वित्त मंत्री ने इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी के विशेषज्ञों से किया विचार विमर्श

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नई दिल्ली। केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी आम बजट 2020-21 के संबंध में आज नई दिल्‍ली में अवसंरचना सेक्‍टर के विभिन्‍न हितधारकों और ऊर्जा क्षेत्र एवं जलवायु परिवर्तन से जुड़े विशेषज्ञों के साथ अपना सातवां बजट–पूर्व सलाह-मशविरा किया।

इस बैठक के दौरान वैश्विक संदर्भ में व्‍यापार नियमों एवं नीतियों को तैयार करने बनाम अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत क्षेत्र की चुनौतियों, अवसंरचना क्षेत्र की मजबूती की गुणवत्‍ता एवं संबंधित वित्‍त, रेलवे से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, अर्थव्‍यवस्‍था एवं पर्यावरण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने पर फोकस बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से सुदृढ़ बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास, गैर-जीवाश्‍म ईंधन आधारित ऊर्जा को बढ़ावा देने और विकास से जुड़ी अनिवार्यताओं एवं नीतियों के अन्‍तर्गत सर्कुलर इकोनॉमी की बढ़ती भूमिका से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।

इस बैठक में वित्‍त सचिव श्री राजीव कुमार; आर्थिक कार्य विभाग में सचिव श्री अतानु चक्रबर्ती; राजस्‍व सचिव श्री अजय भूषण पांडेय;डीआईपीएएम में सचिव श्री तुहिन कांत पांडेय; पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव श्री चन्‍द्र किशोर मिश्रा; सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय में सचिव श्री संजीव रंजन; नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में सचिव श्री आनन्‍द कुमार; मुख्‍य आर्थिक सलाहकार डॉ. के. वी. सुब्रमण्‍यन और वित्‍त मंत्रालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी शिरकत की।

अवसंरचना सेक्‍टर के हितधारकों और ऊर्जा क्षेत्र एवं जलवायु परिवर्तन से जुड़े विशेषज्ञों ने इस बैठक में अनेक सुझाव दिए। अचल परिसम्‍पत्ति,अवसंरचना एवं किफायती मकानों के लिए वित्‍त उपलब्‍ध कराना; नवीकरणीनय ऊर्जा क्षेत्र में क्षमता बढ़ाना; सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम को और भी अधिक सुव्‍यवस्थित बनाना; विभिन्‍न शुल्‍कों एवं ऋण दरों में कमी करना; इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचालन को आवश्‍यक सहयोग के जरिये जलवायु परिवर्तन की समस्‍या से निपटने में ऑटोमोटिव उद्योग की भूमिका बढ़ाना; एवं नवीकरणीय ऊर्जा से चालित जन परिवहन व्‍यवस्‍था पर फोकस करना; हरित आर्थिक गति‍विधियों/जलवायु वित्‍त के वर्गीकरण पर विशेष ध्‍यान देना; जलवायु अनुरूप निवेश सुनिश्चित करना; वायु प्रदूषण की समस्‍या से निपटने के लिए और अधिक धनराशि मुहैया कराना; संसाधनों के उपयोग की द‍क्षता बढ़ाना; सरकारी सहयोग के जरिये एसएमई सेक्‍टर में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना एवं इसे क्लस्‍टर आधारित मध्‍यवर्ती इकाइयों (यूनिट) में भी अमल में लाना और बड़ी तेजी से चरणबद्ध ढंग से अत्‍यंत पुराने कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों का इस्‍तेमाल समाप्‍त करना इन सुझावों में शामिल हैं। इसी तरह जैव-उर्वरकों को बढ़ावा देना, नवीकरणीय ऊर्जा के भंडारण को बढ़ावा देने हेतु बैटरियों के लिए कम पड़ रही राशि का इंतजाम करना, मौजूदा ‘किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्‍थान महाअभियान (कुसुम)’ का विस्‍तार करना, एलपीजी कुकिंग स्‍टोव सहित कम ऊर्जा खपत वाले उपकरणों को बढ़ावा देना और रेलवे से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए अभिनव प्रौद्योगिकी को इस्‍तेमाल में लाना भी इस अवसर पर दिए गए अन्‍य सुझावों में शामिल हैं।

अवसंरचना सेक्‍टर के हितधारकों और ऊर्जा क्षेत्र एवं जलवायु परिवर्तन से जुड़े विशेषज्ञों में सीमेंट निर्माता संघ (सीएमए) के अध्‍यक्ष श्री महेन्‍द्र सिंघी, हीरो इलेक्ट्रिक व्‍हीकल्‍स प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक श्री नवीन मुंजाल, एसबी एनर्जी के कार्यकारी प्रबंध निदेशक श्री मनोज कोहली, भारतीय सेल्‍युलर ऑपरेटर संघ के महानिदेशक श्री राजन एस. मैथ्‍यु, टीएआईपीए के महानिदेशक श्री टी.आर. दुआ, सियाम के अध्‍यक्ष श्री राजन वढेरा, शक्ति‍ सस्‍टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन के कार्यक्रम प्रबंधक (स्‍वच्‍छ ऊर्जा वित्‍त) श्री पुस्‍तव जोशी, टेरी के महानिदेशक श्री अजय माथुर, भारतीय सीएमएआई संघ के अध्‍यक्ष श्री एन के गोयल, ऑब्‍जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख श्री मिहिर स्‍वरूप शर्मा, जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण और सतत विकास संस्थान के सीएलडब्‍ल्‍यूआरएम के वैज्ञानिक–जी एवं प्रमुख श्री किरीत कुमार, नीतिगत अनुसंधान केन्‍द्र के प्रोफेसर श्री नवरोज के. दुबाश, इंडियन स्‍कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर श्री मिलिंद जी. सोहोनी, प्रयास (ऊर्जा समूह) के समन्‍वयक श्री शांतनु दीक्षित इत्‍यादि शामिल थे।

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