश करने के जरिए लोगों की चिंताओं पर ध्यान दे रहा है।”

वी मंजूला,

आयुक्त एवं अपर ई/ओ, सरकार की मुख्य सचिव, शहरी भू परिवहन निदेशालय, कर्नाटक सरकार

भुवनेश्वर
साइकिलिंग किस प्रकार सार्वजनिक परिवहन की पहुंच को बढ़ासकती है?

अधिक से अधिक लोगों को साइकिलिंग के लिए, प्रोत्साहित करने के लिए शहरों को निश्चित रूप से परिवहन के वर्तमान मोड के साथ साइकिलिंग को जोड़ना चाहिए। भुवनेश्वर ने पहले ही इसे महसूस कर लिया था और उसने स्टेशनों से आने-जाने के लिए साइकिलिंग को माध्यम बनाने पर विशेष फोकस के साथ, उच्च घनत्व विकास तथा वर्तमान ट्रांजिट कॉरिडोर के साथ शहरव्यापी साइकिलिंग नेटवर्क योजना का निर्माण किया। पार्किंग निर्धारित करना भी शहर की योजना का एक प्रमुख पहलू है- पार्किंग नीति तथा एक शहरव्यापी पार्किंग प्रबंधन योजना पर काम चल रहा है।

चंडीगढ़
यह कैसे सुनिश्चित किया जाए कि साईकिल ट्रैक सभी के लिए सुविधाजनक हो?

लोगों से पूछिए कि वे क्या चाहते हैं?

वर्तमान साइकिलिंग नेटवर्क के साथ, चंडीगढ़ ने अपने नागरिकों से एक सरल प्रश्न पूछाः “साइकिलिंग को बेहतर बनाने के लिए शहर को एक कौन सा काम करना चाहिए? उन्हें यह उत्तर मिलाः साइकिलिस्टों को सभी स्थानों पर और हर वक्त सुरक्षित महसूस होना चाहिए। इस उत्तर ने शहर के प्रयासों को अपने साईकिल ट्रैकों में पुनर्सुधार के लिए प्रेरित किया- ट्रैकों के साथ-साथ स्ट्रीट लाइट लगाना तथा जंक्शन पर साईकिल सिग्नल का निर्माण करना। साइकिलिस्टों की सहायता करने और ट्रैकों पर अतिक्रमण को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा एक ट्रैफिक सेफ्टी स्क्वॉयड का गठन किया गया- जो एक और बड़ा कदम था।”

“हमारे शहर ने समर्पित साईकिल ट्रैक के जरिए सिटी सेंटर को शहर के बाहरी हिस्सों के साथ जोड़ने के लिए एक मजबूत स्केल-अप योजना बनाई है। चंड़ीगढ़ में जल्द ही 617 डॉकिंग स्टेशनों तथा 5000 साइकिलों के साथ भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक साईकिल शेयरिंग व्यवस्था होगी, जो देश में सर्वश्रेष्ठ होगी।”

एन पी शर्मा,मुख्य महाप्रबंधक, चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी लिमिटेड

वारंगल
क्या होअगर साइकिलिंग को सभी के लिए आकर्षक बना दिया जाए?

वारंगल ने यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किया कि नागरिकों के विविध समूह साइकिलिंग को अपनाएं। इसमें सभी के लिए कुछ न कुछ जरूर हो; बुजुर्ग लोगों के लिए सुरक्षित रैली; बच्चों के लिए चित्रकारी तथा निबंध प्रतियोगिताएं जैसे साइकिलिंग आधारित कार्यक्रम; कॉलेज के छात्रों के लिए वृक्षारोपण तथा स्वच्छता अभियान; महिलाओं के लिए स्लो साईकिल रेस तथा रंगोली पर्व।

वंचित वर्गों के लिए साईकिल दान अभियान के साथ, सिटी ने यह सुनिश्चित किया कि हर जरूरतमंद व्यक्ति के पास साईकिल उपलब्ध हो। वारंगल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रत्येक नागरिक-युवा,वृद्ध,धनी, एवं गरीब सिटी की साइकिलिंग यात्रा का हिस्सा हो!

