नई दिल्ली। भारतीय बैंकिंग में बाजार हिस्सेदारी का करीब 70 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के पास है। अतः भारतीय अर्थव्यवस्था को सहयोग करने और इसके आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का दायित्व इन बैंकों का है। वर्ष 2019-20 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार की तुलना में भारतीय बैंकों की संख्या काफी कम है। भारत को 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की दिशा में बढ़ने के लिए, पीएसबी-हमारी बैंकिंग व्यवस्था में प्रमुख बैंकों – को दक्ष बनाना जरूरी है। अर्थव्यवस्था को इस बात की आवश्यकता है कि पीएसबी अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य करे और ऋण के बजाए आर्थिक वृद्धि में सहायक बने जिसका विकास और कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
समीक्षा में कहा गया है कि यदि भारतीय बैंक भी भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में बड़े हों तो वर्तमान में केवल सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक – भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बजाय विश्व के 100 शीर्ष बैंकों में कम से कम 6 बैंक हमारे होने चाहिए – जो विश्व में 55वां सबसे बड़ा बैंक है।
समीक्षा में कहा गया है कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण होने के बावजूद 2014 तक गरीबों का एक बड़ा हिस्सा बैंकों से वंचित था। बड़े हिस्से में, वित्तीय समावेश अगस्त, 2014 में प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के माध्यम से हुआ था, जिसके जरिए पहले सप्ताह में 18 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए थे जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड्स रिकॉर्ड्स में एक रिकॉर्ड है।
डिजिटल लेनदेन और डीबीटी
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि डिजिटल लेनदेन में वृद्धि महत्वपूर्ण रही है। पिछले 5 वर्षों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है, जिससे सभी भौगोलिक क्षेत्रों (ग्रामीण अर्ध-शहरी, शहरी और महानगरीय) में बैंकिंग प्रणाली में क्रेडिट और डिपोजिट दोनों को लाने में मदद मिली है। सभी भौगोलिक क्षेत्रों में उच्च स्तर का लचीलापन सरकार द्वारा डीबीटी के अधिक इस्तेमाल से मिलने वाले लाभ के लिए भारतीय बैंकों के लिए मौजूद अवसरों को दर्शाता है। नए कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप औपचारिक अर्थव्यवस्था में व्यक्तियों और व्यवसाय में वृद्धि हुई है। सबसे महत्वपूर्ण है कि समावेशन आधुनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे से समर्थित है जो कंपनियों और व्यक्तियों के आर्थिक जीवन के सभी पहलुओं पर उच्च गुणवत्ता वाले ढांचागत आंकड़ों को उत्पन्न करता है और उनका भंडारण करता है। ऐसे आंकड़े 21वीं शताब्दी में आर्थिक वृद्धि के लिए सोने की खान है। ये विशेष रूप से उन कंपनियों और व्यक्तियों के लिए असीमित और नई संभावनाओं की पेशकश करती है जिन्हें वित्तीय व्यवस्था से परंपरागत तरीके से बाहर कर दिया गया है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की दक्षता बढ़ाना : कामयाबी की राह पर
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि करदाताओं की लगभग 4,30,000 करोड़ रुपये की धनराशि सरकारी पूंजी के रूप में पीएसबी में निवेश की गई है। वर्ष 2019 में पीएसबी में निवेश किए गए करदाताओं के प्रत्येक रूपये में से औसतन 23 पैसे की हानि हुई।
