नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित तमाम विपक्ष के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसान और रोजगार के मुद्दे पर काफी लंबे समय से घेरने में जुटे है। लेकिन मोदी सरकार इसे नकारती रही है। कांग्रेस इन्हीं दोनों मुद्दों को लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाने में जुटी है। ऐसे में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में शामिल होने आईं इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लैगार्ड ने कहा कि भारत को कृषि विकास और रोजगार की दिशा में काम करने की जरूरत है। सवाल उठता है कि क्या लैगार्ड ने ये बात कहकर मोदी सरकार की कमजोर नब्ज पर हाथ रख दिया है?
इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लैगार्ड ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में कहा कि भारत उस गति से विकास नहीं कर पा रहा है, जिस गति से उसे आगे बढ़ना चाहिए. भारत सरकार को अभी और आर्थिक सुधारों के बारे में सोचना चाहिए। इस दिशा में अभी काफी गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि भारत को कृषि क्षेत्र के संकट को दूर कर इसमें बड़े सुधार करने पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इस क्षेत्र से संकट दूर करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि भारत में कई लोग इसी क्षेत्र पर निर्भर हैं. लैगार्ड के मुताबिक भारत जैसे देश के लिए रोजगार भी अहम मुद्दा है। यह देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
बता दें कि सवा सौ करोड़ आबादी वाले भारत में हर साल दो करोड़ नौकरी देने के वादे पर मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आई थी। इसके अलावा किसानों का कायाकल्प करने का वादा किया था।आइएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर ने इन्हीं दो मुद्दों पर जोर दिया है। इन्हीं दोनों मुद्दों को लेकर विपक्षी दल मौजूदा मोदी सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कांग्रेस मोदी सरकार के पांच सालों के कामकाज की सबसे बड़ी विफलता के रूप में रोजगार और किसान के मुद्दे को मानती है। हालांकि, मोदी सरकार इसे पुरजोर तरीके से नकारती रही है।