 

“वारंगल ने एक सुंदर साईकिल लेन का निर्माण किया है, जो बिना प्रदूषण पैदा किए एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देता है। हम एक हरित भविष्य के लिए अपने शहरों तथा तेलंगाना के शहरों में अधिक से अधिक इन चीजों को देखने के आकांक्षी हैं।”

के टी रामा राव,नगर पालिका प्रशासन एवं शहरी विकास मंत्री,तेलंगाना सरकार

कोहिमा
क्या पहाड़ों में साइकिलिंग मजेदार हो सकती है?

शहर के अधिकारियों को नागरिकों को इसका भरोसा दिलाने में कि पहाडों में साइकिलिंग सुरक्षित और मजेदार हो सकती है- कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। इसके लिए उन्होंने ये उपाय किएः एक नए साईकिल प्रशिक्षण क्षेत्र तथा कार्यशालाओं के साथ उन्होंने ढलानों पर साईकिल चलाने के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया। नियमित कार्यक्रमों तथा साईकिल रैलियों से भी अधिक से अधिक लोग साइकिलिंग से जुड़े। आज कोहिमा की सड़कों पर पहले से कहीं अधिक साइकिलिस्ट हैं और कई तो साईकिल से ही काम पर जाते हैं। कुछ ने अपने खुद के समुदायों में चैंपियन साइकिलिंग को बढ़ावा दिया है और पहाडों में साइकिलिंग को अब सामान्य गतिविधि बना दिया है।

“इस चुनौती के कारण हमारी सिटी ने इस मिथक को तोड़ दिया कि कोहिमा जैसे पहाड़ी भू-भाग में साइकिलिंग करना असंभव है। हम कोहिमा को पूर्वोत्तर की साइकिलिंग राजधानी बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।”

कोवि मेयासे

सीईओ, कोहिमा स्मार्ट सिटी

नागपुर
साइकिलिंग के प्रति लोगों को कैसे आकर्षित किया जाए?

ध्यान से सुनिए कि वे क्या चाहते हैं।

नागपुर, प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में नागरिकों की बात सुनने का एक बड़ा उदाहरण है। सिटी द्वारा किए गए एक सर्वे में 15000 लोगों ने जवाबदिया, जिसमें उन्होंने साइकिलिंग को लेकर अपनी चुनौतियों के बारे मेंबताया। इन सीखों ने साइकिलिंग में सुधार लाने की शहर की योजनाओं को आकार दिया। सिटी इन योजनाओं को लेकर लोगों तक पहुंची और इन योजनाओं के परीक्षण के लिए पड़ोसों की पहचान करने के लिए रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के साथ काम किया गया। इसलिए, जब सिटी ने अपनी पहली पायलट परियोजना का परीक्षण किया तो नागरिकों ने सक्रियतापूर्वक टेस्ट में भाग लिया और फीड बैक दिया। अब इसकी योजना पूरी सिटी में इन प्रयासों को विस्तारित करने की है।

न्यू टाउन कोलकाता
कैसे अधिक से अधिक लोगों को साइकिलिंग के साथ जोड़ें?

उन्हें साईकिल दे दीजिए और साईकिल चलाना सिखाइए।

न्यू टाउन कोलकाता ने अधिक से अधिक लोगों को साईकिल देने तथा उन्हें साइकिलिंग सिखाने के इस सरल सिद्धांत पर काम किया। 1000 साइकिलों के साथ एक शहरव्यापी सार्वजनिक साईकिल शेयरिंग व्यवस्था की शुरुआत करना पहला कदम था। अगला कदम लोगों-विशेष रूप से महिलाओं को साप्ताहिक प्रशिक्षण शिविरों के जरिए साइकिलिंग के लिए प्रशिक्षित करना था। सिटी अब वृहद् जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करने तथा पूरे शहर में 70 किलोमीटर के साईकिल ट्रैक के नेटवर्क की योजना बना रही है।

