नई दिल्ली : उत्तराखंड राज्य में चारधाम सड़क परियोजना की समीक्षा बैठक में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री, प्रकाश जावड़ेकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा तैयार किया गया जोनल मास्टर प्लान (जेडएमपी) जिसका जलशक्ति मंत्रालय द्वारा मूल्यांकन किया गया था को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मंजूरी प्रदान कर दी है।
18 दिसंबर, 2012 को, स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, 4179.59 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करने वाले, गौमुख से उत्तराकाशी तक भागीरथी पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र की अधिसूचना को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था, जिसमें स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उनके अधिकारों और विशेषाधिकारों को प्रभावित किए बिना उनकी आजीविका सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण अनुकूल विकास को भी सुनिश्चित किया गया था। बाद में 16 अप्रैल, 2018 को, सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तराखंड सरकार और इंडियन रोड कांग्रेस के साथ परामर्श करने के बाद अधिसूचना में संशोधन किया गया।
भागीरथी पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र की अधिसूचना में उत्तराखंड सरकार को जेडएमपी तैयार करने का अधिकार प्रदान किया गया, जिसे निगरानी समिति की देखरेख में लागू किया जाना था। जेडएमपी वाटरशेड दृष्टिकोण पर आधारित है और इसमें वन एवं वन्यजीव, जल प्रबंधन, सिंचाई, ऊर्जा, पर्यटन, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, सड़क अवसंरचना आदि के क्षेत्र में गवर्नेंस भी शामिल हैं।
जेडएमपी के अनुमोदन से, इस क्षेत्र में संरक्षण और पारिस्थितिकी को बढ़ावा मिलेगा और जेडएमपी के अंतर्गत प्रदान किए गए अनुमति के अनुसार विकासात्मक गतिविधियां भी शुरू की जाएंगी।
उत्तराखंड राज्य में चारधाम सड़क परियोजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग एवं एमएसएमई मंत्री, नितिन गडकरी ने की। इस बैठक में, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह और राज्य के पर्यावरण एवं वन और पीडब्लूडी मंत्रियों सहित अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सचिवों, डीजी सड़क (एमओआरटीएच), डीजी (बीआरओ) और दोनों मंत्रालयों और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। इस मास्टर प्लान को मंत्रालय ने 16 जुलाई को हरी झंडी दे दी.
जेडएमपी के अनुमोदन से क्षेत्र के संरक्षण और पारिस्थितिकी को बढ़ावा मिलेगा और जेडएमपी के अंतर्गत दी गई अनुमति के अनुसार विकासात्मक गतिविधियों की भी शुरूआत की जाएंगी। इस मंजूरी से चारधाम परियोजना को तीव्र गति से निष्पादित करने का रास्ता भी खुलेगा।