भारत के विकास की संभावनाओं के प्रमुख चालकों के साथ – (क) बेहद अनुकूल जनसांख्यिकी – उस आयु के 35 प्रतिशत के साथ (ख) एक आधुनिक और आधुनिक बनाने वाले डिजिटल बुनियादी ढांचे जिसमें “जेएएम” ट्रिनिटी यानी पीएमजेडीवाई बैंक खाता कार्यक्रम, आधार विशिष्ट पहचान कार्यक्रम, और मोबाइल फोन बुनियादी ढांचा शामिल है; तथा (ग) समान अप्रत्यक्ष कराधान प्रणाली (जीएसटी); भारत के विकास का मार्ग इस बात पर निर्भर करता है कि विकास के लिए इन तंत्रों को कितनी तेजी से और उत्पादकता के साथ अच्छी तरह विकसित वित्तीय व्यवस्था का इस्तेमाल करते हुए लगाया जाता है। विकास के ये अवसर पीएसबी को इस स्थिति तक पहुंचाते हैं कि वह कृत्रिम असूचना और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करते हुए फिन टेक जैसी क्रेडिट अनेलेटिक्स का इस्तेमाल करें।
पीएसबी के लिए फिनटेक केन्द्र का गठन : सार्वजनिक क्षेत्र बैंकिंग नेटवर्क (पीएसबीएन)
समीक्षा में प्रस्ताव किया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को फिनटेक को गले लगाने की आवश्यकता है, जो वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में क्रांति ला रहा है। फिनटेक ने बैंकों द्वारा परिष्कृत की जाने वाली सूचना का तरीका तेजी से बदल दिया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय बैंकों विशेषकर पीएसबी के एनपीए के एक बड़े हिस्से को रोका जा सकता था। यदि कॉरपोरेट कर्ज में आंकड़े और विश्लेषकों और यह कर्ज विश्लेषण मंच कोलेटरल की दोहरे संकल्प को रोकने के अलावा चेतावनी संकेत प्रदान कर सकता था।
समीक्षा में उधार लेने वालों की व्यापक स्क्रीनिंग और निगरानी करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए पीएसबीएन (पीएसबी नेटवर्क) कहलाई जाने वाली जीएसटीएन जैसी कंपनी की स्थापना का प्रस्ताव किया गया। सभी पीएसबी से आंकड़ों का इस्तेमाल करने के अलावा, जो महत्वपूर्ण जानकारी का लाभ प्रदान करेंगे, पीएसबीएन कॉरपोरेट के लिए एआई-एमएल रेटिंग मॉडल विकसित करने के लिए अन्य सरकारी स्रोतों और सेवाप्रदाताओँ का इस्तेमाल करेगी। ऋण के बारे में बेहतर फैसला करने से एनपीए का बोझ कम होने के साथ ही धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी। ऋण की अद्योप्रांत प्रक्रिया को स्वचालित करने में मदद करके प्रत्येक पीएसबी की उच्च संचालन की लागत को कम किया जा सकता है। पीएसबी तेजी से फैसले करेगा, ऋण के आवेदनों को तेजी से प्रोसेस कर सकेगा और टर्न अराउंड टाइप को कम कर सकेगा।
समीक्षा में प्रस्ताव किया गया है कि कर्मचारियों को बैंकों में स्वामी बनने में सक्षम बनाने और जोखिम उठाने तथा नवीकरण को अपनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी पण के एक हिस्से को कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपी) के माध्यम से संगठन के सभी स्तरों पर अच्छा निष्पादन करने वाले कर्मचारियों को अंतरित किया जा सकता है। कर्मचारियों की पीएसबी में आंशिक सहभागिता से एजेंसी समस्याओं में कमी आएगी। लाभों में कर्मचारी से मालिक वाली मनोदशा में परिवर्तन करना शामिल है। कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना के माध्यम से पीएसबी के नए मालिकों के किसी एक ब्लॉक जो कर्मचारी के निष्पादन पर निर्भर हैं, का गठन कर सकते हैं। संगठन के सभी स्तरों पर प्रेरित, सक्षम कर्मचारियों का स्वामित्व उन कर्मचारियों को मूल्य संवर्धन के लिए वित्तीय पुरस्कार देगा। यह प्रोत्साहन पीएसबी के लाभ से जुड़ा होगा तथा कर्मचारियों के लिए उपक्रम स्वामित्व की मनोदशा सृजित करेगा।