“न्यू टाउन कोलकाता ने साईकिल ट्रैकों, सुरक्षित साइनेज, साईकिल क्लीनिक्स, स्मार्ट सिटी स्टैंड तथा साईकिल ट्रेनिंग सहित साइकिलिंग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। साइकिलिंग परिवहन का एक सुरक्षित और स्वस्थ माध्यम है, जो महामारी के दौरान समय की आवश्यकता है।

देबाशीष सेन,अध्यक्ष

पश्चिम बंगाल हाउसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन

न्यू टाउन कोलकाता ग्रीन स्मार्ट सिटी लिमिटेड

न्यू टाउन कोलकाता डेवलपमेंट अथॉरिटी

पिंपरी चिंचवाड़
क्या होता अगर पूरे शहर में हरित साइकिलिंग नेटवर्क होता?

पिंपरी चिंचवाड़ ने शहर में खुले स्थानों को जोड़ने वाली एक पॉप-अप साईकिल लेन का परीक्षण किया। परीक्षण की सफलता के आधार पर, सिटी ने नागरिकों, स्थानीय सीएसओ और विशेषज्ञों के इनपुट के साथ एकशहर-व्यापी हरित सेतु मास्टर प्लान बनाया। मास्टर प्लान में हरित स्थानों को जोड़ने वाले एक साईकिल नेटवर्क को विकसित करने की परिकल्पना की गई है। और यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह योजना सिर्फ कागजों पर ही न रहे, शहर ने इसे वास्तविक बनाने के लिए पहले ही धन आवंटित कर दिया है।

“लोग किसी भी सार्वजनिक परियोजना के केन्द्र में हैं। इंडिया साइकिल्स4चेंज चैलेंज के तहत पहल के लिए नागरिकों से पिंपरी चिंचवाड़ को मिली प्रतिक्रिया, मुझे विश्वास दिलाती है कि पिंपरी चिंचवाड़ का भविष्य उज्जवल है।”

उषा उर्फ माई धोरे,

मेयर, पिंपरी चिंचवाड़

वडोदरा               
क्या आज भी बच्चे साईकिल से सुरक्षित रूप से स्कूल जा सकते हैं?

वडोदरा ऐसा ही सोचता है!

यह सब एक पड़ोस और नौ स्कूलों से शुरू हुआ। अधिकारी चुनौतियों को समझने के लिए   बच्चों के साथ साईकिल से उनके साथ स्कूल जाते थे और साइकिलिंग को सुरक्षित बनाने के विचारों को विकसित करने और उनका परीक्षण करने के लिए उनके साथ काम करते थे। वडोदरा ने बच्चों को न केवल मुद्दों की पहचान करने में मदद करने के लिए, बल्कि साईकिल लेन को जीवंत रंगों में रंगने और अद्वितीय साइनबोर्ड बनाने के लिए भी आमंत्रित किया। यह पहल एक साइकिलिंग नेटवर्क की महज एक शुरुआत है जो सिटी के हर पड़ोस को बच्चों के लिए साइकिलिंग करना एक मजेदार अनुभव बना देगा।

राजकोट
प्रतिदिन अधिक से अधिक लोगों को साईकिल से आने-जाने के लिए कैसे प्रेरित करें?

राजकोट के पास सही जवाब है!

उन्होंने उनके सामने आने वाले मुद्दों को समझने तथा उनका समाधान करने के लिए डाकिया और अन्य लोगों, जो प्रतिदिन साईकिल चलाते हैं, से बात करना शुरू किया। 1500 से अधिक नगरपालिका अधिकारियों ने साईकिल से अपने काम पर जाने के द्वारा इसकी अगुवाई की। शहर ने निजी कंपनियों को भी सिटी टू वर्क कार्यक्रमों के लिए प्रोत्साहित किया और उनके कर्मचारियों को साईकिल द्वारा आने-जाने के लिए प्रेरित किया। कई लोग इन कार्यक्रमों को पहले ही शुरू कर चुके हैं। सिटी ने साइकिलिंग के लिए उन्हें सुरक्षित बनाने के लिए अक्सर उपयोग में लाए जाने वाले 40 मार्गों की पहचान की है।

 

“इंडिया साइकिल्स4चेंज चैलेंज ने सभी उम्र के लोगों को साईकिल चलाने की अपनी चाहत को फिर से खोजने के लिए एकजुट किया और उन्हें बदलाव के लिए एक मंच मुहैया कराया।”

नीलेश प्रजापति, परियोजना अधिकारी, आईसीएलईआई

सूरत
साइकिलिंग के प्रति लोगों की मानसिकता को हम कैसे बदल सकते हैं?

