रक्षा मंत्री ने उत्तरी और पूर्वी सीमा में बीआरओ निर्मित 12 सड़कों को राष्ट्र को समर्पित किया

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नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 17 जून, 2021 को उत्तरी और पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित 12 सड़कों को राष्ट्र को समर्पित किया। कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू, केंद्रीय युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), अल्पसंख्यक मामले और आयुष (स्वतंत्र प्रभार) किरण रिजिजू तथा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी उपस्थित थे। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह उन गणमान्य लोगों में मौजूद थे जिन्होंने इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से भाग लिया।

असम के लखीमपुर जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने 20 किलोमीटर लंबी डबल लेन किमिन-पोटिन सड़क के साथ साथ अरुणाचल प्रदेश में नौ अन्य सड़कों तथा केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में एक-एक सड़क का ऑनलाइन उद्घाटन किया। सड़कों का निर्माण बीआरओ की ‘अरुणांक’, ‘वर्तक’, ‘ब्रह्मांक’, ‘उदयक’, ‘हिमांक’ और ‘संपर्क’ परियोजनाओं के तहत किया गया है ।

इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने देश के दूरस्थ सीमावर्ती क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान के लिए, विशेष रूप से कोविड-19 प्रतिबंधों के बीच, बीआरओ की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज जिन सड़कों का उद्घाटन किया गया है, वे सामरिक और सामाजिक-आर्थिक महत्व रखती हैं क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि ये सड़कें हमारे सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने और दवाओं और राशन जैसी जरूरतों को दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने में मददगार साबित होंगी।

रक्षा मंत्री ने कहा कि ये सड़क परियोजनाएं सरकार की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का हिस्सा हैं जिसमें सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने पूर्वोत्तर के विकास के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के संकल्प को दोहराते हुए इस क्षेत्र को न केवल देश के समग्र विकास का बल्कि पूर्वी एशियाई देशों के साथ राष्ट्र के संबंधों का प्रवेश द्वार भी बताया।

श्री सिंह ने पिछले वर्ष गलवान घाटी की घटना के दौरान अनुकरणीय साहस दिखाने वाले और राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है लेकिन आक्रामकता के प्रति उसकी प्रतिक्रिया दृढ़तापूर्ण रही है।

रक्षा मंत्री ने सरकार द्वारा किए गए कुछ बड़े सुधारों का ज़िक्र भी किया, जिनमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति, रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उपाय और आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) का निगमीकरण करने जैसे कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते समय में यह सुधार सैन्य तैयारियों में गेम चेंजर साबित हो रहे हैं।

श्री सिंह ने प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत भारत को रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हम भारत को रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता से आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी, निर्यात बढ़ेगा और हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने अपने संबोधन में बीआरओ की उपलब्धियों का संक्षिप्त अवलोकन किया और सीमावर्ती क्षेत्रों के ढांचागत विकास के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता दोहराई।

 

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