कम उम्र में ही शुरुआत करें।

सूरत ने बच्चों की एक पूरी पीढ़ी, जो साइकिलिंग को एक जीवन शैली के रूप में देखते हैं, पर फोकस के साथ शुरुआत की। सिटी ने स्कूलों के लिए अपनी तरह का पहला साइकिलिंग पाठ्यक्रम शुरू किया; साइकिलिंग के ध्येय को आगे बढ़ाने के लिए साइकिलिंग एंबेसडर का चयन किया और साइकिलिंग अनुकूल सड़कों की कल्पना के लिए बच्चों की डिजाइन प्रतियोगिताएं आरंभ की। स्कूलों और आवासीय क्षेत्रों के साथ पॉप-अप साईकिल लेनों की योजना आरंभ करने से यह भी सुनिश्चित हुआ कि बच्चे उनका परीक्षण करने और अपना इनपुट देने में सक्षम हुए। इस बदलाव के साथ सूरत अब साइकिलिंग के माध्यम से एक बेहतर कल की ओर बढ़ रहा है।

 

“इंडिया साइकिल्स4चेंज चैलेंज ने भारत में साइकिलिंग के एक नए युग की शुरुआत की है। हम पहले ही पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और सबसे बढ़कर नागरिकों के कल्याण पर इस पहल का व्यापक प्रभाव देखने लगे हैं।”

कमलेश याज्ञनिक,

चीफ रेजिलिएंस ऑफिसर, सूरत औरअध्यक्ष, सार्वजनिक शिक्षा सोसायटी

जूरी द्वाराविशेष उल्लेख
औरंगाबाद
हम पुराने को भूले बिना नए का निर्माणकैसे कर सकते हैं?

औरंगाबाद के पास इसका जवाब है!

यह शहर दो पहियों पर एक पुरानी यादों की सैर पर निकला!साइकिल्स4हेरिटेज अभियान के साथ, शहर ने लोगों को सड़कों पर साईकिल चलाने और पूरे शहर में धरोहर स्थलों का पता लगाने के लिए कहा। यहां तक कि इसकी पॉप-अप साईकिल लेन भी पुरानी चीजों को नया जीवन देने के विचार का अनुसरण कर रही है। इसके तहत पुराने टायरों और प्रकाश स्तंभों को पुनरुद्देशीत करके साईकिल लेन को निर्धारित करने के लिए सुरक्षा स्तंभ के रूप में फिर से उपयोग किया जाता है। अब इस शहर का लक्ष्य यहां के सभी धरोहर स्थलों को जोड़ने वाली साईकिल लेन का एक नेटवर्क बनाना है।

गुरुग्राम
जब नागरिक समूह साइकिल्स4चेंज का संचालन करते हैं तो क्या होता है?

और भी बहुत कुछ तेजी से किया जाता है!

इस शहर की मौजूदा क्षमता का लाभ उठाने के लिए, गुरुग्राम कई नागरिक समूहों, निवासियों के संघों और स्थानीय पार्षदों को एक साथ लाया है। अपनी मजबूती के बल पर, उन्होंने साप्ताहिक कार-मुक्त दिनों को शुरू करने से लेकर पॉप-अप साईकिल लेन और चौराहों को नया स्वरूप देने तक कई साइकिलिंग पहलों में शहर का सहयोग किया है। एक साथ काम करते हुए उन्होंने आने वाले वर्ष में 60 किलोमीटर से अधिक पॉप-अप साईकिल लेन बनाने की योजना के साथ, गुरुग्राम को साइकिलिंग क्रांति का अग्रणी बनने में सहायता की है।

जबलपुर
हम एक शहर से क्या सीख सकते हैं जिसने यह सब किया है?

नेतृत्व मायने रखता है।

सभी विभागों के उत्साही शहर के नेता ओपन स्ट्रीट आयोजनों, रैलियों, वेबिनारों, सोशल मीडिया अभियानों और यहां तक कि चित्रकारी प्रतियोगिताओं के साथ साईकिल चलाने को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आए! शहर ने सभी परीक्षण समाधानों के साथ-साथ साईकिल लेन, फेरदार और जंक्शन की फिर से डिजाइन, फ्लोटिंग बस स्टॉप्स और पड़ोस में ट्रैफिक कम करने के लिए प्रयास किए।

अगला कदम-प्रमुख निर्णयकर्ताओं को एक साथ लाने के लिए एक स्वस्थ सड़क समिति और पूरे शहर में परिवर्तन को आगे बढ़ाना।

सिलवासा
क्या होगा अगर साईकिल चलाना पूरे शहर में उत्सव बन जाए?

हर नागरिक साईकिल चलाएगा!

सिलवासा ने पूरे शहर में एक महीने तक चलने वाले साइकिलिंग उत्सव-साइकिलिंग पलूजा की शुरुआत की है। इसमें बच्चों के लिए साईकिल मेला, सामुदायिक साईकिल की सवारी, प्रशिक्षण कार्यक्रम, साईकिल दान अभियान, ओपन स्ट्रीट आयोजन, यहां तक कि आउटडोर मूवी स्क्रीनिंग भी शामिल हैं! इन समारोहों ने शहर को अपने प्रायोगिकों- नई पॉप-अप साईकिल लेन व फिर से डिजाइन किए गए जंक्शनों को लेकर नागरिकों की प्रतिक्रिया के आधार पर परीक्षण और सुधार करने का अवसर दिया है। सिलवासा एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता है जहां शहर न केवल एक महीने के लिए, बल्कि साल के प्रत्येक दिन साईकिल चलाने का उत्सव मनाता है।

साइकिलिंग मेंअग्रणी भूमिका निभाने वाले अन्य शहर
कोच्चि
कैसे शहर की रैली साईकिल चलाने में सहायता कर सकती है?

लोगों को आगे रखकर।

कोच्चि ने तेजी से बड़ी साईकिल रैलियों की एक श्रृंखला के माध्यम से साईकिल चलाने के लिए  छोटी और महत्वपूर्ण पहल की। इसका समापन 700 से अधिक साईकिल चालकों की अपनी पहली पॉप-अप साईकिल लेन शुरू करने के साथ गणतंत्र दिवस की मेगा रैली में हुआ। नागरिकों की ओर से शानदार प्रतिक्रिया मिलने के बाद अब शहर पायलट से साईकिल लेन के नेटवर्क में विस्तारित करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा पूरे शहर में 1000 से अधिक साईकिलों के साथ एक साईकिल शेयरिंग व्यवस्था भी शामिल की है।

“कोच्चि में नए साईकिल ट्रैक, साईकिल चलाने वाले समुदाय के लिए एक स्वागत योग्य बदलाव है। अधिकांश मेट्रो स्टेशनों पर साईकिल किराए पर लेने की योजना के साथ कोच्चि एक प्रमुख मानसिकता के बदलाव का गवाह बनेगा, इसके अलावा लोगों को दैनिक यात्रा के साथ-साथ अवकाश के लिए साईकिल को अपनाने में भी सक्षम बनाएगा।”

रितू जे जैकब

सह-संस्थापक, यूनाइटेड बाय साइकिलिंग

हैदराबाद
क्या होता है जब शहर के विभिन्न विभाग एक साथ काम करते हैं?

वे सभी बाधाओं को दूर करते हैं!

हैदराबाद ने प्रायोगिक स्थलों की पहचान करने व मुद्दों के मानचित्रण से लेकर डिजाइन समाधान विकसित करने तक प्रत्येक कदम पर नगर निगम, यातायात पुलिस और परिवहन प्राधिकारियों के बीच एक मजबूत सहभागिता को बढ़ावा दिया है। उन्होंने पेंट, सुरक्षा स्तंभ और संकेतकों का उपयोग करके पॉप-अप साईकिल लेन का परीक्षण किया। हैदराबाद का लक्ष्य अब पूरे शहर में साइकिलिंग नेटवर्क को लागू करने के लिए जिम्मेदार एक स्वस्थ सड़क समिति की स्थापना करके इस सहभागिता को संस्थागत बनाना है।

दावणगेरे
क्या होता है जब कोई शहर साईकिल चलाने के लिए एक नई पहचान बनाता है?

साईकिल चलाना एक स्थानीय चलन बन गया!

दावणगेरे ने साईकिल को फिर से रोमांचक बनाने के लिए साईकिल रैलियों में विशेष साइकिलिंग-थीम वाले मर्चेंडाइज, पूरे शहर में एलईडी डिस्प्ले वाले अभियान और यहां तक कि स्थानीय रेडियो शो के माध्यम से प्रसारित साइकिलिंग एंथम के साथ एक स्थानीय अभियान शुरू किया। जब शहर ने अपनी पहली पॉप-अप साईकिल लेन शुरू की और नागरिकों ने बड़ी संख्या में अपने शहर में साईकिल चलाने का समर्थन किया, तब आखिरकार रीब्रांडिंग अभियान रंग लाया।

नई दिल्ली
क्या होता है जब साइकिलिंग कला से मिलती है?

एक कलाकार समुदाय के केंद्र में देश की राजधानी ने एक जीवंत साइकिलिंग प्लाजा बनाया है। शहर ने स्ट्रीट आर्ट के विचार को एक नए स्तर पर पहुंचाया है। इसमें पड़ोस में सड़कों को पेंट करने के लिए कलाकारों को एक साथ लाना और साईकिल लेन को भी सार्वजनिक कला के हिस्सों में बदलना है। शहर ने अब इस पहल को पूरे शहर में विस्तारित करने का अवसर अन्य पड़ोसियों के लिए खोल दिया है।

नासिक
बदलाव लाने के लिए डेटा का उपयोग कैसे करें?

नासिक ने डेटा-संचालित निर्णय लेने के दृष्टिकोण को अपनाया है। पहला, उन्होंने साईकिल लेन का परीक्षण करने के लिए एक रणनीतिक मार्ग का चयन करने के लिए विविध समूहों के लिए सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले साईकिल मार्गों का विश्लेषण किया है। इन समूहों में औद्योगिक श्रमिक, छात्र और पर्यटक शामिल हैं। दूसरा, दिन के अलग-अलग समय पर चयनित स्थल के विस्तृत विश्लेषण से उन्हें सबसे अधिक आवश्यक मुद्दों की पहचान करने में सहायता मिली। और तीसरा, उन्होंने साईकिल चालकों की संख्या में बढ़ोतरी पर डेटा एकत्र किया, और इस जानकारी को पूरे शहर में प्रदर्शित किया जिससे अन्य लोगों को भी साईकिल चलाने के लिए प्रेरित किया जा सके। प्रायोगिक तौर पर मिली सीख के आधार पर शहर की अब 100 किलोमीटर से अधिक की सड़कों को नया स्वरूप देने की योजना है।

काकीनाडा
क्या होगा अगर शहरों में साईकिल चलाने के लिए चैंपियनों का नेटवर्क हो?

साइकिलिंग तक सभी की पहुंच!

काकीनाडा ने शहर के प्रत्येक वार्ड के लिए एक साइकिलिंग चैंपियन की पहचान की है, जिससे साईकिल चलाने के लिए व्यापक समर्थन तैयार किया जा सके। 1000 से अधिक नागरिकों ने पूरे शहर में 12 साईकिल रैलियों में हिस्सा लिया, जिससे शहर की पहली पॉप-अप साईकिल लेन की शुरुआत हुई। चैंपियनों ने शहर द्वारा आयोजित सर्वेक्षण और परामर्श भी सुनिश्चित किया। इसमें विविध समूहों की ओर से मजबूत नागरिक भागीदारी देखी गई। इन समूहों में महिलाएं, बच्चे और दिव्यांगजन शामिल हैं।

उदयपुर
क्या होगा अगर शहर के आधार को साइकिलिंग के अनुकूल बनाया जाए?

उदयपुर ने शहर के कई केंद्रों को जोड़ने वाले शहर के सबसे महत्वपूर्ण स्थानों पर प्रायोगिक परीक्षण करने का निर्णय किया है। इनमें मुख्य बस स्टैंड, सरकारी कार्यालय, स्थानीय संस्थान और एक सैन्य परिसर शामिल हैं। शहर के सक्रिय साईकिल-से-कार्य अभियान के साथ इन स्थानों ने बहुत से दैनिक यात्रियों को साईकिल चलाने के लिए प्रेरित किया है। इस प्रायोगिक परीक्षणने मेयर (महापौर) को आकर्षितकिया है और अब उदयपुर का लक्ष्य इसे स्थायी साइकिलिंग पहल बनाना है!

सागर
क्या एक झील के सहारे अधिक लोग साईकिल चला सकते हैं?

सागर ऐसा सोचता है!

अपने नाम के अनुरूप, सागर ने अपनी साईकिल चलाने संबंधी उपायों को पानी के चारों ओर- लाखा बंजारा झील केंद्रित किया है। इसके आस-पास के विद्यालयों, विरासत स्मारकों, पार्कों, परिवहन नोड और एक स्पोर्ट्स स्टेडियम को झील से जोड़ते हुए सागर ने एक पॉप-अप साईकिल लेन का परीक्षण किया है, जो सभी के लिए एक दर्शनीय और आकर्षक सवारी प्रदान करती है! उन लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए जिनके पास साईकिल नहीं है, सागर ने रणनीतिक रूप से साईकिल रेंटल स्टैंड को अपने प्रायोगिक के साथ रखा है। अपनी सीख और साईकिल चलाने के नए उत्साह के आधार पर सागर ने इस पहल को पूरे शहर में विस्तारित करने की योजना बनाई है।

“स्मार्ट सिटी मिशन की इस पहल ने सामाजिक मानकों को तोड़ दिया है और महिलाओं व लड़कियों को अपने घरों और साईकिल से बाहर निकलने के लिए प्रेरित करके उन्हें सशक्त बनाया है।”

मीना पिंपलापुरे, सामाजिक कार्यकर्ता, सागर

पणजी
साइकिलिंग एक पर्यटन हब को नया रूप देने में कैसे मददगार हो सकती है?

साइकिलिंग को लेकर पणजी की एक योजना है!

कल्पना कीजिए कि आप पणजी की यात्रा पर हों और खूबसूरत दृश्यों वाली मंडोवी नदी के किनारे-किनारे साइकिलिंग के जरिए गोवा की अनूठी जगहों से गुजर रहे हों और आप एकाएक समुद्र से रूबरू हो जाए। पणजी ने अपनी पायलट साईकिल लेन बनाते समय ठीक यही बात ध्यान में रखी थी कि शहर में घूमने आने वाले लोग एक अलग ही तरह का अनुभव करें। शहर अब साईकिल चलाने और नियमित तौर पर साईकिल रैली आयोजित करने के लिए हेरीटेज सड़कों को फिर से तैयार करके अपनी सभी आस-पास की जगहों पर साइकिलिंग को मजेदार बनाने की योजना बना रहा है।

इंदौर
क्या होता है जब एक शहर साईकिल चलाने की पुरानी संस्कृति को पुनर्जीवित करता है?

इंदौर कभी इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण था कि साइकिलिंग के अनुकूल एक शहर कैसा होता है। समय के साथ साईकिल चलाना कम होता गया लेकिन आज भी इस शहर में 2000 से अधिक साईकिल की दुकाने हैं जो एक लाख से अधिक साइकिलों को किराए पर देती है! इस अवसर को इंदौर ने साइकिलिंग को पुनर्जीवित करने, सिटी सेंटर में साईकिल लेन का परीक्षण करने और लोगों को फिर से साईकिल चलाने के लिए रैलियों का शुभारंभ कर लाभ उठाया! शहर अब अपने मौजूदा साईकिल नेटवर्क में कमियों को दूर करने और अपनी पुरानी साईकिल चलाने की संस्कृति को पुनर्जीवित करने की योजना बना रहा है।

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